पोलोनियम आवर्त सारणी के छठे मुख्य समूह का अंमि सदस्य है। यह अस्थिर रेडियोऐक्टिव गुण वाला तत्व है। इस कारण पोलोनियम का कोई स्थिर समस्थानिक प्राप्त नहीं है। पोलोनियम के मुख्य समस्थानिक की द्रव्यमान संख्या 210 है, परंतु पोलोनियम के 10 अन्य समस्थानिक भी ज्ञात हैं।
पोलोनियम का आविष्कार सन् 1898 में पीरी एवं मेरी क्यूरी के संयुक्त अनुसंधानों द्वारा हुआ। यूरेनियम और थोरियम के अयस्कों में रेडियोऐक्टिवता का गुण था, परंतु उसी समय यह भी ज्ञात हुआ कि इस अयस्कों में पूर्वानुमेय यूरेनियम और रेडियम की मात्रा से अधिक रेडियो ऐक्टिवता वर्तमान थी। इससे यह अनुमान हुआ कि इस अयस्कों में कई नया तत्व उपस्थित है, जिसमें उन तत्वों से कहीं अधिक रेडियोऐक्टिवता होनी चाहिए। इन्हीं विचारों से पथप्रदर्शन पाकर क्यूरी ने यूरेनियम अयस्क, पिचब्लेंड, का रासायनिक विश्लेषण प्रारंभ किया। उन्होंने इस क्रिया में रेडियो ऐक्टिवता की माप को विशेष महत्ता दी, जिसके द्वारा यह ज्ञात हुआ कि यूरेनियम के अतिरिक्त दो स्थानों पर रेडियोऐक्टिवता संकेंद्रित हुई। एक बिस्मथ सल्फाइड के अवक्षेप के साथ और दूसरी क्षारीय मुदा तत्वों के साथ। बिस्मथ सल्फाइड के अवक्षेप को एक नलिका में गरम करने पर रेडियोऐक्टिव भाग शीघ्र वाष्प बनकर शीतल स्थानों में जमा हो गया। इस भाग की रेडियोऐक्टिवता विशुद्ध यूरेनियम की अपेक्षा 400 गुना अधिक थी। यह रेडियोऐक्टिव पदार्थ एक नये तत्व का यौगिक था, जिसकी खोज की घोषणा पीरी एवं मेरी क्यूरी ने पैरिस की विज्ञान अकादमी की 18 जुलाई, 1898 ई. की बैठक में की थी। इसका नाम मेरी क्यूरी की जन्म भूमि पोलैंड के सम्मान में पोलोनियम रखा गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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