नजातुर-रशीद नामक पुस्तक को हिजरी 999 (1590-91 ई.) में इतिहासकार ख़्वाजा निजामुद्दीन अहमद की फरमाइश पर मुल्ला बदायूँनी ने लिखा था। निजामुद्दीन अहमद खुद भी बड़ा इतिहासकार और सल्तनत बख्शी[1] था। वह दूसरों को भी ऐसे कामों के लिए प्रोत्साहित करता था।[2]
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नजातुर-रशीद नामक पुस्तक को हिजरी 999 (1590-91 ई.) में इतिहासकार ख़्वाजा निजामुद्दीन अहमद की फरमाइश पर मुल्ला बदायूँनी ने लिखा था। निजामुद्दीन अहमद खुद भी बड़ा इतिहासकार और सल्तनत बख्शी[1] था। वह दूसरों को भी ऐसे कामों के लिए प्रोत्साहित करता था।[2]
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