कोलकाता आलेख

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कोलकाता आलेख
Kolkata-colaj.jpg
विवरण कोलकाता का भारत के इतिहास में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। कोलकाता शहर बंगाल की खाड़ी के ऊपर हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है।
राज्य पश्चिम बंगाल
ज़िला कोलकाता
स्थापना सन 1690 ई. में जॉब चार्नोक द्वारा स्थापित
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 22°33′ - पूर्व -88°20′
मार्ग स्थिति कोलकाता शहर राष्‍ट्रीय राजमार्ग तथा राज्‍य राजमार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है। कोलकाता सड़क मार्ग भुवनेश्‍वर से 468 किलोमीटर उत्तर-पूर्व, पटना से 602 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व तथा रांची से 404 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
प्रसिद्धि रसगुल्ला, बंगाली साड़ियाँ, ताँत की साड़ियाँ
कब जाएँ अक्टूबर से फ़रवरी
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा व दमदम हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन, सियालदह जंक्शन।
बस अड्डा बस अड्डा, कोलकाता
यातायात साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस, ट्राम और मेट्रो रेल
क्या देखें पर्यटक स्थल
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला
क्या खायें रसगुल्ला, भात
क्या ख़रीदें हथकरघा सूती साड़ियाँ, रेशम के कपड़े, हस्‍तशिल्‍प से निर्मित वस्‍तुएँ भी ख़रीद सकते हैं।
एस.टी.डी. कोड 033
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र, कोलकाता हवाई अड्डा
अन्य जानकारी वृहद कोलकाता में 30 से अधिक संग्रहालय हैं, जो विविध विषयों पर आधारित हैं। 1814 में स्थापित 'इंडियन म्यूज़ियम' भारत में सबसे पुराना और अपनी तरह का देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। पुरातत्त्व और मुद्राविषयक खण्डों में सबसे मूल्यवान संग्रह हैं।

कोलकाता शहर, पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है और भूतपूर्व ब्रिटिश भारत (1772-1912) की राजधानी था। कोलकाता का उपनाम डायमण्ड हार्बर भी है। यह भारत का सबसे बड़ा शहर है और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। कोलकाता का पुराना नाम कलकत्ता था। 1 जनवरी, 2001 से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ।[1] कोलकाता शहर बंगाल की खाड़ी के मुहाने से 154 किलोमीटर ऊपर को हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है, जो कभी गंगा नदी की मुख्य नहर थी।

यहाँ पर जल से भूमि तक और नदी से समुद्र तक जहाज़ों की आवाज़ाही के केन्द्र के रूप में बंदरगाह शहर विकसित हुआ। मुख्य शहर का क्षेत्रफल लगभग 104 वर्ग किलोमीटर है, हालाँकि महानगरीय क्षेत्र[2] काफ़ी बड़ा है और लगभग 1,380 किलोमीटर में फैला है। वाणिज्य, परिवहन और निर्माण का शहर कोलकाता पूर्वी भारत का प्रमुख शहरी केन्द्र है। इस शहर का अंग्रेज़ी नाम कलकत्ता है।

  • कुछ लोगों के अनुसार कालीकाता की उत्पत्ति बांग्ला शब्द कालीक्षेत्र से हुई है, जिसका अर्थ है 'काली (देवी) की भूमि'।
  • कुछ कहते हैं कि शहर का नाम एक नहर (ख़ाल) के किनारे पर उसकी मूल बस्ती होने से पड़ा।
  • तीसरा विचार यह है कि चूना (काली) और सिकी हुई सीपी (काता) के लिए बांग्ला शब्दों से मिलकर यह नाम बना है, क्योंकि यह क्षेत्र पकी हुई सीपी से उच्च गुणवत्ता वाले चूने के निर्माण के लिए विख्यात है।
  • एक अन्य मत यह है कि इस नाम की उत्पत्ति बांग्ला शब्द किलकिला (समतल क्षेत्र) से हुई है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

स्थापना

ब्रिटिश अधिकारी जॉब चार्नोक का कोलकाता आज एक महानगर के रूप में तब्‍दील हो चुका है। जॉब चारनाक ने 1690 ई. में तीन गाँवों कोलिकाता, सुतानती तथा गोविन्‍दपुरी नामक जगह पर कोलकाता की नींव रखी थी। वही कोलकाता आज एक भव्‍य शहर का रूप ले चुका है। कोलकाता का भारत के इतिहास में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। यहाँ पर ही 1756 ई. में प्रसिद्ध कालकोठरी की घटना घटी थी। इसके अलावा 1757 ई. में यहीं प्‍लासी का प्रसिद्ध युद्ध हुआ था। इसी युद्ध ने आगे चलकर भारत के इतिहास को बदल दिया। पहले इस शहर का नाम कलकत्ता था। लेकिन 2001 ई. में इसे बदल कर कोलकाता कर दिया गया।

इतिहास

प्रारम्भिक काल

कालीकाता नाम का उल्लेख मुग़ल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है। एक ब्रिटिश बस्ती के रूप में कोलकाता का इतिहास 1690 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक अधिकारी जाब चार्नोक द्वारा यहाँ पर एक व्यापार चौकी की स्थापना से शुरू होता है। हुगली नदी के तट पर स्थित बंदरगाह को लेकर पूर्व में चार्नोक का मुग़ल साम्राज्य के अधिकारियों से विवाद हो गया था और उन्हें वह स्थान छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने नदी तट पर स्थित अन्य स्थानों पर स्वयं को स्थापित करने के कई असफल प्रयास किए।

बेलूर मठ, कोलकाता

मुग़ल अधिकारियों ने ब्रिटिश कम्पनी के वाणिज्य से होने वाले लाभ को न खोने की चाह में जब जॉब चार्नोक को पुनः लौटने की अनुमति दी, तब उन्होंने कोलकाता को अपनी गतिविधियों के केन्द्र के रूप में चुना। स्थल का चुनाव सावधानीपूर्वक किया गया प्रतीत होता है, क्योंकि यह पश्चिम में हुगली नदी, उत्तर में ज्वार नद और पूर्व में लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर लवणीय झील द्वारा संरक्षित था। नदी के पश्चिमी तट पर ऊँचे स्थानों पर डच, फ़्राँसीसी व अन्य प्रतिद्वन्द्वियों की बस्तियाँ स्थित थीं। चूँकि यह हुगली के बंदरगाह पर स्थित था, इसलिए समुद्र से पहुँचने के मार्ग को कोई ख़तरा नहीं था। इस स्थल पर नदी चौड़ी और गहरी भी थी। केवल एक ही हानि थी कि यह अत्यन्त दलदली क्षेत्र था, जिससे यह जगह अस्वास्थ्यकर हो गई। इसके अतिरिक्त, अंग्रेज़ों के आने के पहले, तीन स्थानीय गाँवों, सुतानती, कालीकाता और गोविन्दपुर, जो बाद में सामूहिक रूप में कोलकाता कहलाने लगे, का चयन उन भारतीय व्यापारियों के द्वारा बसने के लिए किया गया था, जो गाद से भरे सतगाँव के बंदरगाह से प्रवासित हुए थे। चार्नोक के स्थल चयन में इन व्यापारियों की उपस्थिति भी कुछ हद तक उत्तरदायी रही होगी।

