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*[[राजस्थान]] में [[भरतपुर]] के निकट एक ग्राम, जो [[फतेहपुर सीकरी]] से 10 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है।  
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'''खानवा''' [[राजस्थान]] में [[भरतपुर]] के निकट एक [[ग्राम]] है, जो [[फतेहपुर सीकरी]] से 10 मील {{मील|मील=10}} [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]]-[[पश्चिम दिशा|पश्चिम]] में स्थित है। '[[भारतीय इतिहास]]' में प्रसिद्ध '[[खानवा का युद्ध]]' [[मेवाड़]] के [[राणा साँगा]] और [[बाबर]] के मध्य इसी स्थान पर [[शनिवार]], [[17 मार्च]], 1527 ई. को हुआ था।
*यहाँ [[मेवाड़]] के [[राणा साँगा]] और [[बाबर]] के मध्य शनिवार, मार्च 16, 1527 ई. को भीषण युद्ध हुआ था।  
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*खानवा का युद्ध, जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है।  
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*'खानवा का युद्ध' जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है। यद्यपि [[राजपूत]] वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री [[बाबर]] को हासिल हुई।  
*यद्यपि राजपूत वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री बाबर को हासिल हुई।  
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*शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो, जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा।  
*शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा।  
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*[[पानीपत युद्ध]] का कार्य [[खानवा का युद्ध|खानवा के युद्ध]] ने पूरा किया।  
*[[पानीपत युद्ध]] का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया।  
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*[[बाबर]] द्वारा [[राणा साँगा]] पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब [[भारत]] विजय के सपने को साकार कर सकते थे।  
*बाबर द्धारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब [[भारत]] विजय के सपने को साकार कर सकते थे।  
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*[[खानवा]] की विजय ने [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल साम्राज्यवाद]] के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी।
*खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी।
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*राजपूतों की हार का एक कारण पवार राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था।  
*राजपूतों की हार का एक कारण पवांर राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था।  
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*इस युद्ध के पश्चात बाबर के क़दम भारत में पूरी तरह से जम गए जिससे भावी महान् [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल साम्राज्य]] की नींव पड़ी।  
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08:13, 24 मई 2018 के समय का अवतरण

खानवा राजस्थान में भरतपुर के निकट एक ग्राम है, जो फतेहपुर सीकरी से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम में स्थित है। 'भारतीय इतिहास' में प्रसिद्ध 'खानवा का युद्ध' मेवाड़ के राणा साँगा और बाबर के मध्य इसी स्थान पर शनिवार, 17 मार्च, 1527 ई. को हुआ था।

  • 'खानवा का युद्ध' जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है। यद्यपि राजपूत वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री बाबर को हासिल हुई।
  • शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो, जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा।
  • पानीपत युद्ध का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया।
  • बाबर द्वारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब भारत विजय के सपने को साकार कर सकते थे।
  • खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी।
  • राजपूतों की हार का एक कारण पवार राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था।
  • इस युद्ध के पश्चात् बाबर के क़दम भारत में पूरी तरह से जम गए, जिससे भावी महान् मुग़ल साम्राज्य की नींव पड़ी।
  • खानवा को 'कनवा' नाम से भी जाना जाता है।

इन्हें भी देखें: खानवा का युद्ध


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 130-131| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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