शम्मी का फ़िल्मी सफ़र

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शम्मी का फ़िल्मी सफ़र
शम्मी
पूरा नाम नरगिस रबाड़ी
प्रसिद्ध नाम शम्मी आंटी
जन्म 24 अप्रैल, 1929
जन्म भूमि बॉम्बे (अब मुंबई)
मृत्यु 6 मार्च, 2018
मृत्यु स्थान मुंबई
पति/पत्नी सुल्तान अहमद
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र सिनेमा जगत
मुख्य फ़िल्में 'बाग़ी', 'आग का दरिया', 'मुन्ना', 'रुखसाना', 'पहली झलक', 'लगन', 'बंदिश', 'मुसाफ़िरखाना', 'आज़ाद', 'दिल' अपना और 'प्रीत परायी' आदि
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी आशा पारेख के साथ मिलकर शम्मी आंटी ने ‘बाजे पायल’, ‘कोरा क़ागज़’, ‘कंगन’ और ‘कुछ पल साथ तुम्हारा’ जैसे धारावाहिकों का निर्माण भी किया।
अद्यतन‎

शम्मी का फ़िल्मों में आना सिर्फ़ एक संयोग था, हालांकि रिश्तेदारी-बिरादरी में उनके इस क़दम का उस वक़्त विरोध भी बहुत हुआ था। जब वो सिर्फ़ तीन साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया। आय का कोई साधन नहीं था इसलिए दोनों बेटियों के पालन-पोषण के लिए उनकी मां को बहुत तक़लीफ़ें सहनी पड़ीं। जब वो दोनों थोड़ी बड़ी हुईं तो उन्हें अपनी पढ़ाई का ख़र्च ख़ुद उठाने के लिए टाटा की खिलौना फैक्ट्री में काम करना पड़ा। उनकी बड़ी बहन पीपुल्स थिएटर की सक्रिय सदस्या थीं इसलिए उनके साथ नाटकों की रिहर्सल में शम्मी आंटी का भी अक्सर आना-जाना होता था, जहां उनकी मुलाक़ात महबूब ख़ान के सहायक चिमनकांत गांधी से हुई थी।

पहली फ़िल्म

चिमनकांत गांधी ने उन्हें न सिर्फ़ फ़िल्मों में काम करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि निर्माता-निर्देशक-अभिनेता शेख़ मुख़्तार से भी मिलवाया जो उन दिनों फ़िल्म ‘उस्ताद पेड्रो’ में सहनायिका की भूमिका के लिए किसी नई लड़की की तलाश में थे। शेख़ मुख़्तार के घर पर उनसे मुलाक़ात हुई तो उनका पहला सवाल था, हिन्दी बोल लेती हो? इस पर उन्होंने कहा, “आपसे बात कर रही हूं तो बोल ही लेती हूँ।“ उनका ये बेबाक अंदाज़ शेख़ मुख़्तार को इतना पसन्द आया कि उन्होंने उसी वक़्त उन्हें फ़िल्म ‘उस्ताद पेड्रो’ की दूसरी नायिका की भूमिका के लिए साईन कर लिया।“ क़रीब डेढ़ साल में तैयार हुई ‘उस्ताद पेड्रो’ साल 1951 में प्रदर्शित हुई थी। इस फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में ख़ुद शेख़ मुख़्तार, एन.ए.अंसारी और बेगम पारा थे और संगीतकार थे सी.रामचन्द्र। शम्मी आंटी ने इस फ़िल्म में एन.ए.अंसारी की नायिका की भूमिका निभायी थी।

फ़िल्म ‘उस्ताद पेड्रो’ के निर्देशक तारा हरीश उन दिनों गायक मुकेश द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘मल्हार’ का भी निर्देशन कर रहे थे। फ़िल्म ‘उस्ताद पेड्रो’ में शम्मी आंटी की लगन और मेहनत को देखकर तारा हरीश ने फ़िल्म ‘मल्हार’ की नायिका की भूमिका भी शम्मी आंटी को ही दे दी। इस फ़िल्म में शम्मी आंटी के नायक थे अर्जुन। ये फ़िल्म भी साल 1951 में ही प्रदर्शित हुई थी। शम्मी आंटी का असली नाम नरगिस रबाड़ी है, लेकिन चूंकि नरगिस उस जमाने की एक बहुत बड़ी स्टार थीं इसलिए तारा हरीश ने उन्हें ये नया नाम ‘शम्मी आंटी’ दिया जो फ़िल्म ‘मल्हार’ के चरित्र का नाम था।“ साल 1952 में दिलीप कुमार और मधुबाला के साथ फ़िल्म ‘संगदिल’ में शम्मी आंटी सहनायिका की भूमिका में नज़र आयीं। इस फ़िल्म से दिलीप कुमार के साथ हुई उनकी दोस्ती आज भी बरकरार है।

फ़िल्म निर्माण के रूप में

शम्मी आंटी अपने पति निर्माता-निर्देशक सुल्तान अहमद के साथ मिलकर फ़िल्म ‘हीरा’ (1973) और ‘गंगा की सौगंध’ (1978) का निर्माण किया, जिनका निर्देशन ख़ुद सुल्तान अहमद ने किया था। इसके साथ ही शम्मी आंटी बाहर की फ़िल्मों में अभिनय भी करती रहीं। लेकिन कुछ ख़ास वजहों से महज़ सात साल बाद उन्हें पति से अलग हो जाना पड़ा। पति से अलगाव के बाद शम्मी आंटी ने संगीतकार कल्याण जी के बेटे रमेश शाह के साथ मिलकर फ़िल्म ‘पिघलता आसमान’ का निर्माण किया था। साल 1985 में प्रदर्शित हुई इस फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में शशि कपूर, राखी और रति अग्निहोत्री थे। इस फ़िल्म के संगीतकार थे कल्याण जी आनंद जी।

धारावाहिक निर्माण

आशा पारेख के साथ मिलकर शम्मी आंटी ने ‘बाजे पायल’, ‘कोरा क़ागज़’, ‘कंगन’ और ‘कुछ पल साथ तुम्हारा’ जैसे धारावाहिकों का निर्माण भी किया। आज भी दोनों अभिनेत्रियां बहुत अच्छी दोस्त हैं। अपने अब तक के कॅरियर में क़रीब दो सौ फ़िल्मों में छोटी-बड़ी भूमिकाएं निभाने के साथ ही उन्हें ‘देख भाई देख’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वो’ जैसे कई टी. वी. धारावाहिकों में भी अभिनय किया। ‘सहारा वन’ चैनल के धारावाहिक ‘घर एक सपना’ में वो आलोक नाथ की मां की भूमिका में नज़र आयी थीं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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