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[[चित्र:Good-Friday.jpg|thumb|250px|[[ईसा मसीह]], गुड फ़्राइडे के दिन]]
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{{सूचना बक्सा त्योहार
गुड फ़्राइडे को '''होली फ़्राइडे''', '''ब्लैक फ़्राइडे''' और '''ग्रेट फ़्राइडे''' भी कहते हैं। इस दिन तीन बजे से छह बजे तक यह पर्व मनाया जाता है। यह त्यौहार [[ईसाई धर्म]] के लोगों द्वारा [[ईसा मसीह]] को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो '''ईस्टर सन्डे''' से पहले पड़ने वाले [[शुक्रवार]] को आता है।  इस मौक़े पर चर्च को सजाया जाता है और पर्व की शुरुआत [[बाइबिल]] के पाठ से की जाती है। इसके बाद पवित्र क्रूस यात्रा शुरू होती है। फिर वापस चर्च आकर खत्म होती है। इसके बाद प्रभु के बलिदान को याद किया जाता है। शुरू में किश्चियन चर्च ईस्टर रविवार यानी उनके जीवित होने के दिन को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे। किंतु चौथी सदी से गुडफ़्राइडे सहित ईस्टर के पूर्व आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित किया गया।<ref name="sml">{{cite web |url=http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/special-days-in-hindi/71471/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1%E0%A5%87%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8.html |title=गुडफ़्राइडे यानी बलिदान का दिन |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=समय लाइव डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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|चित्र=Good-Friday.jpg
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|चित्र का नाम= ईसा मसीह गुड फ़्राइडे के दिन
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|अन्य नाम = होली फ़्राइडे, ब्लैक फ़्राइड, ग्रेट फ़्राइडे
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|अनुयायी =यह त्यौहार [[ईसाई धर्म]] के लोगों द्वारा [[ईसा मसीह]] को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
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|उद्देश्य =
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|प्रारम्भ =
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|तिथि=[[29 मार्च]] (2024)
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|उत्सव = इस मौक़े पर चर्च को सजाया जाता है और पर्व की शुरुआत [[बाइबिल]] के पाठ से की जाती है। इसके बाद पवित्र क्रूस यात्रा शुरू होती है। फिर वापस चर्च आकर खत्म होती है। इसके बाद प्रभु के बलिदान को याद किया जाता है।
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|अनुष्ठान =
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|धार्मिक मान्यता =रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ़्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले [[मछली]] खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है।
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|अन्य जानकारी=[[भारत]] में, गुड फ़्राइडे के दिन केन्द्रीय छुट्टी के साथ ही साथ राज्य की भी छुट्टी है, यद्यपि शेयर बाज़ार सामान्यतः बंद रहते हैं।
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'''गुड फ़्राइडे''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Good Friday'') को '''होली फ़्राइडे''', '''ब्लैक फ़्राइडे''' और '''ग्रेट फ़्राइडे''' भी कहते हैं। इस दिन तीन बजे से छह बजे तक यह पर्व मनाया जाता है। यह त्यौहार [[ईसाई धर्म]] के लोगों द्वारा [[ईसा मसीह]] को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो '''ईस्टर सन्डे''' से पहले पड़ने वाले [[शुक्रवार]] को आता है।  इस मौक़े पर चर्च को सजाया जाता है और पर्व की शुरुआत [[बाइबिल]] के पाठ से की जाती है। इसके बाद पवित्र क्रूस यात्रा शुरू होती है। फिर वापस चर्च आकर खत्म होती है। इसके बाद प्रभु के बलिदान को याद किया जाता है। शुरू में किश्चियन चर्च ईस्टर रविवार यानी उनके जीवित होने के दिन को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे। किंतु चौथी [[सदी]] से गुडफ़्राइडे सहित [[ईस्टर]] के पूर्व आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित किया गया।<ref name="sml">{{cite web |url=http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/special-days-in-hindi/71471/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1%E0%A5%87%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8.html |title=गुडफ़्राइडे यानी बलिदान का दिन |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=समय लाइव डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==बलिदान का दिन==
 
==बलिदान का दिन==
कहा जाता है कि जब धरती पर मनुष्य पथभ्रष्ट होने लगा, धर्म के नाम पर हिंसा, आतंक, भ्रष्टाचार, अत्याचार और अंधविश्वास बढ़ गया तब परमेश्वर को शांति और प्रेम के लिए यीशु को अपने पुत्र के रूप भेजना पड़ा और यीशु ने कांटों का ताज पहन कर, सूली पर चढ़कर मानवता की सीख दी। 'गुड फ़्राइडे’ इसी मानवता के लिए प्राण का न्यौछावर करने का दिन है। आज से दो हजार साल पहले [[धर्म]] और जाति के नाम पर खून-खराबा होने लगा था। लोग स्वार्थ में अंधे होकर पाप कर्म में लिप्त हो गये। जगह-जगह आतंक और अत्याचार बढ़ने लगा,तब पिता परमेश्वर ने निर्दोषों की रक्षा और भटके हुए लोगों को संमार्ग पर लाने के लिए अपने पुत्र की बलि देने का निर्णय किया। उन्होंने यीशु को धरती पर भेजकर मनुष्य को पाप कर्म से मुक्त होकर अपना जीवन सुधारने का मौका दिया।  
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कहा जाता है कि जब धरती पर मनुष्य पथभ्रष्ट होने लगा, धर्म के नाम पर हिंसा, आतंक, भ्रष्टाचार, अत्याचार और अंधविश्वास बढ़ गया तब परमेश्वर को शांति और प्रेम के लिए यीशु को अपने पुत्र के रूप भेजना पड़ा और यीशु ने कांटों का ताज पहन कर, सूली पर चढ़कर मानवता की सीख दी। 'गुड फ़्राइडे’ इसी मानवता के लिए प्राण का न्यौछावर करने का दिन है। आज से दो हज़ार साल पहले [[धर्म]] और जाति के नाम पर ख़ून-ख़राबा होने लगा था। लोग स्वार्थ में अंधे होकर पाप कर्म में लिप्त हो गये। जगह-जगह आतंक और अत्याचार बढ़ने लगा,तब पिता परमेश्वर ने निर्दोषों की रक्षा और भटके हुए लोगों को संमार्ग पर लाने के लिए अपने पुत्र की बलि देने का निर्णय किया। उन्होंने यीशु को धरती पर भेजकर मनुष्य को पाप कर्म से मुक्त होकर अपना जीवन सुधारने का मौक़ा दिया।  
जैसा कि कहा जाता है यीशु मसीह का जन्म ‘पलिस्तीन’ यानी इजराइल के एक गांव बैतलहम में अलौकिक शक्ति से मरियम के माध्यम से हुआ। उस वक्त यीशु मसीह की माता [[मरियम]] और यूसुफ़ यानी यीशु के पिता की मंगनी ही हुई थी। दोनों के संयोग से पहले ही मरियम के गर्भवती होने की वजह से यूसूफ ने उन्हें त्यागने का मन बना लिया, लेकिन इससे पहले ही प्रभु के स्वर्गदूत ने यूसूफ को स्वप्न में मरियम के गर्भ में पवित्र आत्म के होने और उसकी रक्षा करने का आदेश दिया। यूसुफ ने प्रभु के दुत की आज्ञा मानी और जन्म के बाद बालक का नाम “यीशु” रखा। बालक यीशु को बैतलहम के राजा ‘हेरोदेस’ ने मरवाने की पर संभव प्रयास किया, लेकिन इससे पहले ही यूसूफ प्रभु के दूत के आदेश के पर मरियम और यीशु को लेकर मिस्र चले गये और राजा हेरोदेस के मरने तक मिस्र में रहे। फिर पुन: स्वप्न में चेतावनी पाकर गलील देश में चले गए और नासरत नाम के नगर में जा बसे।   
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जैसा कि कहा जाता है यीशु मसीह का जन्म ‘पलिस्तीन’ यानी इजराइल के एक गांव बैतलहम में अलौकिक शक्ति से मरियम के माध्यम से हुआ। उस वक़्त यीशु मसीह की माता [[मरियम]] और यूसुफ़ यानी यीशु के पिता की मंगनी ही हुई थी। दोनों के संयोग से पहले ही मरियम के गर्भवती होने की वजह से यूसूफ ने उन्हें त्यागने का मन बना लिया, लेकिन इससे पहले ही प्रभु के स्वर्गदूत ने यूसूफ को स्वप्न में मरियम के गर्भ में पवित्र आत्म के होने और उसकी रक्षा करने का आदेश दिया। यूसुफ ने प्रभु के दुत की आज्ञा मानी और जन्म के बाद बालक का नाम “यीशु” रखा। बालक यीशु को बैतलहम के राजा ‘हेरोदेस’ ने मरवाने की पर संभव प्रयास किया, लेकिन इससे पहले ही यूसूफ प्रभु के दूत के आदेश के पर मरियम और यीशु को लेकर मिस्र चले गये और राजा हेरोदेस के मरने तक मिस्र में रहे। फिर पुन: स्वप्न में चेतावनी पाकर गलील देश में चले गए और नासरत नाम के नगर में जा बसे।   
[[चित्र:Statue-Jesus.jpg|thumb|[[ईसा मसीह]] की प्रतिमा|250px]]
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यीशु जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले फरीसियों यानी धर्मपंडितों को मानवजाति का शत्रु कहा। अज्ञानता और अंधविश्वास को मानवता का कलंक कहा। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मपंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा दी। पर यीशु अपनी नियति से अवगत थे। यीशु मसीह को कई तरह की यातनाएं दी गयीं। सैनिकों ने यीशु का उपहास उड़ाया। यीशु को उनके कपड़े उतारकर लाल चोंगा पहनाया गया। कांटों का ताज उनके सिर पर रखा गया। इतना ही नहीं यीशु के मुंह पर थूका गया और उनके सर पर सरकण्डों से प्रहार किये गये। इसके बाद यीशु क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ‘गोल गोथा’ नामक जगह ले गये। जहां उन्हें दिन के बारह बजे दो डाकूओं के साथ एक को दाहिनी और दूसरा को बाई तरफ क्रूसों पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया वह शुक्रवार को दिन था। तीन घंटे बाद यीशु ने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा ‘हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं,’ इतना कहकर उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया। मानवता के लिए बलिदान का वो दिन गुडफ़्राइडे था। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं। मौत के बाद यीशु को कब्र में दफना दिया गया, हैरानी तो तब हुई जब तीन दिन बाद यानी [[रविवार]] को यीशु जीवित हो उठे। कहते हैं पुन: जीवित होने के बाद यीशु चालीस दिन तक अपने शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गये।<ref name="sml"/>
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यीशु जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले फरीसियों यानी धर्मपंडितों को मानवजाति का शत्रु कहा। अज्ञानता और अंधविश्वास को मानवता का कलंक कहा। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मपंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सज़ा दी। पर यीशु अपनी नियति से अवगत थे। यीशु मसीह को कई तरह की यातनाएं दी गयीं। सैनिकों ने यीशु का उपहास उड़ाया। यीशु को उनके कपड़े उतारकर लाल चोंगा पहनाया गया। कांटों का ताज उनके सिर पर रखा गया। इतना ही नहीं यीशु के मुंह पर थूका गया और उनके सर पर सरकण्डों से प्रहार किये गये। इसके बाद यीशु क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ‘गोल गोथा’ नामक जगह ले गये। जहां उन्हें दिन के बारह बजे दो डाकूओं के साथ एक को दाहिनी और दूसरा को बाई तरफ क्रूसों पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया वह शुक्रवार को दिन था। तीन घंटे बाद यीशु ने ऊंची आवाज़ में परमेश्वर को पुकारा ‘हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं,’ इतना कहकर उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया। मानवता के लिए बलिदान का वो दिन गुडफ़्राइडे था। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं। मौत के बाद यीशु को क़ब्र में दफना दिया गया, हैरानी तो तब हुई जब तीन दिन बाद यानी [[रविवार]] को यीशु जीवित हो उठे। कहते हैं पुन: जीवित होने के बाद यीशु चालीस दिन तक अपने शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गये।<ref name="sml"/>
 
