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[[माउंट आबू]] [[राजस्थान]] का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।
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[[चित्र:Achalgarh-Fort-Mount-Abu.jpg|thumb|250px|अचलगढ़ क़िला, [[माउंट आबू]] <br />Achalgarh Fort, Mount Abu]]
 
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*[[माउंट आबू]] [[राजस्थान]] का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।
*दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किमी.उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं।  
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*[[दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू|दिलवाड़ा के मंदिरों]] से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं।  
*अचलगढ़ क़िला [[मेवाड़]] के राजा [[राणा कुंभ]] ने एक पहाड़ी के ऊपर बनवाया था।  
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*राजस्थान में आबू के निकट अवस्थित अचलगढ़ पूर्व मध्यकाल में [[मालवा]] के परमारों की राजधानी रहा है।
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*अचलगढ़ क़िला [[मेवाड़]] के राजा [[राणा कुंभा]] ने एक पहाड़ी के ऊपर बनवाया था।  
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*[[परमार वंश|परमारों]] एवं [[चौहान वंश|चौहानों]] के इष्टदेव अचलेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर अचलगढ़ में ही है।
 
*पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है।  
 
*पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है।  
 
*कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव के पैरों के निशान हैं।  
 
*कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव के पैरों के निशान हैं।  
*नजदीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं।
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*नज़दीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं।
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*अचलगढ़ से प्राप्त एक शिलालेख से आबू के परमारों एवं सोलंकियों के इतिहास का अभिज्ञान होता है।
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[[चित्र:Mount-Abu-Lake.jpg|thumb|right|माउंट आबू|250px]]
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07:36, 25 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

अचलगढ़ क़िला, माउंट आबू
Achalgarh Fort, Mount Abu
  • माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।
  • दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं।
  • राजस्थान में आबू के निकट अवस्थित अचलगढ़ पूर्व मध्यकाल में मालवा के परमारों की राजधानी रहा है।
  • अचलगढ़ क़िला मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने एक पहाड़ी के ऊपर बनवाया था।
  • परमारों एवं चौहानों के इष्टदेव अचलेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर अचलगढ़ में ही है।
  • पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।
  • कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव के पैरों के निशान हैं।
  • नज़दीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं।
  • अचलगढ़ से प्राप्त एक शिलालेख से आबू के परमारों एवं सोलंकियों के इतिहास का अभिज्ञान होता है।
माउंट आबू
  • इस शिलालेख से यह ज्ञात होता है, कि दिलवाड़ा के विश्व प्रसिद्ध मन्दिर के निर्माताओं- यथा वस्तुपाल एवं तेजपाल ने जैन होने पर भी कई शिव मन्दिरों का उद्धार करवाया था।[1]

इतिहास

मालवा के परमार राजपूत मूलरूप से अचलगढ़ और चन्द्रावती के रहने वाले थे। 810 ई. के लगभग उपेंद्र अथवा कृष्णराज परमान ने इस स्थान को छोड़कर मालवा में पहली बार अपनी राजधानी स्थापित की थी। इससे पहले बहुत समय तक अचलगढ़ में परमारों का निवासस्थान रहा था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख