महबूब ख़ान
महबूब ख़ान
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पूरा नाम | महबूब रमजान ख़ान |
प्रसिद्ध नाम | महबूब ख़ान |
जन्म | 9 सितम्बर, 1907 |
जन्म भूमि | बिलमिरिया, गुजरात |
मृत्यु | 28 मई, 1964 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय सिनेमा |
मुख्य फ़िल्में | 'मदर इण्डिया', 'सन ऑफ़ इंडिया', 'अमर', 'तकदीर', 'रोटी', 'एक ही रास्त' आदि। |
प्रसिद्धि | फ़िल्म निर्माता-निर्देशक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | महबूब स्टूडियो |
अन्य जानकारी | महबूब ख़ान ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत 1927 में प्रदर्शित फ़िल्म 'अलीबाबा एंड फोर्टी थीफ्स' से अभिनेता के रूप में की। इस फ़िल्म में उन्होंने चालीस चोरों में से एक चोर की भूमिका निभाई थी। |
महबूब रमज़ान ख़ान (अंग्रेज़ी: Mehboob Khan, जन्म- 9 सितम्बर, 1907, बिलमिरिया, गुजरात; मृत्यु- 28 मई, 1964)[1] भारतीय सिनेमा इतिहास के अग्रणी निर्माता-निर्देशक थे। हिन्दी सिनेमा जगत् के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख़्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फ़िल्मों का तोहफा दिया। वह युवावस्था में घर से भागकर मुंबई आ गए और एक स्टूडियो में काम करने लगे। भारतीय सिनेमा को आधुनिकतम तकनीकी से सँवारने में अग्रणी निर्माता-निर्देशक महबूब ख़ान का अहम किरदार रहा है। महबूब ख़ान हॉलीवुड की फ़िल्मों से बहुत अधिक प्रभावित थे और भारत में भी उच्च स्तर के चलचित्रों का निर्माण करने में जुटे रहते थे।
विषय सूची
परिचय
महबूब ख़ान का जन्म 9 सितम्बर, सन 1907 को गुजरात के सूरत शहर के निकट एक छोटे-से गाँव में ग़रीब परिवार में हुआ था। शुरू से ही वह एक मेहनतकश इन्सान थे, इसीलिए उन्होंने अपने निर्माण संस्थान 'महबूब प्रोडक्शन' का चिन्ह 'हंसिया-हथौड़े' को दर्शाता हुआ रखा। जब वह 1925 के आसपास बम्बई नगरी (वर्तमान मुम्बई) में आये तो इंपीरियल कम्पनी ने उन्हें अपने यहाँ सहायक के रूप में रख लिया। कई वर्ष बाद उन्हें फ़िल्म 'बुलबुले बगदाद' में खलनायक का किरदार निभाना पड़ा।