==कैसे मनाया जाता है==
 
==कैसे मनाया जाता है==
रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ़्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले [[मछली]] खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है। रोमन रीति के अनुसार सामान्यतः पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये. प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल पस्सिओं ऑफ़ द लोर्ड के सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है। पूजा वेदी पूरी तरह से खाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता। प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में [[जल]] का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र खाली किये जाते हैं।  ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ़्राइडे अथवा पवित्र [[शनिवार]] को घंटियाँ नहीं बजाने की परम्परा है।<ref name="ajt">{{cite web |url=http://origin-aajtak.intoday.in/story.php/content/view/54944/9/76/Good-Friday-to-be-celebrated-today.html |title=प्रेम और क्षमा का संदेश देता है गुड फ़्राइडे |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आज तक |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
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रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ़्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले [[मछली]] खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है। रोमन रीति के अनुसार सामान्यतः पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये. प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल पस्सिओं ऑफ़ द लोर्ड के सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है। [[चित्र:Crucifix-Jesus-Christ.jpg|thumb|250px|left|सूली पर चढ़ाये हुए (क्रुसिफ़ाइड) [[ईसा मसीह]]]] पूजा वेदी पूरी तरह से ख़ाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता। प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में [[जल]] का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र ख़ाली किये जाते हैं।  ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ़्राइडे अथवा पवित्र [[शनिवार]] को घंटियाँ नहीं बजाने की परम्परा है।<ref name="ajt">{{cite web |url=http://origin-aajtak.intoday.in/story.php/content/view/54944/9/76/Good-Friday-to-be-celebrated-today.html |title=प्रेम और क्षमा का संदेश देता है गुड फ़्राइडे |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आज तक |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====आदर्श समय====
 
