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− | सुहास एल.वाई. की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग पूरी की। साल [[2005]] में [[पिता]] की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे। सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान | + | सुहास एल.वाई. की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग पूरी की। साल [[2005]] में [[पिता]] की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे। सुहास ने बताया था कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था। पिता की कमी खलती रही। उनका जाना सुहास के लिए बड़ा झटका था। इसी बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वॉइन करनी है। फिर क्या था, सब छोड़छाड़ कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग [[आगरा]] में हुई। फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बने। सुहास बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुके। |
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12:22, 5 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
सुहास एल.वाई.
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पूरा नाम | सुहास लालिनाकेरे यथिराज |
जन्म | 2 जुलाई, 1983 |
जन्म भूमि | हसन, कर्नाटक |
पति/पत्नी | रितु सुहास |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | बैडमिंटन |
पुरस्कार-उपाधि | 'यश भारती पुरस्कार' (2020) |
प्रसिद्धि | आईएएस अधिकारी तथा भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
क़द | 5 फीट 9 इंच |
अन्य जानकारी | 2016 में सुहास एल.वाई. ने बीजिंग एशियन चैंपियनशिप में पहली बार एसएल-4 (लोअर स्टैंडिंग) में हिस्सा लिया और स्वर्ण पर कब्जा जमाया। |
अद्यतन | 15:53, 5 सितम्बर 2021 (IST)
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सुहास लालिनाकेरे यथिराज (अंग्रेज़ी: Suhas Lalinakere Yathiraj, जन्म- 2 जुलाई, 1983) भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वह देश के पहले ऐसे आईएएस अफसर हैं, जिन्होंने ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020 (टोक्यो पैरालम्पिक) में देश का प्रतिनिधित्व किया है। वह साल 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं। साथ ही दुनिया के दूसरे नंबर के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी भी हैं। सुहास एल.वाई. बचपन से ही शौकिया तौर पर बैडमिंटन खेलते थे। वर्ष 2016 में सुहास एल.वाई. ने बीजिंग एशियन चैंपियनशिप में पहली बार एसएल-4 (लोअर स्टैंडिंग) में हिस्सा लिया और स्वर्ण पर कब्जा जमाया। टोक्यो, जापान में आयोजित पैरालम्पिक, 2020 में सुहास एल.वाई. ने 5 सितम्बर, 2021 को बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल-4 में देश के लिये रजत पदक जीता। सुहास को फ़्राँस के लुकास माजुर से हार का सामना करना पड़ा और वह स्वर्ण से चूक गये। मैच का स्कोर रहा 21-15, 17-21, 15-21। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुहास एल.वाई. को जीत के लिए बधाई दी है।
परिचय
कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है। जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से आईएएस नहीं बनना चाहते थे। वो बचपन से ही खेल के प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे। इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला। पैर पूरी तरह फिट नहीं था, ऐसे में समाज के ताने उन्हें सुनने को मिलते, लेकिन पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़े रहा और कभी भी सुहास का हौंसला नहीं टूटने दिया। सुहास के पिता उन्हें सामान्य बच्चों की तरह देखते थे। सुहास का क्रिकेट प्रेम उनके पिता की ही देन है। परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की। पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही।[1]
सुहास एल.वाई. 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं। सुहास की पत्नी रितु सुहास एक पीसीएस ऑफिसर हैं। सुहास को साल 2020 में 1 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की सरकार ने 'यश भारती अवॉर्ड' से नवाजा था। 3 दिसंबर 2016 को 'वर्ल्ड डिसेबिलिटी डे' के अवसर पर सुहास को स्टेट का बेस्ट पैरा स्पोर्ट्सपर्सन चुना गया था। गौरतलब है कि 2018 में जब सुहास बतौर डीएम इलाहाबाद में पदस्थ थे, उन्होंने इंडोनेशिया में आयोजित पैरालम्पिक एशियन गेम में देश को कांस्य पदक दिलाया था। विकलांगता को अपने परिश्रम और जुनून से शिकस्त देने वाले आईएएस अधिकारी सुहास चीन में आयोजित पैरालम्पिक बैडमिंटन चैम्पियनशिप में जीत हासिल कर चुके हैं।
सफलता
सुहास एल.वाई. की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग पूरी की। साल 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे। सुहास ने बताया था कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था। पिता की कमी खलती रही। उनका जाना सुहास के लिए बड़ा झटका था। इसी बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वॉइन करनी है। फिर क्या था, सब छोड़छाड़ कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई। फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बने। सुहास बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुके।
जिस खेल को वह पहले शौक के तौर पर खेलते थे, अब वह धीरे-धीरे उनके लिए जरूरत बन गया था। सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने इसे प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया। 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया। चीन में खेले गए बैंडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए थे, लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीत का फॉर्मूला भी मिल गया था और उसके बाद जीत के साथ ये सफर अभी तक लगातार जारी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पैरालम्पिक बैडमिंटन चैम्पियन भी रह चुके हैं गौतमबुद्ध नगर के नए DM (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 05 सितम्बर, 2021।