1696 में निकटवर्ती बर्द्धमान ज़िले में एक विद्रोह होने तक मुग़ल प्रान्तीय प्रशासन का इस बढ़ती हुई बस्ती के प्रति दोस्ताना व्यवहार हो गया था। कम्पनी के कर्मचारियों ने जब व्यापार चौकी या फ़ैक्ट्री की क़िलेबन्दी की अनुमति माँगी, तब उनकी सुरक्षा की सामान्य शर्तों पर उन्हें इजाज़त दे दी गई। मुग़ल शासन ने विद्रोह को आसानी से दबा दिया, किन्तु उपनिवेशियों का ईंट व मिट्टी से बना सुरक्षात्मक ढाँचा वैसा ही बना रहा और 1700 में यह फ़ोर्ट विलियम कहलाया। 1698 में अंग्रेज़ों ने वे पत्र प्राप्त कर लिए, जिसने उन्हें तीन गाँवों के ज़मींदारी अधिकार (राजस्व संग्रहण का अधिकार, वास्तविक स्वामित्व) ख़रीदने का विशेषाधिकार प्रदान कर दिया।

कलकत्ता की काल कोठरी

20 जून 1756 को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला द्वारा नगर पर क़ब्ज़ा करने और ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रतिरक्षक सेना द्वारा परिषद के एक सदस्य जॉन जेड हॉलवेल के नेतृत्व में समर्पण करने के बाद घटी घटना में नवाब ने शेष बचे यूरोपीय प्रतिरक्षकों को एक कोठरी में बंद कर दिया था, जिसमें अनेक बंदियों की मृत्यु हो गई थी, यह घटना भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आदर्शीकरण का एक सनसनीखेज मुक़दमा और विवाद का विषय बनी।

फोर्ट विलियम

बंगाल में मुग़ल पद्धति के अनुसार क़ाज़ी अपराधिक और दीवानी मामलों का निपटारा किया करते थे। जबकि ज़मींदारों पर लगान वसूलने की ज़िम्मेदारी थी। क़ाज़ी इस्लामी पद्धति से न्याय करते थे, हिन्दुओं के मामले में पंडितों का सहयोग प्राप्त किया जाता था। मूल इकाई के रूप में पंचायतें क़ायम थीं। क़ाज़ी के निर्णय के विरुद्ध क़ाज़ी-ए-सूबा को अपील की जा सकती थी। क़ाज़ी का पद वंशानुगत होता था जिस के लिए बाद में बोली लगने लगी थी। विधि से अनभिज्ञ लोग न्याय कर रहे थे। भ्रष्टाचार और पक्षपात का बोलबाला था। 1733 में क़ाज़ी के अधिकार ज़मींदारों को दे दिए गए। ज़मीदारों ने भी अपनी स्वार्थ सिद्धि के अतिरिक्त कुछ नहीं किया। ज़मींदारों को सभी तरह के न्याय के अधिकार दिए गए थे अपील सूबे के नवाब को की जा सकती थी लेकिन वे इने-गिने मामलों में ही होती थी। ज़मींदार न्याय के लिए सौदेबाज़ी करने लगे थे। सामान्य जन लूट के भारी शिकार थे।[3]

पूर्वी भारत में व्यापार के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी और जॉब चार्नोक को यह सुरक्षित व स्थायी ठिकाना मिलना बड़ी उपलब्धि थी। यूरोप से एशिया तक व्यापार के लिए अग्रसर अंग्रेज़ व्यापारियों के लिए सूरत, मुंबई और मद्रास के बाद पूर्वी भारत में सूतानती एक ऐसा केंद्र मिल गया जहाँ ईस्ट इंडिया कंपनी के नुमाइंदे व्यापार के लिहाज़ से कारखाने खोले और बाद में फोर्ट विलियम की क़िलेबंदी करके अपनी स्थिति मज़बूत करने में सफल हुए।[4]

शहर का विकास

कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट

1717 में मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सीयन ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को 3,000 रुपये वार्षिक भुगतान पर व्यापार की अनुमति दे दी। इस व्यवस्था ने कोलकाता के विकास को बहुत बढ़ावा दिया। बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारी शहर में एकत्र होने लगे। कम्पनी के झण्डे के नीचे कम्पनी के कर्मचारी शुल्क-मुक्त निजी व्यापार करने लगे। 1742 में मराठों ने जब दक्षिण-पश्चिम से बंगाल के पश्चिमी­ ज़िलों में मुग़लों के विरुद्ध आक्रमण शुरू किया, तब अंग्रेज़ों ने बंगाल के नवाब (शासक) अलीवर्दी ख़ाँ से शहर के उत्तरी और पूर्वी भाग में एक खाई खोदने की अनुमति प्राप्त कर ली। यह मराठा खाई के नाम से जानी गई। हालाँकि यह बस्ती के दक्षिण छोर तक पूरी तरह नहीं बन पाई, पर इसने शहर की पूर्वी सीमा का निर्माण किया। 1756 में नवाब के उत्तराधिकारी, सिराजुद्दौला ने क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया और शहर को लूटा। भारत में ब्रिटिश शक्ति के संस्थापकों में से एक राबर्ट क्लाइव और ब्रिटिश नौसेनाध्यक्ष चार्ल्स वाटसन ने जनवरी 1757 में कोलकाता पर फिर से अधिकार कर लिया। थोड़े समय के बाद प्लासी (जून 1757) में नवाब हार गए। जिसके बाद बंगाल में ब्रिटिश राज सुनिश्चित हो गया। गोविन्दपुर के जंगलों को काट दिया गया और हुगली की उपेक्षा कर वर्तमान स्थल कोलकाता पर नए फ़ोर्ट विलियम का निर्माण किया गया, जहाँ यह ब्रिटिश सत्तारोहण का प्रतीक बन गया।

मार्बल पैलेस, कोलकाता

राजधानी

1772 तक कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी नहीं बना, उस वर्ष प्रथम गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिग्ज़ ने प्रान्तीय मुग़ल राजधानी मुर्शिदाबाद से सभी महत्त्वपूर्ण कार्यालयों का स्थानान्तरण इस शहर में किया। 1773 में बंबई और मद्रास, फ़ोर्ट विलियम स्थित शासन के अधीन आ गए। ब्रिटिश क़ानून को लागू करने वाले उच्चतम न्यायालय ने अपना प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार शहर में मराठा खाई (वर्तमान आचार्य प्रफुल्ल चंद्र और जगदीश चंद्र बोस मार्गों) तक लागू करना प्रारम्भ कर दिया।

1706 में कोलकाता की जनसंख्या लगभग 10,000 से 12,000 थी। 1752 में यह लगभग 1,20,000 तक और 1821 में यह 1,80,000 तक पहुँची। श्वेत (ब्रिटिश) नगर का निर्माण उस भूमि पर किया गया, जो कई बार बसी और कई बार उजड़ी थी। ब्रिटिश भाग में इतने महल थे कि शहर का नाम ही महलों का शहर पड़ गया। ब्रिटिश उपनगर के बाहर नवधनाढ्य लोगों के भव्य आवासों के साथ-साथ झोपड़ियों के समूह निर्मित किए गए। नगर के विभिन्न भागों के नाम, जैसे कुमारटुली (कुम्हारों का क्षेत्र) और सांकारीपाड़ा (शंख-सीप कारीगरों का क्षेत्र) अब भी अलग-थलग व्यावसायिक जातियों के लोगों को दर्शाते हैं, जो बढ़ते हुए महानगर के निवासी बन गए। दो अलग-अलग प्रजातियाँ, अंग्रेज़ और भारतीय, कोलकाता में एक साथ निवास करने लगीं।