====आदर्श समय====
 
पैशन ऑफ़ द लॉर्ड के उत्सव का आदर्श समय अपराह्न तीन बजे है। इस समय पादरी के पहनावे का [[रंग]] [[लाल रंग|लाल]] होता है। [[1970]] से पहले पहनावे का रंग काला होता था, केवल कम्यूनियन वाला हिस्सा [[बैंगनी रंग]] का होता था। [[1955]] से पहले पूरा पहनावा ही काला होने का विधान था। अगर कोई बिशप यह अनुष्ठान संपन्न करता है, वह एक सादा मुकुट पहनता है।<ref name="ajt"/><br />
 
पैशन ऑफ़ द लॉर्ड के उत्सव का आदर्श समय अपराह्न तीन बजे है। इस समय पादरी के पहनावे का [[रंग]] [[लाल रंग|लाल]] होता है। [[1970]] से पहले पहनावे का रंग काला होता था, केवल कम्यूनियन वाला हिस्सा [[बैंगनी रंग]] का होता था। [[1955]] से पहले पूरा पहनावा ही काला होने का विधान था। अगर कोई बिशप यह अनुष्ठान संपन्न करता है, वह एक सादा मुकुट पहनता है।<ref name="ajt"/><br />
 
प्रार्थना के तीन भाग होते हैं- बाइबल और धर्म ग्रंथों का पाठ, क्रॉस की पूजा और प्रभु भोज में सहभागिता।
 
प्रार्थना के तीन भाग होते हैं- बाइबल और धर्म ग्रंथों का पाठ, क्रॉस की पूजा और प्रभु भोज में सहभागिता।
 
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====बाइबिल पाठ====  
====<u>बाइबल पाठ</u>====  
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[[बाइबिल]] पाठ के पहले भाग में प्रभु यीशू के प्रति प्रेम और गुणगान की आवृत्ति या गायन होता है जो अक्सर एक से अधिक पाठकों या गायकों द्वारा किया जाता है। इस प्रथम चरण में प्रार्थना की एक श्रृंखला होती है जो चर्च, पोप, पादरी और चर्च में आने वाले गृहस्थों, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करने वालों, भगवान पर विश्वास नहीं करने वालों, सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने वालों और विशेष तौर पर ज़रूरतमंद लोगों के लिए की जाती है।<ref name="ajt"/>
बाइबल पाठ के पहले भाग में प्रभु यीशू के प्रति प्रेम और गुणगान की आवृत्ति या गायन होता है जो अक्सर एक से अधिक पाठकों या गायकों द्वारा किया जाता है। इस प्रथम चरण में प्रार्थना की एक श्रृंखला होती है जो चर्च, पोप, पादरी और चर्च में आने वाले गृहस्थों, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करने वालों, भगवान पर विश्वास नहीं करने वालों, सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने वालों और विशेष तौर पर जरूरतमंद लोगों के लिए की जाती है।<ref name="ajt"/>
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====क्रॉस की पूजा====  
====<u>क्रॉस की पूजा</u>====  
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गुड फ़्राइडे के त्यौहार के दूसरे चरण में क्रॉस की पूजा की जाती है। एक क्रूसीफिक्स जिसमें एक ख़ास पारम्परिक ढंग से यीशु के लिए गीत गाये जाते हैं। हालांकि यह ज़रूरी नहीं है फिर भी यह धार्मिक समागम आम तौर पर वेदी के पास होता है, जिसमें सत्य और निष्ठा के साथ सम्मान व्यक्त किया जाता है और ख़ास तौर पर व्यक्तिगत रूप से जब प्रभु यीशू के प्रति प्रेम भाव के गीत गाये जा रहे हों।<ref name="ajt"/>
गुड फ़्राइडे के त्यौहार के दूसरे चरण में क्रॉस की पूजा की जाती है। एक क्रूसीफिक्स जिसमें एक खास पारम्परिक ढंग से यीशु के लिए गीत गाये जाते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है फिर भी यह धार्मिक समागम आम तौर पर वेदी के पास होता है, जिसमें सत्य और निष्ठा के साथ सम्मान व्यक्त किया जाता है और ख़ास तौर पर व्यक्तिगत रूप से जब प्रभु यीशू के प्रति प्रेम भाव के गीत गाये जा रहे हों।<ref name="ajt"/>
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====प्रभु भोज====  
====<u>प्रभु भोज </u>====  
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[[चित्र:Statue-Jesus.jpg|thumb|[[ईसा मसीह]] की प्रतिमा|250px]]
 
इसका तीसरा भाग होता है पवित्र प्रभु भोज का, जो इस त्यौहार की अंतिम कड़ी है। यह शुरू होती है आवर फादर के साथ लेकिन "रोटी तोड़ने की रस्म" और इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता । पवित्र [[गुरुवार]] की प्रार्थना सभा में अभिमंत्रित प्रभु प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है।<ref name="ajt"/>
 
इसका तीसरा भाग होता है पवित्र प्रभु भोज का, जो इस त्यौहार की अंतिम कड़ी है। यह शुरू होती है आवर फादर के साथ लेकिन "रोटी तोड़ने की रस्म" और इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता । पवित्र [[गुरुवार]] की प्रार्थना सभा में अभिमंत्रित प्रभु प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है।<ref name="ajt"/>
 
 
==गुड फ़्राइडे का संदेश==
 
==गुड फ़्राइडे का संदेश==
 
मानव का मानव द्वारा शोषण, निर्धनों का धनियों द्वारा दमन, शासकों का न्याय मांगने वालों को बन्दीगृह में डालना, मनुष्य के अधिकारों की अहवेलना, धर्म के पालन हेतु लोगों को उत्पीड़त करना, मानव इतिहास का दुखद पक्ष रहा है। इसके विरुद्ध बहुत से व्यक्तियों एवं धर्म परिवर्तकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर एक ऐसा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक वातावरण पैदा करने की चेष्टा की है जिसमें मनुष्य स्वतंन्त्र हवा में सांस ले सके। मनुष्य को सभ्य एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने में धर्म की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। दुनिया के प्रत्येक धर्म में क्रांति का धर्मविज्ञान मौजूद है इसलिए क्रांति धर्मविज्ञान और स्वतंत्रता धर्मविज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है। <ref>{{cite web |url=http://visfot.com/home/index.php/permalink/4063.html |title=गुड फ़्राइडे का गुड संदेश |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=विस्फोट डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
मानव का मानव द्वारा शोषण, निर्धनों का धनियों द्वारा दमन, शासकों का न्याय मांगने वालों को बन्दीगृह में डालना, मनुष्य के अधिकारों की अहवेलना, धर्म के पालन हेतु लोगों को उत्पीड़त करना, मानव इतिहास का दुखद पक्ष रहा है। इसके विरुद्ध बहुत से व्यक्तियों एवं धर्म परिवर्तकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर एक ऐसा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक वातावरण पैदा करने की चेष्टा की है जिसमें मनुष्य स्वतंन्त्र हवा में सांस ले सके। मनुष्य को सभ्य एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने में धर्म की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। दुनिया के प्रत्येक धर्म में क्रांति का धर्मविज्ञान मौजूद है इसलिए क्रांति धर्मविज्ञान और स्वतंत्रता धर्मविज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है। <ref>{{cite web |url=http://visfot.com/home/index.php/permalink/4063.html |title=गुड फ़्राइडे का गुड संदेश |accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=विस्फोट डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==केन्द्रीय अवकाश==
 
