शशि कपूर
शशि कपूर
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पूरा नाम | बलबीर राज कपूर |
प्रसिद्ध नाम | शशि कपूर |
जन्म | 18 मार्च, 1938 |
जन्म भूमि | कोलकाता, भारत |
मृत्यु | 4 दिसम्बर, 2017 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी कपूर |
पति/पत्नी | जेनिफ़र केण्डेल |
संतान | कुणाल कपूर, करण कपूर और संजना कपूर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | 'वक़्त', 'जब जब फूल खिले', 'सुहाना सफर', 'माई लव', 'आ गले लग जा', 'पाप और पुण्य', 'मुहब्बत इसको कहते हैं', 'हसीना मान जायेगी', 'रूठा न करो', 'कन्यादान', 'शर्मिली', 'फ़कीरा', 'चोर मचाए शोर', 'सत्यम शिवम सुन्दरम' आदि। |
विद्यालय | 'डॉन बास्को स्कूल', मुम्बई |
पुरस्कार-उपाधि | दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण (2011), 'लाइफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार', 'बांबे जर्नलिस्ट एशोसिएशन अवार्ड' |
प्रसिद्धि | रोमांटिक अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अस्सी के दशक में शशि कपूर ने फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में भी क़दम रखा और 'जूनून' फ़िल्म बनाई। इसके बाद उन्होंने 'कलयुग', '36 चौरंगी लेन', 'विजेता', 'उत्सव', और 'रमन' जैसी फ़िल्में बनाईं। |
अद्यतन | 13:49, 15 मार्च 2015 (IST)
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शशि कपूर (अंग्रेज़ी: Shashi Kapoor, जन्म- 18 मार्च, 1938, कोलकाता; मृत्यु- 4 दिसम्बर, 2017, मुम्बई) हिन्दी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक थे। वे ऐसे अभिनेताओं में शुमार किये जाते हैं, जिन्होंने अपने सदाबहार अभिनय से लगभग चार दशक तक हिन्दी सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। कोलकाता में जन्मे शशि कपूर का असली नाम 'बलबीर राज कपूर' था। उनका रुझान बचपन से ही फ़िल्मों की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और भाई राजकपूर तथा शम्मी कपूर पहले से ही फ़िल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता थे और प्रसिद्धि की बुलन्दियों पर थे। उनके पिता अगर चाहते तो वह उन्हें लेकर फ़िल्म बना सकते थे, लेकिन उनका मानना था कि शशि कपूर स्वयं ही संघर्ष करें और अपनी मेहनत से ही अभिनेता बनें। पिता की इस बात पर शशि कपूर पूरी तरह खरे उतरे थे।
विषय सूची
शिक्षा तथा अभिनय की शुरुआत
अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के तीसरे बेटे शशि कपूर की स्कूली पढ़ाई मुंबई के 'डॉन बास्को स्कूल' में हुई थी। स्कूल में वे नाटक में काम करना चाहते थे, लेकिन कभी रोल पाने में कामयाब नहीं हुए। आखिर में उनकी यह तमन्ना पूरी हुई पापाजी के पृथ्वी थिएटर से। शशि कपूर ने 40 के दशक में ही फ़िल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कई धार्मिक फ़िल्मों में बाल कलाकार की भूमिकाएँ निभाईं। पिता पृथ्वीराज कपूर उन्हें स्कूल की छुट्टियों के दौरान स्टेज पर अभिनय करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। इसी का नतीजा रहा कि शशि के बड़े भाई राजकपूर ने उन्हें 'आग' (1948 ई.) और 'आवारा' (1951 ई.) में भूमिकाएँ दीं। 'आवारा' में उन्होंने राजकपूर के बचपन का रोल किया था।जेनिफ़र से भेंट
जिन दिनों शशि कपूर 'पृथ्वी थिएटर' में काम कर रहे थे, उन दिनों ब्रिटेन की मशहूर नाटक मंडली 'शेक्सथियरेना' भारत दौरे पर आई। इस यात्रा के दौरान जब यह थिएटर मंडली मुंबई पहुंची, तो उसके संचालक मिस्टर केण्डेल, शशि कपूर के पिता से मिले। दोनों की पहले से ही जान-पहचान थी। पृथ्वीराज के दो बेटों राजकपूर और शम्मी कपूर को थिएटर से कुछ लेना-देना नहीं था, क्योंकि तब तक वे फ़िल्मों में अपनी जगह बना चुके थे। शशि अभी भी स्टेज को अपनाए हुए थे, क्योंकि मिस्टर केण्डेल एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ स्टेज की बारीकियों से भली-भांति परिचित थे। इसलिए पापाजी ने पुत्र शशि को उनसे मिलाया और बेटे को चांस देने के लिए आग्रह किया। शशि कपूर को शेक्सथियरेना से बुलावा आ गया। अब वे कभी पृथ्वी थिएटर के नाटक में काम करते, तो कभी मिस्टर केण्डेल की शागिर्दी करते। इस बीच उनकी मुलाकात केण्डेल की बेटी जेनिफ़र से हो गई। जानकारी मिली कि जेनिफ़र सिर्फ़ एक प्रतिभावान अभिनेत्री ही नहीं हैं, शेक्सथियरेना के संचालन में भी उनका बहुत बड़ा योगदान है। शशि-जेनिफ़र का परिचय धीरे-धीरे मित्रता में बदलने लगा। इसी दौरान जेनिफ़र ने हिन्दी भी सीख ली। एक दिन शशि ने मजाक में कहा, मैं तुम्हारे पापा और उनकी कंपनी में काम कर रहा हूँ, तुम भी मेरे पापा के थिएटर में काम करो? जेनिफ़र ने कहा, क्यों नहीं! ज़रूर करूँगी। उसके बाद पृथ्वी थिएटर के नाटक 'पठान' में जेनिफ़र रोल निभाती नजर आईं। शशि जहाँ एक ओर हैरान थे, तो दूसरी ओर ओर जेनिफ़र की प्रतिभा और लगन के कायल भी हो रहे थे।[1]टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बच्चन, श्रीवास्तव। मेरे जीवनसाथी/शशि कपूर-जेनिफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 28 फ़रवरी, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 2.3 सदाबहार अभिनेता है शशि कपूर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 28 फ़रवरी, 2012।
- ↑ शशि कपूर की अंतिम विदाई, अस्पताल से घर पहुंचा पार्थिव शरीर (हिंदी) timesnownews.com। अभिगमन तिथि: 05 दिसम्बर, 2017।
- ↑ मुझे बबुआ कहकर बुलाते थे शशि कपूर, अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग लिखकर दी श्रद्धांजलि (हिंदी) khabar.ndtv.com। अभिगमन तिथि: 05 दिसम्बर, 2017।
- ↑ शशि कपूर की मृत्यु (हिंदी) timesnownews.com। अभिगमन तिथि: 05 दिसम्बर, 2017।