निवेदिता सेतु, कोलकाता

उस समय कोलकाता को असुविधाजनक शहर माना जाता था। सड़कें बहुत ही कम थीं। जनकार्य में सुधार के लिए लॉटरी के माध्यम से वित्त प्रबन्ध के लिए 1814 में एक लॉटरी समिति का गठन किया गया, उसने हालत सुधारने के लिए 1814 से 1836 के बीच कई प्रभावी कार्य किए। 1814 में निगम की स्थापना की गई। यद्यपि 1864, 1867 और 1870 के चक्रवात ने निचले क्षेत्र में रह रहे ग़रीब लोगों को तबाह कर दिया। क्रमिक चरणों में जैसे-जैसे ब्रिटिश शक्ति का प्रायद्वीप में विस्तार होता गया, सम्पूर्ण उत्तर भारत कोलकाता बंदरगाह का पृष्ठ क्षेत्र बन गया। 1835 में आंतरिक चुंगी शुल्क समाप्त किए जाने से एक खुला बाज़ार निर्मित हुआ और रेलवे के निर्माण (प्रारम्भ 1854 में) ने व्यापार एवं उद्योग के विकास को और अधिक बढ़ावा दिया। इसी समय कोलकाता से पेशावर (अब पाकिस्तान) तक ग्रैंड ट्रंक रोड को पूरा किया गया। ब्रिटिश व्यापार, बैंकिग और बीमा व्यवसाय फले-फूले। कोलकाता का भारतीय उपक्षेत्र भी व्यवसाय का व्यस्त केन्द्र बन गया और भारत के सभी भागों और एशिया के कई अन्य भागों के लोगों से भर गया। कोलकाता प्रायद्वीप का बौद्धिक केन्द्र बन गया।

20वीं शताब्दी में कोलकाता

20वीं सदी में कोलकाता के दुर्भाग्य का उदय हुआ। भारत के वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न ने 1905 में बंगाल को विभाजित किया व ढाका को पूर्व बंगाल और असम की राजधानी बनाया। विभाजन को रद्द करने के लिए तीव्र आन्दोलन किए गए। किन्तु 1912 में ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली लाई गई, जहाँ से सरकार अपेक्षाकृत शान्ति से चल सकती थी। 1947 में बंगाल का विभाजन अन्तिम प्रहार था। चूँकि कोलकाता की जनसंख्या बढ़ गई थी, यहाँ सामाजिक समस्याएँ भी तीव्र हो गईं और भारत के लिए स्वशासन की माँग भी। 1926 में साम्प्रदायिक दंगे हुए और जब 1930 में महात्मा गांधी ने अन्यायपूर्ण क़ानूनों की अवज्ञा करने का आह्वान किया, तब फिर से दंगे हुए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोलकाता बंदरगाह पर हुए जापानी हवाई हमलों से बहुत नुक़सान हुआ और जनहानि भी हुई। सबसे भयानक साम्प्रदायिक दंगे 1946 में हुए, जब ब्रिटिश भारत का विभाजन तय था और मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच तनाव चरम पर था।

Blockquote-open.gif वृहद कोलकाता में 30 से अधिक संग्रहालय हैं, जो विविध विषयों पर आधारित हैं। 1814 में स्थापित 'इंडियन म्यूज़ियम' भारत में सबसे पुराना और अपनी तरह का देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। पुरातत्त्व और मुद्राविषयक खण्डों में सबसे मूल्यवान संग्रह हैं। Blockquote-close.gif

1947 में बंगाल के भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन से कोलकाता बहुत पिछड़ गया, क्योंकि यह अपने पूर्व पृष्ठभाग के एक हिस्से का व्यापार खोकर, केवल पश्चिम बंगाल की राजधानी बनकर रह गया। इसी समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्ला देश) से हज़ारों शरणार्थी कोलकाता आ गए, जिससे सामाजिक समस्याएँ व जनसंख्या और भी बढ़ गई, जो पहले ही चिंताजनक अनुपात में पहुँच चुकी थी। 1960 के दशक के मध्य तक आर्थिक गतिहीनता ने नगर के सामाजिक व राजनीतिक जीवन में अस्थिरता को बढ़ा दिया और शहर से पूँजी के निकास को बढ़ावा दिया। राज्य शासन ने कई कम्पनियों का प्रबन्ध अपने हाथों में लिया। विशेषकर 1980 के दशक में बड़ी संख्या में लोक निर्माण कार्यक्रम और केन्द्रीकृत क्षेत्रीय योजनाओं ने शहर की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के सुधार में योगदान दिया।

अतीत के झरोखे से

भारत की बौद्धिक राजधानी माना जाने वाला कोलकाता ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर को किसी जमाने में पूरब का मोती पुकारा जाता था। अंग्रेज़ इसे भले ही 'कैलकटा' पुकारते थे लेकिन बंगाल और बांग्ला में इसे हमेशा से कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही पुकारा जाता रहा है जबकि हिन्दी भाषी इसको कलकत्ता या कलकत्ते के नाम से पुकारते रहे है।

हावड़ा ब्रिज, कोलकाता

सम्राट अकबर के चुंगी दस्तावेजों और पंद्रहवी सदी के बांग्ला कवि विप्रदास की कविताओं में इस नाम का बार बार उल्लेख मिलता है। लेकिन फिर भी नाम की उत्पत्ति के बारे में कई तरह की कहानियाँ मशहूर हैं। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार हिंदुओं की देवी काली के नाम से इस शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। इस शहर के अस्तित्व का उल्लेख व्यापारिक बंदरगाह के रूप में चीन के प्राचीन यात्रियों के यात्रा वृतांत और फारसी व्यापारियों के दस्तावेज़ों में भी उल्लेख है। महाभारत में भी बंगाल के कुछ राजाओं के नाम है जो कौरव सेना की तरफ से युद्ध में शामिल हुये थे।

बौद्धिक विरासत से भरपूर कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में केन्द्रीय भूमिका रह इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा चुका है। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के साथ-साथ कई प्रमुख राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे 'हिन्दू मेला' और क्रांतिकारी संगठन 'युगांतर', 'अनुशीलन' की स्थापना इसी शहर में हुई साथ ही इस शहर को भारत की बहुत सी महान् हस्तियों जैसे प्रारंभिक राष्ट्रवादी अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिन चन्द्र पाल थे। राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दु बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानन्द भी। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष श्री व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी और स्वराज की वक़ालत करने वाले श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी थे। 19 वी सदी के उत्तरार्ध और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में प्रख्यात बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी जिनका लिखा आनंदमठ का गीत 'वन्दे मातरम' आज भारत का राष्ट्र गीत है और नेताजी सुभाषचंद्र बोस, इसके अलावा राष्टकवि रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान् रचनाकार से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाहियों का घर होने का गौरव प्राप्त है।[5]

