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भोपाल पर्यटन

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भोपाल पर्यटन
मोती मस्जिद, भोपाल
विवरण मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल मध्य भारत में स्थित है। भारत के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से यह एक है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला भोपाल
स्थापना सन 1722
मार्ग स्थिति भोपाल सड़क द्वारा सांची से 66.7 कि.मी., इंदौर से 194 कि.मी., उज्जैन से 197 कि.मी., झांसी से 358 कि.मी., खजुराहो से 384 कि.मी., ग्वालियर से 402 कि.मी. और दिल्ली से 713 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि अनेक ऐतिहासिक स्‍मारकों और पर्यटन स्थलों के लिए भोपाल प्रसिद्ध है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा राजा भोज विमानतल, भोपाल।
रेलवे स्टेशन भोपाल जंक्शन, हबीबगंज।
बस अड्डा नादरा बस स्टैंड, हलालपुर बस स्टैंड, पुतलीघर बस स्टैंड, जवाहर चौक बस स्टैंड।
यातायात ऑटो रिक्शा, टैक्सी, मिनी बस।
क्या देखें बड़ा तालाब, लक्ष्मीनारायण मंदिर, मोती मस्जिद, शौकत महल, सदर मंज़िल, पुरातात्विक संग्रहालय आदि।
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि गृह आदि।
एस.टी.डी. कोड 755
ए.टी.एम लगभग सभी।

भोपाल पर्यटन का भारत के पर्यटन में अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। भोपाल मध्य प्रदेश के उन ज़िलों में से एक है, जहाँ पर्यटन के कई स्थान मौजूद हैं। भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी तो है ही, साथ ही यह शहर प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ आधुनिक शहर के सभी आयाम प्रस्तुत करता है। प्राचीनता के वैभव से मन भर जाए और अगर मध्यकालीन भारत को देखने का मन करे तो भोपाल शहर में घूमना अच्छा विकल्प है, क्योंकि भोपाल ने अपने अन्दर आज भी नवाबी तहजीब और नवानियत को क़ैद कर रखा है। भोपाल पुरातन और नवीन का एक सुन्दर मिश्रण है। पुराने शहर में स्थित पुराने बाज़ार, मस्जिदें और महल आज भी उस काल के शासकों के भव्य अतीत की याद दिलाते हैं। यहाँ अनेक शानदार मंदिर और मस्जिद बनी हुई हैं, जो अपने गौरवशाली अतीत की कहानी कहते प्रतीत होते हैं।

पर्यटन स्थल

मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल का दौरा मध्‍यकालीन नवाबों के वैभव की याद दिलाता है। भोपाल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनेक ऐतिहासिक स्‍मारकों के लिए भी प्रसिद्ध है। भोपाल और इसके आस-पास के कुछ दर्शनीय स्थान इस प्रकार हैं-

लक्ष्मीनारायण मंदिर

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'लक्ष्मीनारायण मंदिर' भोपाल में 'बिरला मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर सबसे ऊँची पहाड़ी 'अरेरा' पहाडियों पर नये विधान सभा भवन मार्ग के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों तरफ़ संगमरमर से बने मंदिरों में देवों के देव भगवान शिव और श्रीराम भक्त हनुमान की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं।

मोती मस्जिद

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मोती मस्जिद को 'कदसिया' बेगम की बेटी सिकन्दर जहाँ बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था। उनका घरेलू नाम 'मोती बीबी' था और उन्हीं के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम 'मोती मस्जिद' रखा गया था।

ताज-उल-मस्जिद

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'ताज-उल-मस्जिद' भोपाल की सबसे बड़ी मस्जिद है और यह एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में गिनी जाती है। 'ताज-उल-मस्जिद' का अर्थ है 'मस्जिदों का ताज'। यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिद है।

