"नादिरा बेगम": अवतरणों में अंतर
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'''नादिरा बेगम''' [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के ज्येष्ठ पुत्र [[दारा शिकोह]] की बेगम (पत्नी) थी। राजगद्दी के उत्तराधिकार के युद्ध में शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कलह छिड़ चुका था और समस्त [[मुग़ल साम्राज्य]] में अराजकता का माहौल व्याप्त था। | '''नादिरा बेगम''' [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के ज्येष्ठ पुत्र [[दारा शिकोह]] की बेगम (पत्नी) थी। राजगद्दी के उत्तराधिकार के युद्ध में शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कलह छिड़ चुका था और समस्त [[मुग़ल साम्राज्य]] में अराजकता का माहौल व्याप्त था। | ||
*सिंहासन के उत्तराधिकार के लिए शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कई युद्ध लड़े गये। | *सिंहासन के उत्तराधिकार के लिए शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कई युद्ध लड़े गये। | ||
*इन युद्धों में [[सामूगढ़]] | *इन युद्धों में [[सामूगढ़ का युद्ध]] निर्णायक सिद्ध हुआ, जिसमें दारा शिकोह [[औरंगज़ेब]] द्वारा बुरी तरह परास्त हुआ। | ||
*सामूगढ़ के युद्ध के उपरान्त नादिरा बेगम अपने पति दारा के साथ पलायन कर गई। | *सामूगढ़ के युद्ध के उपरान्त नादिरा बेगम अपने पति दारा के साथ पलायन कर गई। | ||
*संकट के इन दिनों में दारा के साथ ही नादिरा बेगम ने पति की तरह समस्त दु:ख एवं कष्ट सहे। | *संकट के इन दिनों में दारा के साथ ही नादिरा बेगम ने पति की तरह समस्त दु:ख एवं कष्ट सहे। |
07:17, 5 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
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नादिरा बेगम मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह की बेगम (पत्नी) थी। राजगद्दी के उत्तराधिकार के युद्ध में शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कलह छिड़ चुका था और समस्त मुग़ल साम्राज्य में अराजकता का माहौल व्याप्त था।
- सिंहासन के उत्तराधिकार के लिए शाहजहाँ के पुत्रों के बीच कई युद्ध लड़े गये।
- इन युद्धों में सामूगढ़ का युद्ध निर्णायक सिद्ध हुआ, जिसमें दारा शिकोह औरंगज़ेब द्वारा बुरी तरह परास्त हुआ।
- सामूगढ़ के युद्ध के उपरान्त नादिरा बेगम अपने पति दारा के साथ पलायन कर गई।
- संकट के इन दिनों में दारा के साथ ही नादिरा बेगम ने पति की तरह समस्त दु:ख एवं कष्ट सहे।
- अन्तत: इन दारुण दु:खों को और अधिक सहन करने में असमर्थ होकर दादर जाते समय 1659 ई. में नादिरा बेगम की मृत्यु हो गई।
- नादिरा की मृत्यु से दारा शिकोह को गहरा आघात पहुँचा और वह बुरी तरह से टूट गया।
- कुछ दिनों बाद ही अपने एक सरदार के विश्वासघात के कारण दारा शिकोह भी औरंगज़ेब के सैनिकों द्वारा पकड़ा गया और उसका सिर काट लिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 219 |