1757 के बाद से इस शहर पर पूरी तरह अंग्रेज़ों का प्रभुत्व स्थापित हो गया और 1850 के बाद से इस शहर का तेज़ीसे औद्योगिक विकास होना शुरू हुआ ख़ासकर कपड़ों के उद्योग का विकास नाटकीय रूप से यहाँ बढा हालाकि इस विकास का असर शहर को छोड़कर आसपास के इलाकों में कहीं परिलक्षित नहीं हुआ। 5 अक्टूबर 1864 को समुद्री तूफ़ान[6] की वजह से कोलकाता में बुरी तरह तबाही होने के बावजूद कोलकाता अधिकांशत: अनियोजित रूप से अगले डेढ सौ सालों में बढता रहा और आज इसकी आबादी लगभग 14 मिलियन है। कोलकाता 1980 से पहले भारत की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर था, लेकिन इसके बाद मुंबई ने इसकी जगह ली। भारत की आज़ादी के समय 1947 में और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद 'पूर्वी बंगाल' (अब बांग्लादेश) से यहाँ शरणार्थियों की बाढ आ गयी जिसने इस शहर की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झकझोर दिया।[7]

As we enter the town, a very expansive Square opens before us, with a large expanse of water in the middle, for the public use… The Square itself is composed of magnificent houses which render Calcutta not only the handsomest town in Asia but one of the finest in the world. L. de Grandpré[8]

भौतिक एवं मानव भूगोल

शहर का स्वरूप

एस्प्लेनेड से कोलकाता का दृश्य

उपनिवेशवादी अंग्रेज़ों के द्वारा भव्य यूरोपीय राजधानी के रूप में अभिकल्पित कोलकाता अब भारत के सबसे अधिक निर्धन और सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। यह अत्यधिक विविधताओं और अंतर्विरोधों के शहर के रूप में विकसित हुआ है। कोलकाता को अपनी अलग पहचान पाने के लिए तीव्र यूरोपीय प्रभाव को आत्मसात करना था और औपनिवेशिक विरासत की सीमाओं से बाहर आना था। इस प्रक्रिया में शहर ने पूर्व और पश्चिम का एक संयोग बना लिया, जिसे 19वीं शताब्दी के कुलीन बंगालियों के जीवन कार्यों में अभिव्यक्ति मिली। इस वर्ग के सबसे विशिष्ट व्यक्तित्व थे, कवि और रहस्यवादि रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय शहरों में सबसे बड़ा और सबसे अधिक जीवन्त यह शहर अजेय लगने वाली आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक समस्याओं के बीच फला-फूला है। यहाँ के नागरिकों ने अत्यधिक जीवंतता दिखाई है, जो कला व संस्कृति में उनकी अभिरुचि और एक स्तर की बौद्धिक ओजस्विता में प्रदर्शित होती है। यहाँ की राजनीतिक जागरुकता देश में अन्यत्र दुर्लभ है। कोलकाता के पुस्तक मेलों, कला प्रदर्शनियों और संगीत सभाओं में जैसी भीड़ होती है, वैसी भारत के किसी अन्य शहर में नहीं होती। दीवारों पर वाद-विवाद का अच्छा-ख़ासा आदान-प्रदान होता है, जिसके कारण कोलकाता को इश्तहारों का शहर कहा जाने लगा है।

प्रबल जीवन शक्ति के बावजूद कोलकाता शहर में कई निवासी सांस्कृतिक पर्यावरण से बहुत दूर ख़ासी ख़राब स्थितियों में जीवन-यापन करते हैं। हालाँकि शहर की ऊर्जा, सबसे पिछड़ी झोपड़ियों तक भी प्रवाहित होती है, क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में कोलकातावासी ऐसे लोगों की सहायता गम्भीरतापूर्वक करते हैं, जो ग़रीब व पीड़ित लोगों की मदद में जुटे हैं। संक्षेप में, कोलकाता विदेशियों के साथ-साथ अनेक भारतीयों के लिए भी रहस्यमय बना हुआ है। यह नवागतों के लिए पहेली है और वहाँ रहने वाले लोगों के मन में एक स्थायी लगाव उत्पन्न करता है।

भू-आकृति

शहर की अवस्थिति वास्तव में शहर के स्थान के चयन अंशतः उसकी आसान रक्षात्मक स्थिति और अंशतः उसकी अनुकूल व्यापारिक स्थिति के कारण किया गया प्रतीत होता है। अन्यथा निम्न, दलदली, गर्म व आर्द्र नदी तट पर शहर बसाने की बहुत कम परिस्थितियाँ उपलब्ध हैं।

हावड़ा ब्रिज, कोलकाता

इसकी अधिकतम ऊँचाई समुद्र की सतह से लगभग नौं मीटर ऊपर है। हुगली नदी से पूर्व की ओर भूमि कीचड़ वाले और दलदली क्षेत्र की ओर ढालू होती जाती है। इसी तरह की स्थलाकृति नदी के पश्चिमी तट पर है, जिससे नदी के दोनों किनारों पर तीन से आठ किलोमीटर चौड़ी पट्टी पर महानगरीय क्षेत्र परिसीमित है। शहर के पूर्वोत्तर किनारे पर स्थित साल्ट लेक क्षेत्र के विकास ने यह दर्शाया है कि शहर का विशेष विस्तार व्यावहारिक है और मध्य क्षेत्र के पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी भाग में अन्य विकास परियोजनाएँ भी चलाई जा सकती हैं। कोलकाता के प्रमुख उपनगर हैं -

  1. हावड़ा (पश्चिमी तट पर)
  2. उत्तर में बरानगर
  3. पूर्वोत्तर में दक्षिणी दमदम
  4. दक्षिण में दक्षिण उपनगरीय नगरपालिका (बेहाला)
  5. दक्षिण-पश्चिम में गार्डन रीच, सम्पूर्ण शहरी संकुल आपस में सामाजिक-आर्थिक रूप से जुड़ा हुआ है।

जलवायु

मानसून की मौसमी प्रवृत्ति के साथ कोलकाता की जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय है। अधिकतम तापमान 42 डिग्री से. और न्यूनतम तापमान 7 डिग्री से. तक पहुँच जाता है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1,625 मिमी होती है, जिसमें अधिकांश वर्षा मानसून काल के जून से सितंबर के बीच होती है। ये महीने अत्यधिक आर्द्र और कभी-कभी उमस भरे होते हैं। अक्तूबरनवम्बर के दौरान वर्षा कम होती जाती है। शीत ऋतु के महीनों में, लगभग नवम्बर के अन्त से फ़रवरी के अन्त तक मौसम खुशनुमा और वर्षारहित होता है। कभी-कभी इस मौसम में भोर के समय कोहरे व घुँध से कम दिखाई देता है। इसी प्रकार शाम को कोहरे की मोटी परत छाई रहती है। 1950 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों से वातावरण में प्रदूषण बढ़ गया है। कारख़ाने, वाहन और ताप बिजलीघर, जिनमें कोयला जलाया जाता है, इस प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं, किन्तु लोगों के लिए ताज़ी हवाएँ लाकर मानसूनी हवाएँ स्वच्छता कारक का काम करती हैं और जल प्रदूषण हटाने को तीव्रता प्रदान करती हैं।

