देवानंद
देवानंद
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पूरा नाम | धर्मदेव आनंद |
प्रसिद्ध नाम | 'देवानंद' अथवा 'देव आनंद' |
अन्य नाम | देव साहब |
जन्म | 26 सितंबर, 1923 |
जन्म भूमि | पंजाब के गुरदासपुर ज़िले (अब पाकिस्तान में) |
मृत्यु | 3 दिसम्बर 2011 (88 वर्ष) |
मृत्यु स्थान | लंदन, इंग्लैंड |
अभिभावक | पिशौरीमल आनंद |
पति/पत्नी | कल्पना कार्तिक |
संतान | सुनील आनंद |
कर्म भूमि | मुंबई |
कर्म-क्षेत्र | फ़िल्म निर्माता-निर्देशक, अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | 'गाइड', 'हम दोनों', 'बाज़ी', 'काला बाज़ार', 'असली नक़ली', 'ज्वेलथीफ़', 'जॉनी मेरा' नाम आदि। |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर |
पुरस्कार-उपाधि | दो बार फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार, पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 19:43, 2 अक्टूबर 2011 (IST)
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देवानंद पूरा नाम धर्मदेव आनंद (जन्म- 26 सितंबर, 1923, पंजाब; मृत्यु- 3 दिसम्बर, 2011, लंदन) भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर के प्रसिद्ध अभिनेता थे जो जीवन भर सक्रिय और चर्चित रहे। वे अभिनेता के साथ-साथ निर्माता-निर्देशक भी थे। वे बॉलीवुड में 'देव साहब' के नाम से एक ज़िन्दादिल और भले इंसान के रूप में प्रसिद्ध थे। भारतीय सिनेमा में दो पीढ़ियों तक लगातार हीरो बने रहने वाले कलाकार के विषय में यदि विचार करें तो केवल एक ही नाम उभरता है और वह है देव आनंद। कभी अपनी एक फ़िल्म में उन्होंने एक गीत गुनगुनाया था 'मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाता चला गया' और शायद यही गीत उनके जीवन को सबसे अच्छी तरह परिभाषित भी करता है। देव आनंद का नाम हिंदी सिने जगत् के आकाश में स्टाइल गुरु बनकर जगमगाता है। सदाबहार अभिनेता देव आनंद को लोग 'एवरग्रीन देव साहब' कह कर पुकारते हैं। सदाबहार देवानंद का जलवा अब भी बरक़रार है। छह दशक से अधिक समय तक रुपहले परदे पर राज करने वाले देवानंद साहब का 26 सितंबर को जन्मदिन पड़ता है और 88 वर्ष की उम्र हृदयगति रुक जाने से 3 दिसम्बर 2011 को उनका देहावसान हुआ।
जीवन परिचय
जन्म और बचपन
बॉलीवुड सदाबहार हीरो देव आनंद का पूरा नाम धर्मदेव पिशौरीमल आनंद है। देव आनंद जो कि भारतीय सिनेमा के महान् कलाकार, निर्माता व निर्देशक हैं, का जन्म अविभाजित पंजाब के गुरदासपुर ज़िले (अब पाकिस्तान में) में 26 सितंबर, 1923 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में और प्रसिद्ध वकील पिशौरीमल आनंद नामक एक संपन्न घर हुआ था। उनका बचपन का नाम धर्मदेव (देवदत्त) पिशौरीमल आनंद था।
उनका बचपन परेशानियों से घिरा रहा। बचपन से ही उनका झुकाव अपने पिता के पेशे वकालत की ओर न होकर अभिनय की ओर था। एक वकील और आज़ादी के लिए लड़ने वाले पिशौरीमल के घर पैदा होने वाले देव ने रद्दी की दुकान से जब बाबूराव पटेल द्वारा सम्पादित 'फ़िल्म इंडिया' के पुराने अंक पढ़े तो उन की आंखों ने फ़िल्मों में काम करने का सपना देख डाला और वह माया नगरी मुम्बई के सफर पर निकल पड़े।
शिक्षा
देव आनंद ने अंग्रेज़ी साहित्य में अपनी स्नातक की शिक्षा 1942 में लाहौर के मशहूर गवर्नमेंट कॉलेज से पूरी की। इस कॉलेज ने फ़िल्म और साहित्य जगत् को बलराज साहनी, चेतन आनंद, बी. आर. चोपड़ा और खुशवंत सिंह जैसे शख़्सियतें दी हैं। इसके बाद वे उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते थे लेकिन पिता के पास इतने पैसे नहीं थे।
नौकरी
देव आनंद को अपनी पहली नौकरी मिलिट्री सेन्सर ऑफिस (आर्मी करेस्पांडेंस सेंसर डिपार्टमेंट) में एक लिपिक के तौर पर मिली जहाँ उन्हें सैनिकों द्वारा लिखी चिट्ठियों को उनके परिवार के लोगों को पढ़ कर सुनाना पड़ता था। इस काम के लिए देव आनंद को 165 रुपये मासिक वेतन के रूप में मिला करता था जिसमें से 45 रुपये वह अपने परिवार के खर्च के लिए भेज दिया करते थे। लगभग एक वर्ष तक मिलिट्री सेन्सर में नौकरी करने के बाद और परिवार की कमज़ोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह 30 रुपये जेब में ले कर पिता के मुंबई जाकर काम न करने की सलाह के विपरीत देव अपने भाई चेतन आनंद के साथ फ्रंटियर मेल से 1943 में मुंबई पहुँच गये। चेतन आनंद उस समय भारतीय जन नाटय संघ इप्टा से जुड़े हुए थे। उन्होंने देव आनंद को भी अपने साथ इप्टा में शामिल कर लिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एक सदाबहार अभिनेता की सदाबहार कहानी: देवानंद (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण junction। अभिगमन तिथि: 4 दिसंबर, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
- सोनिया गाँधी घर ले गईं देव आनन्द का लाल गुलाब
- ज़िंदगी का साथ निभाते निभाते चले गए देवानंद
- रोमांसिंग विद : देव आनन्द
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