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====प्रान्त में नियंत्रण==== | ====प्रान्त में नियंत्रण==== | ||
'''प्रान्तों में दीवान का पद''' [[सूबेदार]] के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी सम्राट के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।<ref name="bik"></ref> | '''प्रान्तों में दीवान का पद''' [[सूबेदार]] के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी सम्राट के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।<ref name="bik"></ref> | ||
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− | *दीवान-ए-अमीर कोही | + | *[[दीवान-ए-अमीर कोही]] अथवा [[कृषि]] विभाग। |
*दीवान-ए-अर्ज-अथवा सेना का विभाग। | *दीवान-ए-अर्ज-अथवा सेना का विभाग। | ||
− | *दीवान-ए- | + | *[[दीवान-ए-बंदगान]] अथवा दास विभाग। |
− | *दीवान-ए-इंशा | + | *[[दीवान-ए-इंशा]] अथवा पत्राचार विभाग। |
− | *दीवान-ए- | + | *[[दीवान-ए-इस्तिहक़]] अथवा पेंशन विभाग। |
− | *दीवान-ए-ख़ैरात | + | *[[दीवान-ए-ख़ैरात]] अथवा दान विभाग। |
− | *दीवान-ए-ख़ास | + | *दीवान-ए-ख़ास अथवा सम्राट का अंतरंग सभाकक्ष। |
− | *दीवान-ए- | + | *[[दीवान-ए-मुस्तख़राज]] अथवा कर वसूल करने वालों से बक़ाया वसूल करने वाला विभाग। |
*दीवान-ए-क़ाजिए-ममालक-अथवा न्या, गुप्तचरी और डाक विभाग। | *दीवान-ए-क़ाजिए-ममालक-अथवा न्या, गुप्तचरी और डाक विभाग। | ||
*दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग। | *दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग। | ||
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06:49, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण
दीवान यह मुग़ल प्रशासन में सबसे बड़ा अधिकारी होता था। वह राजस्व एवं वित्त का एकमात्र प्रभारी होता था। उसकी नियुक्ति न केवल केन्द्रीय सरकार में वरन प्रान्तीय सरकारों में भी होती थी। आज भारत में दीवान का पद कई विभागों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है।[1]
प्रान्त में नियंत्रण
प्रान्तों में दीवान का पद सूबेदार के बाद माना जाता था। प्रान्तों में दीवान भी सम्राट के द्वारा नियुक्त किया जाता था, जो केवल सम्राट के प्रति ही उत्तरदायी होता था। इस प्रकार वह सूबेदार को मनमानी करने से रोकता था।[1]
दीवान शब्द का प्रयोग
इस शब्द का प्रयोग सामान्यत: एक विभाग के लिए होता था, यथा-
- दीवान-ए-आम, अथवा सम्राट का कार्यालय।
- दीवान-ए-अमीर कोही अथवा कृषि विभाग।
- दीवान-ए-अर्ज-अथवा सेना का विभाग।
- दीवान-ए-बंदगान अथवा दास विभाग।
- दीवान-ए-इंशा अथवा पत्राचार विभाग।
- दीवान-ए-इस्तिहक़ अथवा पेंशन विभाग।
- दीवान-ए-ख़ैरात अथवा दान विभाग।
- दीवान-ए-ख़ास अथवा सम्राट का अंतरंग सभाकक्ष।
- दीवान-ए-मुस्तख़राज अथवा कर वसूल करने वालों से बक़ाया वसूल करने वाला विभाग।
- दीवान-ए-क़ाजिए-ममालक-अथवा न्या, गुप्तचरी और डाक विभाग।
- दीवान-ए-रिसालात-अथवा अपील विभाग।
- दीवान-ए-रिसायत अथवा हाट अधीक्षकों का विभाग।
यह शब्दावली प्रकट करती है कि दिल्ली के सम्राटों की प्रशासन पद्धति में एक प्रकार की विभागीय व्यवस्था थी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख