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*भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। '''[[नृत्य कला|.... और पढ़ें]]''' | *भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। '''[[नृत्य कला|.... और पढ़ें]]''' | ||
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| colspan="3" | <div style="padding-left:5px; background:#fdbaba">'''चयनित चित्र'''</div> | |||
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[[चित्र:Krishna-parents.jpg|300px|[[राजा रवि वर्मा]] द्वारा चित्रित [[कृष्ण]]-[[बलराम]]|center]] | |||
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<div style="text-align:center;">[[राजा रवि वर्मा]] द्वारा चित्रित [[कृष्ण]]-[[बलराम]]</div> | |||
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| style="border:1px solid # | | class="headbg22" style="border:1px solid #FFA6A6;padding:10px;" valign="top" colspan="2" | <div class="headbg21" style="padding-left:8px;">'''चयनित लेख'''</div> | ||
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div> | |||
[[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]] | |||
*[[मथुरा]] की कलाकृतियों में पत्थर की प्रतिमाओं तथा प्राचीन वास्तुखण्डों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौनों का भी समावेश होता है। | |||
[[चित्र: | *चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। | ||
| | *लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। | ||
*यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon> | |||
*मथुरा शहर और उसके आसपास के क्षेत्र से यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं। '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]''' | |||
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07:38, 16 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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