==केन्द्रीय अवकाश==
[[भारत]] में, गुड फ़्राइडे केन्द्रीय छुट्टी के साथ ही साथ राज्य की भी छुट्टी है, यद्यपि शेयर बाज़ार सामान्यतः बंद रहते हैं. कुछ राज्य जैसे- [[असम]], [[गोवा]], और [[केरल]] जहाँ बहुमत में न होने के बावजूद [[ईसाई|ईसाईयों]] की प्रतिशत जनसंख्या अधिक है, (जहाँ पर ईसाईयों की ज्यादा तादाद है, के कई दूसरे व्यवसाय भी बंद रहते हैं) लेकिन देश के बाकी हिस्सों में ज्यादातर व्यवसाय गुड फ़्राइडे के दिन खुले रहते हैं। अधिकांश विद्यालय गुड फ़्राइडे के दिन बंद रहते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.starnewsagency.in/2010/04/blog-post_02.html |title=श्रद्धा से मनाया जाता है गुड फ़्राइडे|accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=star news agency |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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[[भारत]] में, गुड फ़्राइडे केन्द्रीय छुट्टी के साथ ही साथ राज्य की भी छुट्टी है, यद्यपि शेयर बाज़ार सामान्यतः बंद रहते हैं। कुछ राज्य जैसे- [[असम]], [[गोवा]], और [[केरल]] जहाँ बहुमत में न होने के बावजूद [[ईसाई|ईसाईयों]] की प्रतिशत जनसंख्या अधिक है, (जहाँ पर ईसाईयों की ज़्यादा तादाद है, के कई दूसरे व्यवसाय भी बंद रहते हैं) लेकिन देश के बाकी हिस्सों में ज़्यादातर व्यवसाय गुड फ़्राइडे के दिन खुले रहते हैं। अधिकांश विद्यालय गुड फ़्राइडे के दिन बंद रहते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.starnewsagency.in/2010/04/blog-post_02.html |title=श्रद्धा से मनाया जाता है गुड फ़्राइडे|accessmonthday=[[22 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=star news agency |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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{{प्रचार}}
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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12:07, 7 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

गुड फ़्राइडे
ईसा मसीह गुड फ़्राइडे के दिन
अन्य नाम होली फ़्राइडे, ब्लैक फ़्राइड, ग्रेट फ़्राइडे
अनुयायी यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
तिथि 29 मार्च (2024)
उत्सव इस मौक़े पर चर्च को सजाया जाता है और पर्व की शुरुआत बाइबिल के पाठ से की जाती है। इसके बाद पवित्र क्रूस यात्रा शुरू होती है। फिर वापस चर्च आकर खत्म होती है। इसके बाद प्रभु के बलिदान को याद किया जाता है।
धार्मिक मान्यता रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ़्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले मछली खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है।
अन्य जानकारी भारत में, गुड फ़्राइडे के दिन केन्द्रीय छुट्टी के साथ ही साथ राज्य की भी छुट्टी है, यद्यपि शेयर बाज़ार सामान्यतः बंद रहते हैं।

गुड फ़्राइडे (अंग्रेज़ी: Good Friday) को होली फ़्राइडे, ब्लैक फ़्राइडे और ग्रेट फ़्राइडे भी कहते हैं। इस दिन तीन बजे से छह बजे तक यह पर्व मनाया जाता है। यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है। इस मौक़े पर चर्च को सजाया जाता है और पर्व की शुरुआत बाइबिल के पाठ से की जाती है। इसके बाद पवित्र क्रूस यात्रा शुरू होती है। फिर वापस चर्च आकर खत्म होती है। इसके बाद प्रभु के बलिदान को याद किया जाता है। शुरू में किश्चियन चर्च ईस्टर रविवार यानी उनके जीवित होने के दिन को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे। किंतु चौथी सदी से गुडफ़्राइडे सहित ईस्टर के पूर्व आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित किया गया।[1]