हुगली नदी, कोलकाता

नगर योजना

कोलकाता की नगर योजना का सबसे उल्लेखनीय पहलू, उसका उत्तर-दक्षिण दिशा में आयताकार अनुस्थापन है। केन्द्रीय क्षेत्र के अपवाद सहित, जहाँ पहले यूरोपीय रहते थे, शहर का बेतरतीब विकास हुआ है। कोलकाता शहर और हावड़ा उपनगर से मिलकर बने केन्द्रीय भाग के चारों ओर के बाहरी क्षेत्र में यह बेतरतीब विकास सबसे अधिक दिखाई पड़ता है। शहर की सभी प्रशासकीय और व्यावसायिक गतिविधियाँ बड़ा बाज़ार क्षेत्र के आसपास केन्द्रित होती हैं। जो मैदान[9] के उत्तर में एक छोटा-सा क्षेत्र है। इसकी वजह से एक दैनिक आवाज़ाही की व्यवस्था का विकास हुआ, जिससे कोलकाता की परिवहन प्रणाली, उपयोगिताएँ और अन्य नागरिक सुविधाओं पर अत्यधिक दबाव पड़ा। कोलकाता में मार्गों व सड़कों का तंत्र शहर के ऐतिहासिक विकास को दर्शाता है। आंतरिक मार्ग सकरे हैं।

जैन मंदिर, कोलकाता

यहाँ केवल एक द्रुत राजमार्ग क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम मार्ग है, जो कोलकाता से दमदम तक जाता है। प्रमुख सड़कें एक जाल बनाती हैं, मुख्यतः पुराने यूरोपीय भाग में, परन्तु शेष स्थानों पर मार्ग नियोजन अव्यवस्थित है। इसका कारण है, नदी पर पुलों का अभाव, और इसी वजह से अधिकांश सड़कें और प्रमुख मार्ग उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हैं। जिन जलमार्गों और नहरों पर पुल बनाने की आवश्यकता है, वे भी मार्ग संरचना को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक रहे हैं।

आवास

कोलकाता शहर में आवास की बहुत कमी है। जितने व्यक्ति कोलकाता महानगरीय ज़िले के संस्थागत आवासों में रहते हैं, उसमें से दो-तिहाई से भी अधिक लोग शहर में रहते हैं। नगर की लगभग तीन-चौथाई आवासीय इकाइयों का उपयोग केवल रहने के उद्देश्य से किया जाता है। यहाँ सैकड़ों बस्तियाँ या झोपड़पट्टियाँ हैं, जहाँ नगर की लगभग एक-तिहाई जनसंख्या रहती है। बस्ती को आधिकारिक रूप से इस प्रकार परिभाषित किया जाता है, 'कम से कम एक एकड़ भूमि के छठे भाग पर स्थित झोपड़ियों का समूह', यहाँ एक एकड़ के छठे भाग से भी कम स्थान पर निर्मित बस्तियाँ हैं। एक एकड़ के पन्द्रहवें भाग में अधिकतम झोपड़ियाँ छोटी, वायुरुद्ध और ज़्यादातर जीर्ण-शीर्ण एक मंज़िला कमरे हैं। यहाँ स्वास्थ्य सुविधाएँ बहुत कम हैं और खुला स्थान काफ़ी कम होता है। सरकार ने एक बस्ती सुधार कार्यक्रम प्रायोजित किया है।

स्थापत्य

गगनचुम्बी इमारतें समकालीन कोलकाता की रूपरेखा में कई स्थानों पर गगनचुम्बी इमारतें और ऊँचे बहुमंज़िला खण्ड विद्यमान हैं। नगर-परिदृश्य तेज़ी से परिवर्तित हुआ है।
चौरंगी क्षेत्र मध्य कोलकाता का चौरंगी क्षेत्र, जो कभी भव्य आवासों की पंक्ति था, कार्यालयों, होटलों और दुकानों में बदल गया है।
उत्तरी और मध्य कोलकाता उत्तरी और मध्य कोलकाता में आज भी इमारतें मुख्यतः दो या तीन मंज़िल ऊँची होती हैं।
दक्षिण व दक्षिण-मध्य कोलकाता दक्षिण व दक्षिण-मध्य कोलकाता में बहुमंज़िला इमारतें अधिक प्रचलित हो गई हैं।
स्मारक कोलकाता के स्थापत्य स्मारकों में पश्चिमी प्रभाव अधिक झलकता है।
केडलस्टोन हॉल राजभवन (राज्यपाल का निवास स्थान) डर्बीशायर के केडलस्टोन हॉल का प्रतिरूप है।
क्लॉथ हॉल उच्च न्यायालय इप्रेस, बेल्जियम के क्लॉथ हॉल से साम्य रखता है।
टाउन हॉल डोरिक-हेलेनिक मण्डप के साथ टाउन हॉल यूनानी शैली में है।
सेन्ट पॉल गिरजाघर सेन्ट पॉल गिरजाघर स्थापत्य इंडो-गॉथिक शैली में है।
बिल्डिंग गॉथिक शैली शीर्ष पर मूर्तियों के साथ राइटर्स बिल्डिंग गॉथिक शैली का है।
भारतीय संग्रहालय भारतीय संग्रहालय इतालवी शैली में है।
भव्य गुम्बद प्रधान डाकघर में भव्य गुम्बदों के साथ कोरिथियाई स्तम्भ हैं।
शहीद मीनार शहीद मीनार (ऑक्टरलोनी मान्यूमेंट) के ख़ूबसूरत स्तम्भ 50 मीटर ऊँचे हैं। इसका आधार मिस्र, स्तम्भ सीरियाई और गुम्बद तुर्की शैली में है।
विक्टोरिया मेमोरियल विक्टोरिया मेमोरियल पश्चिमी शास्त्रीय प्रभाव के मुग़ल स्थापत्य के साथ मिश्रण के प्रयास को प्रदर्शित करता है।
नाख़ुदा मस्जिद नाख़ुदा मस्जिद, आगरा के सिकन्दरा में स्थित अकबर के मक़बरे के आधार पर बनाई गई है।
बिड़ला तारागृह बिड़ला तारागृह (प्लेनिटेरियम), साँची के स्तूप (बौद्ध अवशेष गोलक) पर आधारित है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा पश्चिम बंगाल विधानसभा भवन आधुनिक स्थापत्य शैली की एक भव्य इमारत है।
रामकृष्ण मिशन सांस्कृतिक संस्थान स्वतंत्रता पश्चात्त के निर्माण का सबसे महत्त्वपूर्ण उदाहरण, रामकृष्ण मिशन सांस्कृतिक संस्थान, पश्चिमोत्तर भारत की प्राचीन महल स्थापत्य शैली में बना है।
डलहौज़ी स्क्वायर, कोलकाता

