मुफ़्ती मोहम्मद सईद
मुफ़्ती मोहम्मद सईद
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पूरा नाम | मुफ़्ती मोहम्मद सईद |
जन्म | 12 जनवरी, 1936 |
जन्म भूमि | बिजबेहरा, ज़िला अनंतनाग, जम्मू और कश्मीर |
मृत्यु | 7 जनवरी, 2016 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' (पीडीपी) |
पद | भूतपूर्व मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर (दो बार) |
कार्य काल | मुख्यमंत्री प्रथम-2 नवंबर 2002 से 2 नवंबर 2005 तक |
शिक्षा | परास्नातक (अरब इतिहास) तथा विधि स्नातक |
विद्यालय | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय |
अन्य जानकारी | वर्ष 1999 में मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस को छोड़कर एक नये क्षेत्रीय राजनैतिक संगठन 'जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' (पीडीपी) का गठन किया। |
मुफ़्ती मोहम्मद सईद (अंग्रेज़ी: Mufti Mohammad Sayeed, जन्म- 12 जनवरी, 1936; मृत्यु- 7 जनवरी, 2016) भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के भूतपूर्व नौवें मुख्यमंत्री थे। वे 'जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' के अध्यक्ष थे। मुफ़्ती मोहम्मद सईद को भारत के प्रथम मुस्लिम गृहमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। 2014 के चुनावों में वह अनंतनाग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हिलाल अहमद शाह को 6028 वोटों के अंतर से हराकर विधायक निर्वाचित हुए थे। साल 1989 में इनकी बेटी रूबैया सईद का अपहरण हुआ, जिसके बदले में आतंकवादियों ने अपने पांच साथियों को मुक्त करवा लिया था।
परिचय
मुफ़्ती मोहम्मद सईद का जन्म 12 जनवरी, 1936 में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बिजबेहरा नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अरब इतिहास की परास्नातक तथा विधि स्नातक की शिक्षा प्राप्त की थी। राजनेता और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती उनकी बेटी हैं। मुफ़्ती मोहम्मद सईद ऐसे परिवार से नहीं थे, जो बहुत अमीर या शोहरतमंद रहा हो। अनंतनाग के बिज्बेहारा में उनके पिता धार्मिक उपदेशक थे और परिवार बहुत गरीब था। दान-दक्षिणा से गुजारा चलता था। ऐसे में मुफ़्ती मोहम्मद सईद का आगे बढ़ना बहुत मायने रखता है। वह श्रीनगर पढ़ने गये। डिग्री हासिल करने के बाद आगे पढ़ना चाहते थे, लेकिन आर्थिक दिक्कतें थीं।
मदद हासिल करने के लिहाज से मुफ़्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री ग़ुलाम मोहम्मद सादिक़ के पास पहुंचे। बस मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया। अचानक वह राजनीति में कूदने के बारे में सोचने लगे। हालांकि इससे पहले ही उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एम.ए. की थी। सियासी पारी में उनकी शुरुआत उस पार्टी से हुई जो अब करीब करीब जम्मू-कश्मीर से खत्म हो चुकी है। इसका नाम था- 'डेमोक्रेटिक नेशनल कांफ्रेंस'। इसके बाद मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कई पार्टियां बदलीं। हालांकि सबसे ज्यादा सुर्खियां उन्हें तब हासिल हुईं, जब वह 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री बने।
प्रथम मुस्लिम गृहमंत्री
मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने अपना राजनैतिक जीवन 50 के दशक के अन्तिम वर्षों में डेमोक्रेटिक नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ प्रारंभ किया और वर्ष 1962 में पहली बार बिजबेहरा से विधायक चुने गए। 1967 में वे इसी सीट पर पुनः निर्वाचित हुए और ग़ुलाम मोहम्मद सादिक़ की सरकार में उपमंत्री बनाये गए। कुछ समय पश्चात वे डेमोक्रेटिक नेशनल कॉन्फ्रेंस से अलग होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। वे कुछ उन गिने-चुने लोगों में से एक थे, जिन्होंने कांग्रेस को घाटी में महत्वपूर्ण राजनैतिक समर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। वर्ष 1972 में राज्य की कांग्रेस सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री तथा विधान परिषद में कांग्रेस का नेता बनाया गया। 1986 में उन्हें राजीव गांधी की सरकार के मंत्रिमंडल में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वे वर्ष 1987 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाले जनमोर्चा में सम्मिलित हो गए। 1989 में उन्होने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वी.पी. सिंह के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार में उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री बनाया गया। वे देश के गृहमंत्री बनने वाले प्रथम मुस्लिम व्यक्ति थे।
मुफ़्ती मोहम्मद सईद के मंत्रिकाल में इनकी बेटी रूबैया सईद का आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अपहरण कर लिया। आतंकियों ने पांच आतंकियों को जेल से रिहा करने के पश्चात उनकी बेटी को छोड़ा। इस घटना का विरोध जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फ़ारूक अब्दुल्ला ने किया था। भारत के गृहमंत्री रहते हुए भी 24 दिसंबर, 1999 को इन्डियन एयरलाइंस का विमान अपहृत कर लिया गया। परिणामस्वरूप अजहर मसूद एवं अन्य दो आतंकियों को रिहा करना पड़ा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मुफ़्ती मोहम्मद सईद एक बार फिर कांग्रेस के साथ आए, लेकिन वे कांग्रेस के साथ अधिक समय तक नहीं रह पाये। वर्ष 1999 में उन्होने कांग्रेस को छोड़कर एक नये क्षेत्रीय राजनैतिक संगठन 'जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' (पीडीपी) का गठन किया। 2002 में संपन्न जम्मू-कश्मीर विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सहभागिता की और विधान सभा की 16 सीटों पर विजय प्राप्त की। इस विजय के पश्चात उन्होने कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनायी, जिसमें मुख्यमंत्री के रूप में 2 नवंबर, 2002 से 2 नवंबर, 2005 तक उन्होंंने पहली बार जम्मू-कश्मीर सरकार का नेतृत्व किया। वर्ष 2015 में संपन्न जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान सभा चुनाव में इनके नेतृत्व में पीडीपी सबसे बड़ी विजेता पार्टी बनी, जिसने भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनायी और वे दुबारा मुख्यमंत्री बने। वह 1 मार्च, 2015 से 7 जनवरी, 2016 तक मुख्यमंत्री रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |