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*[[अप्रैल]], 1756 ई. में नवाब अलीवर्दी ख़ाँ की मृत्यु के शौकतजंग [[पूर्णिया]] (पूर्निया) का सूबेदार ([[राज्यपाल]]) था। | *[[अप्रैल]], 1756 ई. में नवाब अलीवर्दी ख़ाँ की मृत्यु के शौकतजंग [[पूर्णिया]] (पूर्निया) का सूबेदार ([[राज्यपाल]]) था। |
11:29, 8 जून 2012 के समय का अवतरण
शौकतजंग बंगाल के नवाब अलीवर्दी ख़ाँ (1740-1753 ई.) का दौहित्र था। वह सिराजुद्दौला (1753-1557 ई.) का मौसेरा भाई था। शौकतजंग और घसीटी बेगम, जो कि सिराजुद्दौला की मौसी थी, दोनों ही सिराजुद्दौला के कट्टर विरोधी थे।
- अप्रैल, 1756 ई. में नवाब अलीवर्दी ख़ाँ की मृत्यु के शौकतजंग पूर्णिया (पूर्निया) का सूबेदार (राज्यपाल) था।
- बंगाल की सूबेदारी पर सिराजुद्दौला के हक को चुनौती देते हुए शौकतजंग ने कुछ असंतुष्ट सरदारों के समर्थन से तत्कालीन मुग़ल सम्राट से सूबेदारी की सनद अपने नाम प्राप्त कर ली थी।
- शौकतजंग के स्वामित्व जमाने के पूर्व ही सिराजुद्दौला ने आक्रमण कर उसे परास्त किया और 1756 ई. में मार डाला।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 456 |