जनजीवन

कोलकाता शहर में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक, लगभग 33,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। शहर के कई इलाक़ों में भीड़भाड़ असहनीय अनुपात में पहुँच गई है। कोलकाता में लगभग एक सदी से अधिक समय से उच्च जनसंख्या वृद्धि दर रही है, किन्तु 1947 में भारत के विभाजन और 1970 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में हुए बांग्लादेश युद्ध ने जनसंख्या के अवक्षेप को तेज़ी से बढ़ाया। उत्तरी व दक्षिणी उपनगरों में बड़ी शरणार्थी बस्तियाँ एकाएक उभर आईं। इसके साथ ही, दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में आप्रवासी, अधिकांशतः पड़ोसी राज्य बिहार, उड़ीसा और पूर्वी उत्तर प्रदेश से रोज़गार की तलाश में कोलकाता आ गए। यहाँ की 4/5 भाग से अधिक जनसंख्या हिन्दू है। मुस्लिम और ईसाई सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हैं, पर कुछ सिक्ख, जैन और बौद्ध मतावलंबी भी रहते हैं। मुख्य भाषा बांग्ला है, लेकिन उर्दू, उड़िया, तमिल, पंजाबी और अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं। कोलकाता एक सर्वदेशीय नगर है; यहाँ पर रहने वाले अन्य समूहों में एशियाई (मुख्यतः बांग्लोदेशी और चीनी), यूरोपीय, उत्तर अमेरिकी और आस्ट्रलियाई लोगों की उपजातियाँ शामिल हैं। कोलकाता में प्रजातीय विभाजन ब्रिटिश शासन में प्रारम्भ हुआ, यूरोपवासी शहर के मध्य में रहते थे और भारतीय उत्तर और दक्षिण में रहते थे। यह विभाजन नए शहर में भी विद्यमान है, हालाँकि अब विभाजन के आधार पर धर्म, भाषा, शिक्षा और आर्थिक हैसियत हैं। झुग्गियाँ और निम्न आय आवासीय क्षेत्र सम्पन्न क्षेत्रों के साथ-साथ ही मौजूद हैं।

अर्थव्यवस्था

भारत के एक मुख्य आर्थिक केन्द्र के रूप में कोलकाता की जड़ें उसके उद्योग, आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधियों और मुख्य बंदरगाह के रूप में उसकी भूमिका में निहित है; यह मुद्रण, प्रकाशन और समाचार पत्र वितरण के साथ-साथ मनोरंजनक का केन्द्र है। कोलकाता के भीतरी प्रदेश के उत्पादों में कोयला, लोहा, मैंगनीज़, अभ्रक, पेट्रोल, चाय और जूट शामिल हैं। 1950 के दशक से बेरोज़गारी एक सतत व बढ़ती हुई समस्या है। कोलकाता में बेरोज़गारी बहुत हद तक महाविद्यालय शिक्षा प्राप्त और लिपिक व अन्य सफ़ेदपोश व्यवसायों के लिए प्रशिक्षित लोगों की समस्या है।

उद्योग

विश्व में ज़्यादा जूट-प्रसंस्करण कोलकाता में किया जाता है। सर्वप्रथम 1870 के दशक में जूट उद्योग की स्थापना हुई थी और हुगली नदी के दोनों तटों पर शहर के केन्द्र उत्तर और दक्षिण तक जूट मिलें फैली हुई हैं। अभियांत्रिकी इस शहर का एक प्रमुख उद्योग है। इसके अतिरिक्त यहाँ कारख़ाने कई प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं, मुख्यतः खाद्य पदार्थ, पेय, तम्बाकू, वस्त्र और रसायनों का निर्माण व वितरण करते हैं। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद से कोलकाता के उद्योगों का पतन हो रहा है। इसके मुख्य कारण हैं, स्वतंत्रता के समय पूर्वी बंगाल को खो देना, कोलकाता के समग्र औद्योगिक उत्पादकता में कमी और शहर में औद्योगिक वैविध्य का पतन।

वित्त एवं व्यापार

देश के संगठित वित्त बाज़ार में कोलकाता शेयर बाज़ार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलकाता में विदेशी बैंकों का भी महत्त्वपूर्ण व्यापारिक आधार है, हालाँकि अंतराष्ट्रीय बैंकिग केन्द्र के रूप में शहर का दावा कमज़ोर हो गया है। कोयला खदानों, जूट मिलों और कई वृहद अभियांत्रिकी उद्योगों की नियंत्रक एजेंसियाँ कोलकाता में स्थित हैं।

कोलकाता के बाज़ार में चूड़ियाँ

बंगाल उद्योग एवं व्यापार मण्डल (बेंगाल चेंबर आफ़ कामर्स ऐंड इंडस्ट्री), बंगाल राष्ट्रीय उद्योग एवं व्यापार मण्डल (बंगाल नेशनल चेंबर ऑफ़ कामर्स ऐंड इंडस्ट्री) और भारतीय व्यापार मण्डल के मुख्यालय यहीं पर स्थित हैं। शहर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है, कि लगभग 40 प्रतिशत मज़दूर व्यापार एवं वाणिज्य गतिविधियों में संलग्न हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण व्यवसायों में सार्वजनिक क्षेत्र में शासकीय विभाग, वित्तीय संस्थान और चिकित्सा एवं शिक्षा संस्थानों में सेवाएँ शामिल हैं। निजी क्षेत्र की सेवाओं में शेयर बाज़ार, चिकित्सा एवं शिक्षा सेवाएँ, लेखा एवं ऋणदाता संस्थाएँ, व्यापार मण्डल और विभिन्न उपयोगी सेवाएँ शामिल हैं।

प्रशासन एवं सामाजिक विशेषताएँ

प्रशासन

उच्च न्यायालय, कोलकाता

कोलकाता शहर में शासन का दायित्व कोलकाता नगर निगम का है; शहर के 100 वार्डों से चुने हुए प्रतिनिधि निगम की सभा का निर्माण करते हैं। निगम पार्षद हर वर्ष एक महापौर, एक उपमहापौर और निगम की गतिविधियाँ चलाने के लिए कई समितियों का चुनाव करते हैं। निगम का कार्यकारी प्रमुख आयुक्त, निर्वाचित सदस्यों के प्रति उत्तरदायी होता है। शहर भी कोलकाता महानगर ज़िले का एक भाग है, जिसे क्षेत्रीय आधार पर योजना बनाने और विकास के पर्यवेक्षण के लिए बनाया गया था।

पश्चिम बंगाल की राजधानी होने के कारण कोलकाता शहर के ऐतिहासिक राजभवन में राज्यपाल निवास करते हैं। राज्य विधानसभा भी यहीं पर सचिवालय के साथ राइटर्स बिल्डिंग में स्थित है और कोलकाता उच्च न्यायालय भी यहीं पर है। कई राष्ट्रीय शासकीय संस्थाएँ कोलकाता में ही स्थित हैं, जिनमें नेशनल लाइब्रेरी, भारतीय संग्रहालय, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण शामिल हैं।

राजभवन, कोलकाता

सेवाएँ

कोलकाता शहर में पाल्टा स्थित मुख्य जल संयंत्र के साथ-साथ लगभग 200 मुख्य कुओं और 3,000 छोटे कुओं से स्वच्छ जल की आपूर्ति की जाती है। कोलकाता से 386 किलोमीटर दूर गंगा नदी पर बना फरक्का बाँध सामान्यतः शहर में लवणयुक्त जलापूर्ति सुनिश्चित करता है। किन्तु जलापूर्ति की अपर्याप्तता के कारण गर्मी के महीनों में लवणता की समस्या बनी रहती है। इसके अतिरिक्त अग्निशमन को दिए जाने वाले अस्वच्छ जल का उपयोग भी यहाँ के अनेक निवासी अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं। कोलकाता निगम क्षेत्र में सैकड़ों किलोमीटर में मल निकासी व्यवस्था व सतही जल निकासी व्यवस्था है, लेकिन इसके अनेक हिस्सों में आज तक मल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। गाद के जमाव ने कई निकासी नालियों को सकरा बना दिया है। कूड़ा हटाने और फेंकने की व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है।