बलिदान का दिन

कहा जाता है कि जब धरती पर मनुष्य पथभ्रष्ट होने लगा, धर्म के नाम पर हिंसा, आतंक, भ्रष्टाचार, अत्याचार और अंधविश्वास बढ़ गया तब परमेश्वर को शांति और प्रेम के लिए यीशु को अपने पुत्र के रूप भेजना पड़ा और यीशु ने कांटों का ताज पहन कर, सूली पर चढ़कर मानवता की सीख दी। 'गुड फ़्राइडे’ इसी मानवता के लिए प्राण का न्यौछावर करने का दिन है। आज से दो हज़ार साल पहले धर्म और जाति के नाम पर ख़ून-ख़राबा होने लगा था। लोग स्वार्थ में अंधे होकर पाप कर्म में लिप्त हो गये। जगह-जगह आतंक और अत्याचार बढ़ने लगा,तब पिता परमेश्वर ने निर्दोषों की रक्षा और भटके हुए लोगों को संमार्ग पर लाने के लिए अपने पुत्र की बलि देने का निर्णय किया। उन्होंने यीशु को धरती पर भेजकर मनुष्य को पाप कर्म से मुक्त होकर अपना जीवन सुधारने का मौक़ा दिया। जैसा कि कहा जाता है यीशु मसीह का जन्म ‘पलिस्तीन’ यानी इजराइल के एक गांव बैतलहम में अलौकिक शक्ति से मरियम के माध्यम से हुआ। उस वक़्त यीशु मसीह की माता मरियम और यूसुफ़ यानी यीशु के पिता की मंगनी ही हुई थी। दोनों के संयोग से पहले ही मरियम के गर्भवती होने की वजह से यूसूफ ने उन्हें त्यागने का मन बना लिया, लेकिन इससे पहले ही प्रभु के स्वर्गदूत ने यूसूफ को स्वप्न में मरियम के गर्भ में पवित्र आत्म के होने और उसकी रक्षा करने का आदेश दिया। यूसुफ ने प्रभु के दुत की आज्ञा मानी और जन्म के बाद बालक का नाम “यीशु” रखा। बालक यीशु को बैतलहम के राजा ‘हेरोदेस’ ने मरवाने की पर संभव प्रयास किया, लेकिन इससे पहले ही यूसूफ प्रभु के दूत के आदेश के पर मरियम और यीशु को लेकर मिस्र चले गये और राजा हेरोदेस के मरने तक मिस्र में रहे। फिर पुन: स्वप्न में चेतावनी पाकर गलील देश में चले गए और नासरत नाम के नगर में जा बसे।

यीशु जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले फरीसियों यानी धर्मपंडितों को मानवजाति का शत्रु कहा। अज्ञानता और अंधविश्वास को मानवता का कलंक कहा। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मपंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सज़ा दी। पर यीशु अपनी नियति से अवगत थे। यीशु मसीह को कई तरह की यातनाएं दी गयीं। सैनिकों ने यीशु का उपहास उड़ाया। यीशु को उनके कपड़े उतारकर लाल चोंगा पहनाया गया। कांटों का ताज उनके सिर पर रखा गया। इतना ही नहीं यीशु के मुंह पर थूका गया और उनके सर पर सरकण्डों से प्रहार किये गये। इसके बाद यीशु क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ‘गोल गोथा’ नामक जगह ले गये। जहां उन्हें दिन के बारह बजे दो डाकूओं के साथ एक को दाहिनी और दूसरा को बाई तरफ क्रूसों पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया वह शुक्रवार को दिन था। तीन घंटे बाद यीशु ने ऊंची आवाज़ में परमेश्वर को पुकारा ‘हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं,’ इतना कहकर उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया। मानवता के लिए बलिदान का वो दिन गुडफ़्राइडे था। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं। मौत के बाद यीशु को क़ब्र में दफना दिया गया, हैरानी तो तब हुई जब तीन दिन बाद यानी रविवार को यीशु जीवित हो उठे। कहते हैं पुन: जीवित होने के बाद यीशु चालीस दिन तक अपने शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गये।[1]

कैसे मनाया जाता है

रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ़्राइडे को उपवास दिवस के तौर पर मानता है, जबकि चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार एक बार पूरा भोजन हालांकि वह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर उसमें मांस के बदले मछली खायी जाती है और दो कलेवा यानी अल्पाहार लिया जाता है। रोमन रीति के अनुसार सामान्यतः पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के उपरांत कोई मास उत्सव नहीं होता जब तक कि ईस्टर निगरानी की अवधि बीत न जाये. प्रभु ईसा मसीह के स्मरण में भोज का कोई उत्सव नहीं होता और वह केवल पस्सिओं ऑफ़ द लोर्ड के सर्विस के दौरान भक्तों में वितरित किया जाता है।

सूली पर चढ़ाये हुए (क्रुसिफ़ाइड) ईसा मसीह

पूजा वेदी पूरी तरह से ख़ाली रहती है और क्रॉस, मोमबत्ती अथवा वस्त्र कुछ भी वहां नहीं रहता। प्रथा के अनुसार ईस्टर निगरानी अवधि में जल का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र ख़ाली किये जाते हैं। ईस्टर निगरानी की अवधि के दौरान गुड फ़्राइडे अथवा पवित्र शनिवार को घंटियाँ नहीं बजाने की परम्परा है।[2]

आदर्श समय

पैशन ऑफ़ द लॉर्ड के उत्सव का आदर्श समय अपराह्न तीन बजे है। इस समय पादरी के पहनावे का रंग लाल होता है। 1970 से पहले पहनावे का रंग काला होता था, केवल कम्यूनियन वाला हिस्सा बैंगनी रंग का होता था। 1955 से पहले पूरा पहनावा ही काला होने का विधान था। अगर कोई बिशप यह अनुष्ठान संपन्न करता है, वह एक सादा मुकुट पहनता है।[2]
प्रार्थना के तीन भाग होते हैं- बाइबल और धर्म ग्रंथों का पाठ, क्रॉस की पूजा और प्रभु भोज में सहभागिता।