शौकत महल

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भोपाल राज्य की प्रथम महिला शासिका नवाब 'कदसिया बेगम' ने शौकत महल' का निर्माण करवाया था। 'शौकत महल' इस्‍लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है। यह महल पश्चिमी वास्तु और इस्लामी वास्तु का नायाब संगम है, जिसकी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है।

सदर मंजिल

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सदर मंज़िल शौकत महल के निकट बनी हुई है। वर्ष 1898 ई. में सदर मंज़िल की शानदार इमारत का निर्माण तत्कालीन नवाब शाहजहाँ बेगम द्वारा कराया गया था। भोपाल स्थित अनोखा सदर मंज़िल शामला की पहाडियों पर 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है।

बड़ा तालाब

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'बड़ा तालाब' मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मध्य में स्थित मानव निर्मित एक झील है। इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था। भोपाल की यह विशालकाय जल संरचना अंग्रेज़ी में 'अपर लेक' कहलाती है। इसी को हिन्दी में 'बड़ा तालाब' कहा जाता है। इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी माना जाता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है। भोपाल के 'बड़े तालाब' का निर्माण 11वीं सदी में 'परमार वंश' के राजा भोज ने करवाया था। बेहद प्राचीन और जन-उपयोगी इस जलाशय का इतिहास अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा हुआ है। तालाब का कुल भराव क्षेत्रफल 31 किलोमीटर है, पर अतिक्रमण एवं सूखे के कारण यह क्षेत्र 8-9 किलोमीटर में ही सिमट कर रह गया है। भोपाल की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को यह झीलनुमा तालाब लगभग तीस मिलियन गैलन पानी रोज देता है। इस बड़े तालाब के साथ ही एक 'छोटा तालाब' भी यहाँ मौजूद है और यह दोनों जल क्षेत्र मिलकर एक विशाल 'भोज वेटलैण्ड' का निर्माण करते हैं, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय रामसर सम्मेलन के घोषणा पत्र में संरक्षण की संकल्पना हेतु शामिल है।

गौहर महल

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'गौहर महल' बड़े तालाब के किनारे व्ही.आई.पी. रोड पर स्थित है। शौकत महल के पास बड़ी झील के किनारे स्थित वास्तुकला का यह ख़ूबसूरत नमूना कदसिया बेगम के काल का है। इस तिमंजिले भवन का निर्माण भोपाल राज्य की तत्कालीन शासिका नवाब कदसिया बेगम (1819-1837) ने करवाया था।

पुरातात्विक संग्रहालय

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मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले के सिरोंज में पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थानीय संग्रहालय स्थापित किया गया है। बनगंगा रोड पर स्थित पुरातात्विक संग्रहालय में मध्‍य प्रदेश के विभिन्‍न हिस्‍सों से कला के ख़ूबसूरत नमूने और मूर्तियों को एकत्रित करके रखा गया है। पुरातात्विक संग्रहालय में विभिन्‍न स्‍कूलों से एकत्रित की गई पेंटिग्‍स, बाघ गुफाओं की चित्रकारियों की प्रतिलिपियाँ, अलक्ष्‍मी और बुद्ध की प्रतिमाएँ इस संग्रहालय में सहेजकर रखी गई हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

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'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय' मध्य प्रदेश के भोपाल शहर की बड़ी झील के पार्श्व में स्थित श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित है। इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पद्धतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है।

भारत भवन

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'भारत भवन', राष्‍ट्रीय प्रान्त मध्य प्रदेश में स्थित सबसे अनूठे राष्‍ट्रीय संस्‍थानों में से है, जो कि एक विविध कला संग्रहालय भी है| 'भारत भवन' को 1982 ई. में स्‍थापित किया गया था। 'भारत भवन' भोपाल के बड़े तालाब के निकट स्थित है। 'भारत भवन' मुख्य रूप से प्रदर्शन कला और दृश्य कला का केंद्र है।

भीमबेटका गुफ़ाएँ

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भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम 'भीमबैटका' पड़ गया। इन गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाण कालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और यह मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है।


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