Blockquote-open.gif यहाँ के नागरिकों ने अत्यधिक जीवंतता दिखाई है, जो कला व संस्कृति में उनकी अभिरुचि और एक स्तर की बौद्धिक ओजस्विता में प्रदर्शित होती है। यहाँ की राजनीतिक जागरुकता देश में अन्यत्र दुर्लभ है। कोलकाता के पुस्तक मेलों, कला प्रदर्शनियों और संगीत सभाओं में जैसी भीड़ होती है, वैसी भारत के किसी अन्य शहर में नहीं होती। दीवारों पर वाद-विवाद का अच्छा-ख़ासा आदान-प्रदान होता है, जिसके कारण कोलकाता को इश्तहारों का शहर कहा जाने लगा है। Blockquote-close.gif

कोलकाता में बिजली की आपूर्ति विभिन्न स्रोतों से होती है, जिनमें कोलकाता विद्युत प्रदाय निगम, पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत मण्डल, दुर्गापुर परियोजना, बंडल ताप बिजलीघर, संतालडीह बिजलीघर और दामोदर घाटी निगम ग्रिड शामिल हैं। हालाँकि अभी भी उत्पादन क्षमता और माँग के बीच अन्तर है, जिसे हाल के वर्षों में कुछ हद तक कम किया गया है। कोलकाता पुलिस बल का प्रशासन शहर के पुलिस आयुक्त के अधिकार क्षेत्र में है, वही उपनगरीय पुलिस बल को निर्देशित करता है। नगर को चार पुलिस क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। अग्निशमन मुख्यालय मध्य कोलकाता में है।

स्वास्थ्य

कोलकाता से चेचक का पूर्णतया उन्मूलन कर दिया गया है और मलेरिया व आंत्रशोथ से होने वाली मौतों को भी बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। क्षयरोग के मामले भी कम हो गए हैं। कोलकाता नगर निगम और सेवार्थ न्यासों द्वारा चलाए जा रहे सैकड़ों अस्पताल, निजी चिकित्सालय, निःशुल्क औषधालय और राज्य द्वारा चलाए जा रहे बहुउद्देश्यीय अस्पताल (पॉलीक्लीनिक) कोलकाता क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। 1979 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा द्वारा 1948 में स्थापित एक संस्था, द आर्डर आफ़ मिशनरीज़ आफ़ चैरिटी, शहर के सबसे विपन्न वर्गों के नेत्रहीन, वृद्ध, मरणासन्न और कुष्ठ रोगियों की देखभाल करती है। शहर में चिकित्सकीय शोध केन्द्र के अतिरिक्त कई चिकित्सा महाविद्यालय भी हैं। प्रति 1,000 व्यक्तियों पर चिकित्सों की संख्या देश के अधिकांश भागों से कोलकाता में अधिक है, किन्तु उनका वितरण असमान है; चूँकि यह शहर भारत के सम्पूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र का चिकित्सा केन्द्र है, अतः स्वास्थ्य सेवाओं पर हमेशा अत्यधिक दबाव रहता है।

शिक्षा

शिक्षा लम्बे समय से कोलकाता में उच्च सामाजिक स्तर का परिचायक रही है। यह शहर भारतीय शिक्षा के पुनर्जीवन काल से, जिसकी शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में बंगाल में हुई, शिक्षा का एक केन्द्र रहा है। अंग्रेज़ी शैली का पहला विद्यालय, द हिन्दू कॉलेज (जो बाद में प्रेज़िडेंसी कॉलेज कहलाया) 1817 में स्थापित हुआ। शहर में प्राथमिक शिक्षा का संचालन पश्चिमी बंगाल शासन के द्वारा किया जाता है और नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों में यह निःशुल्क है। बहुत बड़ी संख्या में बच्चे निजी प्रबंधन द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षा पाते हैं। अधिकांश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा मण्डल के अधीन हैं और कुछ केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन हैं।

कोलकाता के विश्वविद्यालय

  • कलकत्ता विश्वविद्यालय
  • जादवपुर विश्वविद्यालय
  • रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय
  • राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय
  • नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय
  • बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय
  • स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और
  • पशुपालन एवं मतस्य पालन विज्ञान विश्वविद्यालय
पुस्तक मॉल, कॉलेज स्ट्रीट, कोलकाता

इन विश्वविद्यालयों से सम्बंधित प्रमुख महाविद्यालय एवं संस्थान निम्नलिखित हैं:-

  • एशियाटिक सोसाइटी
  • भारतीय साँख्यिकी संस्थान
  • भारतीय प्रबंधन संस्थान
  • मेघनाथ साहा आण्विक भौतिकी संस्थान
  • सत्यजीत रे फ़िल्म एवं टेलीविजन संस्थान
  • रामकृष्ण मिशन संस्कृति संस्थान
  • एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया
  • बोस संस्थान
  • बोटैनिकल सर्वे आफ इंडिया
साइंस सिटी में डायनासोर, कोलकाता
  • जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया
  • इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इनफार्मेशन टेक्नालोजी
  • राष्ट्रीय होमियोपैथी संस्थान
  • श्रीरामपुर कॉलेज
  • प्रेसीडेंसी कॉलेज और
  • स्काटिश चर्च कॉलेज

1857 में स्थापित कोलकाता विश्वविद्यालय में 150 से अधिक सम्बन्धित महाविद्यालयों के साथ-साथ कला (मानविकी), वाणिज्य, विधि, चिकित्सा विज्ञान व तकनीक और स्नातकोत्तर शिक्षण एवं शोध महाविद्यालय शामिल हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय में तीन धाराएँ हैं, कला (मानविकी), विज्ञान और अभियांत्रिकी और इसका मुख्य लक्ष्य एक ही परिसर में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रदान करना है। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय मानविकी और ललित कलाओं में, जिनमें नृत्य, नाटक व संगीत शामिल हैं, विशेषज्ञता प्रदान करता है। शोध संस्थानों में भारतीय सांख्यिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान परिष्करण संघ, बोस संस्थान (प्राकृतिक विज्ञान) और अखिल भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान एवं जनस्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं।