बाइबिल पाठ

बाइबिल पाठ के पहले भाग में प्रभु यीशू के प्रति प्रेम और गुणगान की आवृत्ति या गायन होता है जो अक्सर एक से अधिक पाठकों या गायकों द्वारा किया जाता है। इस प्रथम चरण में प्रार्थना की एक श्रृंखला होती है जो चर्च, पोप, पादरी और चर्च में आने वाले गृहस्थों, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करने वालों, भगवान पर विश्वास नहीं करने वालों, सार्वजनिक कार्यालयों में काम करने वालों और विशेष तौर पर ज़रूरतमंद लोगों के लिए की जाती है।[2]

क्रॉस की पूजा

गुड फ़्राइडे के त्यौहार के दूसरे चरण में क्रॉस की पूजा की जाती है। एक क्रूसीफिक्स जिसमें एक ख़ास पारम्परिक ढंग से यीशु के लिए गीत गाये जाते हैं। हालांकि यह ज़रूरी नहीं है फिर भी यह धार्मिक समागम आम तौर पर वेदी के पास होता है, जिसमें सत्य और निष्ठा के साथ सम्मान व्यक्त किया जाता है और ख़ास तौर पर व्यक्तिगत रूप से जब प्रभु यीशू के प्रति प्रेम भाव के गीत गाये जा रहे हों।[2]

प्रभु भोज

ईसा मसीह की प्रतिमा

इसका तीसरा भाग होता है पवित्र प्रभु भोज का, जो इस त्यौहार की अंतिम कड़ी है। यह शुरू होती है आवर फादर के साथ लेकिन "रोटी तोड़ने की रस्म" और इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता । पवित्र गुरुवार की प्रार्थना सभा में अभिमंत्रित प्रभु प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है।[2]

गुड फ़्राइडे का संदेश

मानव का मानव द्वारा शोषण, निर्धनों का धनियों द्वारा दमन, शासकों का न्याय मांगने वालों को बन्दीगृह में डालना, मनुष्य के अधिकारों की अहवेलना, धर्म के पालन हेतु लोगों को उत्पीड़त करना, मानव इतिहास का दुखद पक्ष रहा है। इसके विरुद्ध बहुत से व्यक्तियों एवं धर्म परिवर्तकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर एक ऐसा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक वातावरण पैदा करने की चेष्टा की है जिसमें मनुष्य स्वतंन्त्र हवा में सांस ले सके। मनुष्य को सभ्य एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने में धर्म की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। दुनिया के प्रत्येक धर्म में क्रांति का धर्मविज्ञान मौजूद है इसलिए क्रांति धर्मविज्ञान और स्वतंत्रता धर्मविज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है। [3]

केन्द्रीय अवकाश

भारत में, गुड फ़्राइडे केन्द्रीय छुट्टी के साथ ही साथ राज्य की भी छुट्टी है, यद्यपि शेयर बाज़ार सामान्यतः बंद रहते हैं। कुछ राज्य जैसे- असम, गोवा, और केरल जहाँ बहुमत में न होने के बावजूद ईसाईयों की प्रतिशत जनसंख्या अधिक है, (जहाँ पर ईसाईयों की ज़्यादा तादाद है, के कई दूसरे व्यवसाय भी बंद रहते हैं) लेकिन देश के बाकी हिस्सों में ज़्यादातर व्यवसाय गुड फ़्राइडे के दिन खुले रहते हैं। अधिकांश विद्यालय गुड फ़्राइडे के दिन बंद रहते हैं।[4]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 गुडफ़्राइडे यानी बलिदान का दिन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) समय लाइव डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 22 अप्रॅल, 2011
  2. 2.0 2.1 2.2 2.3 2.4 प्रेम और क्षमा का संदेश देता है गुड फ़्राइडे (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) आज तक। अभिगमन तिथि: 22 अप्रॅल, 2011
  3. गुड फ़्राइडे का गुड संदेश (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) विस्फोट डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 22 अप्रॅल, 2011
  4. श्रद्धा से मनाया जाता है गुड फ़्राइडे (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) star news agency। अभिगमन तिथि: 22 अप्रॅल, 2011

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