जागर नृत्य

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जागर नृत्य गढ़वालकुमाऊँ क्षेत्र का प्रमुख नृत्य है। यह नृत्य देवी-देवताओं पर आधारित है।

  • जागर उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊँ दोनों क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है।
  • यह देवताओं के पौराणिक गाथाओं पर आधारित होता है जिसमें देवताओं को पुकारा जाता है।
  • जागरवादक व जागर गीतों का ज्ञाता इसमें हाथ में डमरू/हुड़क, थाली व नरसिंघ का चिमटा बजाया जाता है।
  • यह नृत्य सिर्फ देवता के पेशवा द्वारा किया जाता है।
  • जागर और पंवाड़ा लोक नृत्य देवी-देवताओं को नचवाने के लिए किए जाते हैं।
  • देवी-देवताओं की कथाओं पर आधारित गायन और छंदबद्ध कथावाचन (गाथा) का प्रस्तुतीकरण इस विधा का रोचक पक्ष है।[1]
  • गायन-वादन के लिए विशेष रूप से गुरु-शिष्य परंपरा में प्रशिक्षित व्यक्ति ही आमंत्रित किए जाते हैं, जिनका आज भी यही मुख्य रोजगार है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तराखंड के लोक नृत्यों की है अलग पहचान (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 23 नवंबर, 2021।

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