ऐमाइड
ऐमाइड अमोनिया के हाइड्रोजन को वसीय या सौरभिक अम्ल मूलक द्वारा प्रतिस्थापित यौगिक है। इसमें अम्ल से कार्बोक्सिल मूलक का हाइड्रॉक्सिल मूलक ऐमिडोमूलक NH2 जैसे (R.CO.NH2)। ये तीन वर्ग के हैं : प्राथमिक R.CO...N H2, द्वितीयक (R.CO)2 ग़्क्त तथा त्रितीयक (RCO)3 N* इनमें से केवल प्राथमिक ऐमाइड ही प्रमुख हैं। इन्हें ऐसिड ऐमाइड भी कहते हैं।[1]
इनके नाम अम्ल के अंग्रेजी नाम से -इक ऐसिड निकालकर उसके बदले 'ऐमाइड' लगा देने से प्राप्त होते हैं, जैसे फ़ॉर्मिक ऐसिड से फॉर्मऐमाइड (H.CO NH2), ऐसीटिक एसिड से ऐसीटेमाइड CH3.CO.NH2 इत्यादि। ऐमिनोमूलक के हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित यौगिक को नाम के पहले एन (N) लिखकर व्यक्त करते हैं, जैसे एन-मेथिल ऐसीटैमाइड।
O
II
CH3--C--NH CH3
प्रकृति में ये प्रोटीन में पेप्टाइड बंधन के रूप में पाए जाते हैं।
बनाने की सामान्य विधियाँ
(1) अम्ल के ऐमोनियम लवण को गरम करने से :
R.COONH4 ®R.CO.NH2+ H2O,
(2) अम्ल को यूरिया के साथ गरम करने से
R.COOH+CO (NH2)2® R.CONH2+CO2+NH3
ऐसिड क्लोराइड, ऐसिड ऐनहाइड्राइड तथा एस्टर पर अमोनिया के सांद्र विलयन की क्रिया से :
(क) R.COCI+2NH3® R.CONH3+NH4CL;
(ख) (R.CO)2O+2NH3®R.CO.NH2+R.CO2 NH4;
(ग) R.COOR´+NH3 ®R.CONH2+ R´OH
तथा (4) ऐल्किल सायनाइड के सांद्र HCl या H2O2 तथा ग़ग्र्क्त द्वारा जलविश्लेषण से :
R.CN+H2O®R.CO.NH2
सामान्य गुण –फ़ार्मऐमाइड द्रव है तथा अन्य ऐमाइड रंगहीन, मणिभ ठोस हैं। ऐमाइड श्रेणी के निम्नतर सदस्य जल में विलेय हैं तथा अणभार के विचार से उनके गलनांक तथा क्वथनांक निम्नता के प्रतिकूल ऊँचे हैं। यह हाइड्रोजन बंधन के कारण है। ऐमाइड जल, अम्ल तथा क्षार से जलविश्लेषित होते हैं :
R.CO.NH2+H2O®R.COOH+NH3
ये क्षीण क्षारीय होने से सांद्र अकार्बनिक अम्लों के साथ अस्थायी लवण बनाते हैं। ये क्षीण अम्लीय होने पर भी मर्क्यूरिक आक्साइड का विलयन करते हैं तथा सहसंयोजक मर्करी यौगिक बनता है। सोडियम तथा ऐथेनोल या लीथियम ऐल्यूमिनियम हाइड्राइड द्वारा अवकरण से प्राथमिक ऐमिन बनाते हैं :
R.CONH2 +4H®R.CH2NH2+H2O
फ़ास्फ़ोरस पेंटाक्साइड के साथ गरम करने पर ऐमाइड से सायनाइड बनता है :
R.CONH2 ®R.CºN+H2O
ऐमाइड पर नाइट्रस अम्ल की क्रिया से अम्ल बनता है तथा नाइट्रोजन गैस निकलती है :
R.CO.NH2+HNO2® R.COOH+N2+H2O
हॉफ़मैन क्रिया में ऐमाइड पर ब्रोमीन तथा क्षार की क्रिया से एक कम कार्बन परमाणुवाला ऐमिन प्राप्त होता है :
R.CO.H2+Br2+4KOH® R.NH2+2KBr+K2CO3+2H2O
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 279 |