वीरनाट्यम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

वीरनाट्यम आन्ध्र प्रदेश के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। भगवान शिव से सम्बन्धित वेद-पुराण से ली गयी कहानियों पर आधारित यह नृत्य अत्यन्त प्रचलित लोक नृत्य है।

नृत्य की कथा-वस्तु

इस नृत्य की कहानी में दक्ष प्रजापति द्वारा किये गए एक अनुष्ठान को दर्शाया जाता है, जिसमें उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को छोड़कर अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। फिर भी देवी पार्वती, भगवान शिव के मना करने पर भी अनुष्ठान में भाग लेने पहुँच जाती हैं और वहाँ पर उनके पति भगवान शिव का अपमान किये जाने पर वे रुष्ट होकर अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लेती हैं। बाद में वे हिमालय पुत्री के रूप में पुनर्जन्म लेती हैं। इस घटना से क्रोधित होकर शिव अपनी जटा से वीरभद्र को जन्म देते हैं, जो उस अनुष्ठान को तहस-नहस कर भगवान शिव के अनादर का बदला लेता है।

वाद्य यंत्र

यह वीरनाट्यम नृत्य लोगों द्वारा अपनी सुख, शान्ति एवं समृद्धि हेतु भगवान वीरभद्र की आराधना स्वरूप किया जाता है। इस नृत्य में तम्बूरा, सूलेन, ढोल, ताशा आदि वाद्य यंत्र तथा वीरनाम एवं प्रज्वलित त्रिशूल आदि का प्रयोग किया जाता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आंध्र प्रदेश के लोक नृत्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 अक्टूबर, 2012।

संबंधित लेख