भीमपाल

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भीमपाल हिन्दूशाही वंश के राजा त्रिलोचनपाल का पुत्र था। हिन्दूशाही राजा जयपाल के पुत्र आनन्दपाल और उसके वंशज त्रिलोचनपाल तथा भीमपाल ने कई बार महमूद ग़ज़नवी से युद्ध किया। अलबेरूनी के अनुसार हिन्दूशाही राजाओं में कुछ तुर्क और कुछ हिन्दू थे। हिन्दू राजाओं को 'काबुलशाह' या 'महाराज धर्मपति' कहा जाता था। इन राजाओं में कल्लार, सामन्तदेव, भीम, अष्टपाल, जयपाल, आनन्दपाल, त्रिलोचनपाल, भीमपाल आदि उल्लेखनीय हैं।

  • हिन्दूशाही राजाओं ने लगभग साढ़े तीन सौ साल तक अरब आततायियों और लुटेरों को जबर्दस्त टक्कर दी और उन्हें सिंधु नदी पार करके भारत में नहीं घुसने दिया।
  • सर्वप्रथम महमूद ने भारत के सीमांत प्रदेशों और कुछ दुर्गों पर आक्रमण किया और धन इकट्ठा करने में सफलता प्राप्त की।
  • दूसरे आक्रमण में उसने जयपाल को पराजित किया। अपमानित होने के कारण जयपाल ने स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया।
  • 1008-09 में महमूद ने उसके पुत्र आनन्दपाल को पराजित किया। पंजाब पर अधिकार जमाने में और अपार सम्पत्ति हथियाने में महमूद को सफलता मिली।
  • तीसरे आक्रमण में झेलम नदी के तट पर स्थित मेरा के राजा को और चौथे आक्रमण में मुल्तान के शासक फ़तह दाउद को पराजित करने में महमूद को सफलता मिली। इस सफलता के बाद महमूद ग़ज़नवी ग़ज़नी वापस लौट गया।
  • कुछ लड़ाइयाँ लड़ने के बाद 1012 ई. में महमूद ने भारत के प्रसिद्ध व्यापारिक नगर थानेश्वर पर आक्रमण किया। यहाँ उसने हाथियों, गुलामों, मूर्तियों आदि को प्राप्त किया तथा अपार सम्पत्ति बटोरी।
  • भारत पर यह महमूद का नौवाँ आक्रमण था। अपने दसवें आक्रमण में उसने लाहौर को पस्त किया और उसके शासक आनन्दपाल के पुत्र त्रिलोचनपाल को खदेड़ दिया।
  • त्रिलोचनपाल का पुत्र भीमपाल भी भाग कर कश्मीर चला गया। भीमपाल को पकड़ने के लिए महमूद ने कश्मीर पर भी आक्रमण किया। यह उसका ग्यारहवाँ आक्रमण था। इस आक्रमण के बाद वह पुन: ग़ज़नी लौट गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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