सिलिका

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सिलिका अथवा 'सिलिकॉन डाईऑक्साइड' (Silica, SiO2) ऑक्सीजन और सिलिकन से योग से बना होता है। इसके खनिज आग्नेय, जलज तथा रूपांतरित तीनों प्रकार की शिलाओं में मिलते हैं, लेकिन इनके आर्थिक निक्षेप पैगमेटाइट शिलाओं तथा बालू में मिलते हैं।

रूप

सिलिका निम्नलिखित खनिजों के रूप में पाया जाता है-

  1. 'गुप्त क्रिस्टलीय', जैसे- चाल्सीडानी, ऐगेट और फ्लिंट
  2. 'क्रिस्टलीय', जैसे- क्वार्ट्ज
  3. 'अक्रिस्टली', जैसे- ओपल

प्राप्ति स्थान

सिलिका के खनिज आग्नेय, जलज तथा रूपांतरित तीनों प्रकार की शिलाओं में मिलते हैं, लेकिन इनके आर्थिक निक्षेप पैगमेटाइट शिलाओं में, नसों तथा धारियों में और बालू में मिलते हैं। भारत में मध्य प्रदेश के जबलपुर में शुद्ध बालू मिलता है। गया के राजगिरि पहाड़ियों, मुंगेर की खरकपुर पहाड़ियों, पटना के बिहार शरीफ़, उड़ीसा के संबलपुर तथा बागरा के कुछ भाग में तापरोधी कार्यों के लिए उत्कृष्ट कोटि का 'स्फटिकाश्म'[1] प्राप्त होता है।

गुण

सिलिका षड्भुजीय प्रणाली का क्रिस्टल बनता है। साधारणत: यह रंगहीन होता है, लेकिन अपद्रव्यों के विद्यमान होने पर यह भिन्न-भिन्न रंगों में मिलता है। इसकी चमक काँचाभ तथा टूट शंखाभ होती है। यह काँच को खुरच सकता है। सिलिका वर्ग के अन्य खनिजों के गुण भी क्वार्ट्ज से मिलते-जुलते हैं।

उपयोग

सिलिका का उपयोग भिन्न-भिन्न रूपों में होता है। बालू में विद्यमान छोटे-छोटे कण काँच तथा धात्विक उद्योगों, विशेषत: भट्ठियों के निर्माण में काम आते हैं। सिरेमिक सामानों के निर्माण में सिलिका काम आता है। तापरोधी ईंटें इससे बनती हैं। ताप परिवर्तन को यह सरलता से पूरक के रूप में सहन कर लेता है। यह खनिज, रंग तथा काग़ज़ उद्योग में काम आता है। शुद्ध, रंगहीन, क्वार्ट्ज क्रिस्टल से प्रकाश यंत्र तथा रासायनिक उपकरण बनाए जाते हैं। सिलिका से बनी बालू शिलाएँ मकान बनाने के पत्थरों के रूप में प्रयोग की जाती हैं।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Quartzetes

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