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'''कुनो राष्ट्रीय उद्यान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kuno National Park'') संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र है, जो [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य में श्योपुर और मुरैना ज़िले में विस्तारित है। इस उद्यान को वर्ष [[2018]] में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। कुनो राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन [[1981]] में हुई थी। राष्ट्रीय उद्यान बनाये जाने से पहले कुनो एक वन्यजीव अभ्यारण्य था। इसे पालपुर-कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नील गाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। साल [[2022]] में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आठ चीतों को लाकर छोड़ा गया है, जिसके बाद से इस उद्यान का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। | {{सूचना बक्सा पर्यटन | ||
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इस राष्ट्रीय उद्यान को पालपुर-कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यह लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1981 में इस वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। बाद में इस क्षेत्र में वृद्धि की गयी। इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। वर्ष [[2009]] में कुनो वन्यजीव अभयारण्य को भारत में [[चीता]] के पुनर्वास के लिए एक संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था। [[5 दिसंबर]], [[2018]] में राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बदल दिया और संरक्षित क्षेत्र को 413 वर्ग कि.मी. (159 वर्ग मील) तक बढ़ा दिया। | इस राष्ट्रीय उद्यान को पालपुर-कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यह लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1981 में इस वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। बाद में इस क्षेत्र में वृद्धि की गयी। इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। वर्ष [[2009]] में कुनो वन्यजीव अभयारण्य को भारत में [[चीता]] के पुनर्वास के लिए एक संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था। [[5 दिसंबर]], [[2018]] में राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बदल दिया और संरक्षित क्षेत्र को 413 वर्ग कि.मी. (159 वर्ग मील) तक बढ़ा दिया। |
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कुनो राष्ट्रीय उद्यान
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राज्य | मध्य प्रदेश, भारत |
ज़िला | श्योपुर और मुरैना |
स्थापना | 1981 |
प्रसिद्धि | भारत का पहला चीता उद्यान |
![]() |
ग्वालियर |
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मुरैना, भिंड, ग्वालियर |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल
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अन्य जानकारी | कूनो राष्ट्रीय उद्यान को 'भारत का पहला चीता उद्यान' घोषित किया गया है। देश के आखिरी चीता की सन 1947 में छत्तीसगढ़ में मृत्यु हो जाने के बाद 1952 में इसे भारत में विलुप्त घोषित किया गया था। |
कुनो राष्ट्रीय उद्यान (अंग्रेज़ी: Kuno National Park) संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में श्योपुर और मुरैना ज़िले में विस्तारित है। इस उद्यान को वर्ष 2018 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। कुनो राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन 1981 में हुई थी। राष्ट्रीय उद्यान बनाये जाने से पहले कुनो एक वन्यजीव अभ्यारण्य था। इसे पालपुर-कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नील गाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। साल 2022 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आठ चीतों को लाकर छोड़ा गया है, जिसके बाद से इस उद्यान का महत्त्व बहुत बढ़ गया है।
इतिहास
इस राष्ट्रीय उद्यान को पालपुर-कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यह लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1981 में इस वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। बाद में इस क्षेत्र में वृद्धि की गयी। इस वन्यजीव अभ्यारण में भारतीय भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ तथा नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं। वर्ष 2009 में कुनो वन्यजीव अभयारण्य को भारत में चीता के पुनर्वास के लिए एक संभावित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था। 5 दिसंबर, 2018 में राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बदल दिया और संरक्षित क्षेत्र को 413 वर्ग कि.मी. (159 वर्ग मील) तक बढ़ा दिया।
भारत का पहला चीता अभयारण्य
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को भारत का पहला चीता उद्यान घोषित किया गया है। देश के आखिरी चीता की सन 1947 में छत्तीसगढ़ में मृत्यु हो जाने के बाद 1952 में इसे भारत में विलुप्त घोषित किया गया था।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 72वें जन्मदिन (17 सितम्बर, 2022) पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को छोड़ा गया। नामीबिया से आठ चीतों को विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747-400 के जरिये ग्वालियर लाया गया था। इसके बाद इन्हें चिनूक हेलीकॉप्टर से कुनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया गया। इन आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। नामीबिया से 'प्रोजेक्ट चीता' के हिस्से के रूप में इन्हें भारत लाया गया। राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाये गये चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी का कहना था कि- "इससे भारत की प्रकृति प्रेरणा तेजी से जागृत होगी"।
प्रमुख बिन्दु
- भारत में एशियाटिक चीता विलुप्त हो चुके थे। भारत सरकार फिर से चीता को भारत में लाने हेतु प्रतिबद्ध थी। इसके लिए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया था।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता नामीबिया, अफ्रीका महाद्वीप से लाये गए। इस परियोजना का वित्तपोषण भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- गौरतलब है कि भारत सरकार 'चीता पुनर्वास परियोजना' को वर्ष 2009 में लायी थी। हालांकि इस परियोजना को अंतिम रूप से मंजूरी सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में ही दी थी।
कैसे पहुंचें
- हवाईमार्ग
निकटतम हवाईअड्डा ग्वालियर है जो मुरैना से लगभग 30 किलोमीटर, भिंड से लगभग 80 किलोमीटर और श्योपुर जिले से लगभग 210 किलोमीटर दूर स्थित है।
- रेलमार्ग
मुरैना और भिंड जिले में रेलवे स्टेशन है और श्योपुर को संकीर्ण गेज के माध्यम से मुरैना और ग्वालियर से जोड़ा गया है।
- सड़कमार्ग
सभी जिले बस द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। पर्यटक स्वयं या किराए पर वाहन ले सकते हैं, क्योंकि सभी पर्यटन स्थल सड़कमार्ग से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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