सुनील दत्त
सुनील दत्त
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पूरा नाम | बलराज रघुनाथ दत्त |
जन्म | 6 जून, 1929 |
जन्म भूमि | गाँव खुर्दी, पंजाब (पाकिस्तान) |
मृत्यु | 25 मई, 2005 |
मृत्यु स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | नर्गिस दत्त |
संतान | संजय दत्त, प्रिया दत्त, नम्रता दत्त |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, राजनीतिज्ञ |
मुख्य फ़िल्में | मदर इंडिया, वक़्त, मिलन, मेहरबान, हमराज़, साधना, सुजाता, मुझे जीने दो, ख़ानदान, पड़ोसन, नागिन, जानी दुश्मन आदि। |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | जय हिंद कॉलेज |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (दो बार), पद्मश्री, फ़िल्मफ़ेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार, फाल्के रत्न पुरस्कार |
प्रसिद्धि | अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
अन्य जानकारी | सुनील दत्त 2004 - 05 के दौरान भारत सरकार में युवा मामलों और खेल विभाग में कैबिनेट मंत्री रहे। |
सुनील दत्त (अंग्रेज़ी: Sunil Dutt, जन्म- 6 जून, 1929 गाँव खुर्दी, पंजाब (पाकिस्तान); मृत्यु- 25 मई, 2005, मुंबई) भारतीय सिनेमा में एक ऐसे अभिनेता थे जिनको पर्दे पर देख एक आम हिन्दुस्तानी अपनी ज़िंदगी की झलक देखता था। सुनील दत्त 2004-05 के दौरान भारत सरकार में युवा मामलों और खेल विभाग में कैबिनेट मंत्री भी रहे।[1] सुनील दत्त का वास्तविक नाम बलराज रघुनाथ दत्त था।
जीवन परिचय
हिन्दी सिनेमा जगत में सुनील दत्त को एक ऐसी शख़्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म निर्माण, निर्देशन और अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उनके किरदार वास्तविक जीवन के बहुत क़रीब होते थे और उनका व्यक्तित्व भी उनके किरदार की तरह उज्ज्वल और प्रभावशाली रहा। सुनील दत्त का जन्म 6 जून, 1929 को पंजाब (पाकिस्तान) के झेलम ज़िले के खुर्दी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सुनील दत्त बचपन से ही अभिनय के क्षेत्र में जाना चाहते थे। बलराज साहनी फ़िल्म इंडस्ट्री में अभिनेता के रुप में उन दिनों स्थापित हो चुके थे, इसे देखते हुए उन्होंने अपना नाम बलराज दत्त से बदलकर सुनील दत्त रख लिया। उनका बचपन यमुना नदी के किनारे मंदाली गाँव में बीता जो हरियाणा प्रदेश में है। सुनील दत्त इसके बाद लखनऊ चले गये और जहाँ पर वह अख्तर नाम से अमीनाबाद गली में एक मुसलमान औरत के घर पर रहे। कुछ समय बाद अपने सपनों को पूरा करने के लिए वह मुंबई चले गए।[1]
कार्यक्षेत्र
मुम्बई आकर सुनील दत्त ने मुंबई परिवहन सेवा के बस डिपो में चेकिंग क्लर्क के रुप में कार्य किया, जहाँ उनको 120 रुपए महीने के मिलते थे। फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए 1955 से 1957 तक सुनील दत्त संघर्ष करते रहे। हिन्दी सिनेमा जगत में अपने पैर जमाने के लिए वह ज़मीन की तलाश में एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो भटकते रहे थे। उसके बाद सुनील दत्त ने 'जय हिंद कॉलेज' में पढ़कर स्नातक किया। सुनील दत्त ने रेडियो सिलोन की हिन्दी सेवा के उद्घोषक के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया था। जहाँ वह फ़िल्मी कलाकारों का इंटरव्यू लिया करते थे। एक इंटरव्यू के लिए उन्हें 25 रुपये मिलते थे। यह दक्षिण एशिया की पचास के दशक मे सबसे लोकप्रिय रेडियो सेवा थी।
विवाह
सुनील दत्त ने 'मदर इंडिया' फ़िल्म की शूटिंग के दौरान एक आग की दुर्घटना में नर्गिस को अपनी जान की परवाह किये बिना बचाया। इस हादसे में सुनील दत्त काफ़ी जल गए थे तथा नर्गिस पर भी आग की लपटों का असर पड़ा था। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके स्वस्थ होकर बाहर निकलने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। नर्गिस 11 मार्च, 1958 में सुनील दत्त की जीवन संगिनी बन गई।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 1.7 1.8 हिन्दी सिनेमा के बिरजू सुनील दत्त (हिन्दी) बॉलीबुड ब्लॉग। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2011।
- ↑ सूची पूरी नहीं हैं
- ↑ 3.0 3.1 सुनील दत्त (हिन्दी) पी7 न्यूज। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2011।