आचार्य रघुवीर
आचार्य रघुवीर
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पूरा नाम | आचार्य रघुवीर |
जन्म | 30 दिसंबर 1902 |
जन्म भूमि | रावलपिण्डी (वर्तमान पाकिस्तान) |
मृत्यु | 14 मई, 1963 |
अभिभावक | पिता- मुंशी रामजी माता- जयवन्ती |
संतान | पुत्र- लोकेशचन्द्र, पुत्री- सुशीला, सुदर्शना, सुषमा और प्रभा |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | कोशकार तथा भाषाविद |
विद्यालय | लाहौर विश्वविद्यालय, हॉलैंड विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए., पी.एच.डी., डी.लिट |
प्रसिद्धि | भाषाविद, विद्वान्, राजनीतिक नेता, कोशकार, शब्दशास्त्री |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | आचार्य रघुवीर ने प्राय: छह लाख शब्दों की रचना की है। इनकी शब्द निर्माण की पद्धति वैज्ञानिक है। इन्होंने विज्ञान की प्रत्येक शाखा के शब्दों की कोश रचना की है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
विषय सूची
परिचय
आचार्य रघुवीर का जन्म 30 दिसम्बर, 1902 को रावलपिण्डी (वर्तमान में पाकिस्तान के अंतर्गत) में हुआ था। उनके पिता मुंशी रामजी रावलपिण्डी के एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे तथा अंग्रेज़ी पढ़ाया करते थे। माता का नाम जयवन्ती था। बाल्यकाल से ही रघुवीर में संस्कृत के प्रति गहन अभिरुचि थी। उन्होंने एक स्थानीय पुस्तक-विक्रेता के यहाँ जाकर संस्कृत के काव्य, रामायण, महाभारत, निरुक्त, गणरत्नमहोदधि आदि ग्रन्थों का अध्ययन कर लिया था और अंग्रेज़ी में कविताएँ भी लिखने लगे थे।[1]
रघुवीर जी ने पाठशाला-स्तर की शिक्षा रावलपिण्डी में पूरी की और आगे की शिक्षा के लिए लाहौर के डी.ए.वी. कॉलेज में पढ़ने गये। यहाँ उन्होंने संस्कृत में बी.ए. ऑनर्स तथा एम.ए. किया। उन्हें शोध-कार्य करने के लिए 75 रुपये मासिक की ‘मॅक्लॉएड कश्मीर संस्कृत स्कॉलरशिप’ मिली। संस्कृत के अध्ययन के साथ उन्होंने लिपि विज्ञान तथा प्राचीन भारत के इतिहास का भी गहन अध्ययन किया। उस समय तक वह हिंदी, अंग्रेज़ी, अरबी, फ़ारसी, उर्दू, मराठी, तमिल, तेलुगू, पंजाबी-जैसी भाषाओं में निष्णात हो चुके थे। इसी दौरान उन्होंने विभिन्न विद्यार्थी संगठनों में सम्मिलित होकर भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।