महमूद बेगड़ा

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महमूद बेगड़ा गुजरात का छठाँ सुल्तान था। वह तेरह वर्ष की उम्र में गद्दी पर बैठा और 52 वर्ष (1459-1511 ई.) तक सफलतापूर्वक राज्य करता रहा। महमूद को ‘बेगड़ा’ की उपाधि गिरिनार व जूनागढ़ तथा चम्पानेर के क़िलों को जीतने के बाद मिली थी। वह अपने वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक था। उसने गिरिनार के समीप ‘मुस्तफ़ाबाद’ की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया। चम्पानेर के समीप बेगड़ा ने 'महमूदबाद' की स्थापना की थी।

  • महमूद बेगड़ा ने बड़ौदा के निकट चम्पानेर तथा जूनागढ़ जीत लिया तथा अहमदनगर के सुल्तान को हराया।
  • उसने गुजरात के समुद्र तटों पर बढ़ रहे पुर्तग़ाली प्रभाव को कम करने के लिए कड़े उपाय किए।
  • उसने मिस्र के शासक से नौ-सेना की सहायता लेकर पुर्तग़ालियो से संघर्ष किया, परन्तु अपने इस कार्य में उसे सफलता नहीं मिली।
  • संस्कृत का विद्वान 'उदयराज' महमूद बेगड़ा का दरबारी कवि था तथा उसने 'महमूद चरित' नामक काव्य लिखा था।
  • बेगड़ा ने 1508 ई. में चोल की लड़ाई में पुर्तग़ाली जंगी बेड़े को हरा दिया था।
  • अगले वर्ष 1509 ई. में पुर्तग़ालियों से महमूद बेगड़ा का फिर संघर्ष हुआ, लेकिन इस बार उसका बेड़ा डुबो दिया गया।
  • अपने शासन काल के अंतिम वर्षों में महमूद बेगड़ा ने द्वारिका की विजय की थी।
  • 23 नवम्बर, 1511 को इसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र ख़लील ख़ाँ, मुजफ़्फ़र शाह द्वितीय की पदवी ग्रहण कर सिंहासन पर बैठा।
  • बेगड़ा ने बड़ी शानदार मूँछें बढ़ा रखी थीं और इतना अधिक खाता था कि उसके बारे में सारे देश में तरह-तरह की कपोल कथाएँ प्रचलित थीं।
  • एक इतालवी यात्री लुडोविको डी वारदेमा उसके राज्य में आया था, उसने भी इन कथाओं का उल्लेख किया है।


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