ललिता पवार
ललिता पवार
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पूरा नाम | अंबा लक्ष्मण राव शागुन |
प्रसिद्ध नाम | ललिता पवार |
जन्म | 18 अप्रैल, 1916 |
जन्म भूमि | नासिक, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 24 फरवरी, 1998 |
मृत्यु स्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
अभिभावक | लक्ष्मण राव शागुन (पिता) |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री |
मुख्य फ़िल्में | ‘राजकुमारी’ (1938), ‘हिम्मत-ए-मर्द’ (1935), ‘श्री 420’ , ‘आनंद’ ‘अनाड़ी’, सुजाता, हम दोनो आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री (1959), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1961) |
नागरिकता | भारतीयता |
अन्य जानकारी | ललिता पवार ने लगभग 600 फ़िल्मों में काम किया और 'शो मस्ट गो ऑन' की भावना को जिया। |
ललिता पवार (अंग्रेज़ी: Lalita Pawar, जन्म- 18 अप्रैल, 1916; मृत्यु- 24 फ़रवरी, 1998) हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। जिन्होंने अभिनय की यात्रा का सात दशक लंबा सफर तय किया। भारतीय नारी का जीवन जीते हुए एक संजीदा कलाकार जिन्होंने सिनेमा को कई यादगार फ़िल्में दीं। ‘जंगली’ की सख्त मां, ‘श्री 420’ की केला बेचने वाली, ‘आनंद’ की संवेदनशील मातृछवि और ‘अनाड़ी’ की मिसेज डिसूजा सहित अनेक चरित्रों की जीवंत छवियों को कैसे भूला जा सकता है। रामानन्द सागर द्वारा निर्मित 'रामायण' धारावाहिक में मंथरा की भूमिका को सजीव भी ललिता पवार ने ही बनाया था।
जीवन परिचय
ललिता पवार (वास्तविक नाम: 'अंबा लक्ष्मण राव शागुन') ने नासिक के नाम से निकट येवले में 18 अप्रैल, 1916 को जन्म लिया। उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक लंबा सफर तय किया। वे सिनेमा के आरंभिक दौर से लेकर आधुनिक समय तक की द्रष्टाऔर साक्षी थीं। मूक फ़िल्मों की मौन भाषा से लेकर बोलती फ़िल्मों के वाचाल जादू के दौर को उन्होंने देखा। भारतीय सिनेमा को परवान चढ़ते देखा। इस विकास-क्रम का एक हिस्सा बनीं। स्त्री-जीवन के विविध आयामों को पर्दे पर निभाया। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक विभिन्न स्त्री-छवियों में ललिता घुल-मिल गईं। भारतीय नारी के हर एक चरित्र में ढल गईं। ललिता पवार हिंदी सिनेमा में भारतीय नारी जीवन की एक महान् कलाकार थीं। इस क्रम में एक परंपरागत सास की छवि को उन्होंने इतना बखूबी निभाया कि यह उनकी पहचान ही बन गई।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 पांडेय, प्रमोद कुमार। ललिता पवार की कुछ बातें (हिन्दी) सृजनगाथा। अभिगमन तिथि: 16 नवम्बर, 2012।