विद्युत अपघटन

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विद्युत अपघटन (अंग्रेज़ी: Electrolysis) रसायन विज्ञान एवं निर्माण में उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसके द्वारा किसी रासायनिक यौगिक में विद्युत धारा प्रवाहित करके उसके रासायनिक बन्धों को तोड़ा जाता है।

उदाहरण

जल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर जल, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटित हो जाता है, जिसे 'जल का विद्युत अपघटन' कहते हैं।

उपयोग

विद्युत अपघटन के बहुत-से उपयोग हैं। अयस्कों को प्रसंस्कारित करके उनमें निहित रासायनिक तत्त्व को शुद्ध करना एवं उसे अलग करना इसका सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक एवं व्यावसायिक उपयोग है।

आवश्यक अवयव

  1. विद्युत अपघट्य - किसी द्रव में स्थित चलायमान आयन
  2. दिष्ट धारा का स्रोत
  3. दो ठोस प्लेटें या छड़े, जिन्हें एलेक्ट्रोड कहते हैं।

उपरोक्त अवयवों की भूमिका इस प्रकार है-

  • चलायमान आयन विद्युत धारा के प्रवाह के लिये 'वाहक' का काम करते हैं। यदि आयन चलायमान न हों (जैसे किसी ठोस में) तो विद्युत अपघटन सम्भव नहीं होगा।
  • बाहर से विद्युत धारा प्रवाहित करने से आयन बनने या 'डिस्चार्ज' होने के लिये आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • दो विद्युताग्र - बाहरी विद्युत परिपथ एवं आयनिक विलयन को विद्युतीय दृष्टि से जोडने का काम करते हैं।
  • विद्युताग्र, विद्युत के चालक होने चाहिये। धातु, ग्रेफाइट और अर्धचालक पदार्थों के एलेक्ट्रोड बहुता प्रयोग में लाये जाते हैं। एलेक्ट्रोड के पदार्थ का चुनाव दो बातों से प्रभावित होता है- एलेक्ट्रोड और एलेक्ट्रोलाइट के बीच कोई क्रिया नहीं होनी चाहिये तथा एलेक्ट्रोड के निर्माण का व्यय कम होना चाहिये।

जल का विद्युत अपघटन

जल का विद्युत अपघटन करने के लिये दिष्ट धारा का कोई स्रोत आवश्यक होता है, जैसे बैटरी या दिष्ट धारा जनित्र या रेक्टिफायर आदि। जल के विद्युत अपघटन से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं। जल से हाइड्रोजन की प्राप्ति इसे महत्त्वपूर्ण बनाती है। हाइड्रोजन बहुत उपयोगी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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