सांस्कृतिक जीवन

कोलकाता भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केन्द्र है। यह आधुनिक भारत के साहित्यिक एवं कलात्मक विचारों और भारतीय राष्ट्रवाद का जन्मस्थल है और यहाँ के नागरिकों द्वारा भारतीय संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण के प्रयास की मिसाल देश में अन्यत्र नहीं मिलती। सदियों से पूर्व और पश्चिमी सांस्कृतिक प्रभावों के सम्मिमिश्रण ने असंख्य विविध संगठनों के निर्माण को प्रेरित किया, जिन्होंने कोलकाता के सांस्कृतिक जीवन में योगदान किया। इनमें एशियाटिक सोसाइटी, बंगीय साहित्य परिषद, रामकृष्ण मिशन सांस्कृतिक संस्थान, ललित कला अकादमी, बिड़ला कला एवं सांस्कृतिक अकादमी और महाबोधि सोसाइटी शामिल हें। नंदन, नज़रूल मंच और गिरीश मंच नई और सर्वाधिक सक्रिय संस्थाएँ हैं शहर का एक प्रमुख आकर्षण है, साइन्स सिटी, एशिया में अपने प्रकार का सबसे पहला शहर है।

संग्रहालय एवं पुस्तकालय

वृहद कोलकाता में 30 से अधिक संग्रहालय है, जो विविध विषयों पर आधारित हैं। 1814 में स्थापित 'इंडियन म्यूज़ियम' भारत में सबसे पुराना और अपनी तरह का देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। पुरातत्त्व और मुद्राविषयक खण्डों में सबसे मूल्यवान संग्रह हैं। विक्टोरिया मेमोरियल में प्रदर्शित वस्तुएँ भारत के साथ ब्रिटेन के सम्बन्ध को दर्शाती हैं। कोलकाता विश्वविद्यालय में भारतीय कला का आशुतोष संग्रहालय अपने संग्रह में बंगाल की लोककला का प्रदर्शन करता है। मूल्यवान ग्रंथों का संग्रह एशियाटिक सोसाइटी, बंगीय साहित्य परिषद और कलकत्ता विश्वविद्यालय में विद्यमान हैं; नेशनल लाइब्रेरी भारत में सबसे बड़ी है और इसमें दुर्लभ ग्रंथों और हस्तलिपियों का श्रेष्ठ संग्रह है।

Blockquote-open.gif इस आन्दोलन के महत्त्वपूर्ण प्रणेताओं में से एक रवीन्द्रनाथ टैगोर थे, जिन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। Blockquote-close.gif


कला

कोलकाता वासी लम्बे समय से साहित्य व कला क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं। 19वीं शताब्दी के मध्य में यहाँ पश्चिमी शिक्षा से प्रभावित साहित्यिक आन्दोलन का उदय हुआ, जिसने सम्पूर्ण भारत में साहित्यिक पुनर्जागरण किया। इस आन्दोलन के महत्त्वपूर्ण प्रणेताओं में से एक रवीन्द्रनाथ टैगोर थे, जिन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी कविता, संगीत, नाटक और चित्रकला में उल्लेखनीय सृजनात्मकता ने शहर के सांस्कृतिक जीवन का समृद्ध किया। कोलकाता पारम्परिक एवं समकालीन संगीत और नृत्य का भी केन्द्र है। 1937 में टैगोर ने कोलकाता में पहले अखिल बंगाल संगीत समारोह का उद्घाटन किया था। तभी से प्रतिवर्ष यहाँ पर कई भारतीय शास्त्रीय संगीत समारोह आयोजित किए जाते हैं। कई शास्त्रीय नर्तकों का घर कोलकाता पारम्परिक नृत्य कला में पश्चिम की मंचीय तकनीक को अपनाने के उदय शंकर के प्रयोग का स्थल भी था। 1965 से उनके द्वारा स्थापित नृत्य, संगीत और नाटक शालाएँ शहर में विद्यमान हैं। 1870 के दशक में नेशनल थिएटर की स्थापना के साथ ही कोलकाता में व्यावसायिक नाटकों की शुरुआत हुई। शहर में नाटकों के आधुनिक रूपों की शुरुआत गिरीशचंद्र घोष और दीनबन्धु मित्र जैसे नाटककारों ने की। कोलकाता आज भी व्यावसायिक व शौक़िया रंगमंच और प्रयोगधर्मी नाटकों का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह शहर भारत में चलचित्र निर्माण का प्रारम्भिक केन्द्र भी रहा है। प्रयोगधर्मी फ़िल्म निर्देशक सत्यजित राय और मृणाल सेन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पाई है। शहर में कई सिनेमाघर हैं, जिनमें नियमित रूप से अंग्रेज़ी, बांग्ला और हिन्दी फ़िल्में दिखाई जाती हैं।

कोलकाता से सम्बंधित कला क्षेत्र के व्यक्ति

कलाकार गायक
जेमिनी रॉय (चित्रकार) द्विजेन्द्र लाल रॉय
समीर रॉय चौधरी (चित्रकार) के. सी. देव
परितोश सेन क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम
जोगेन चौधरी (चित्रकार) गौहर जान
अनिल कुमार दत्त्ता पंकज मलिक
सुदीप रॉय (चित्रकार) कानन देवी
उत्तम कुमार (अभिनेता) रितु गुहा
उत्पल दत्त (अभिनेता) कनिका बंद्योपाध्याय
प्रमथेश बरुआ (अभिनेता) सु्चित्रा मित्र
रोबी घोष (अभिनेता) हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय
कानन देवी (अभिनेत्री) मन्ना डे
रुमा गुहा ठाकुर (अभिनेत्री) किशोर कुमार
सुचित्रा सेन (अभिनेत्री) संध्या मुखोपाध्याय
प्रसोनजित (अभिनेता) बेगम अख़्तर
विक्टर बैनर्जी (अभिनेता) अजॉय चक्रवर्ती
सौमित्र चटर्जी (अभिनेता) ऊषा उत्थुप
मिथुन चक्रवर्ती (अभिनेता) सुमित्रा घोष
शर्मिला टैगोर (अभिनेत्री) श्रेया घोषाल
उदय शंकर (नर्तक) रुमा गुहा
अमला शंकर (नर्तक) स्वागतलक्ष्मी दासगुप्ता
आनन्द शंकर (नर्तक) सुमन चटर्जी
पी. सी. सोरकर (जादूगर) सलिल चौधरी
पी. सी. सोरकर (जू.) (जादूगर) अंजन दत्त
मानिक सोरकर (जादूगर) नचिकेता
पन्नालाल घोष (बाँसुरी वादक)
निर्देशक / नाटककार संगीतकार
सत्यजित राय राहुल देव बर्मन
मृणाल सेन सचिन देव बर्मन
ऋत्विक घटक प्रीतम
बुद्धदेब दासगुप्ता चंदन
गौतम घोष शांतनु मोइत्रा
अपर्णा सेन अंजन चक्रवर्ती
ऋतुपर्णो घोष बप्पी लहरी
नितिन बोस अली अकबर खान
अनीस घोष (नाटक कार एवं निर्देशक) रवि शंकर
सम्भू मित्र (नाटक कार एवं निर्देशक) आनन्द शंकर
बिभास चक्रवर्ती (नाटक कार एवं निर्देशक) विलायत खान
बड़े ग़ुलाम अली ख़ान
राशिद खान
निखिल बैनर्जी
अमज़द अली खान
बहादुर खान
सौरव गांगुली

मनोरंजन

कोलकाता नगर निगम 200 से अधिक बग़ीचों, चौराहों और खुले मैदानों की देखरेख करता है। हालाँकि शहर के भीड़ भरे हिस्सों में बहुत कम स्थान है। लगभग 3.2 किलोमीटर लम्बा और 1.6 किलोमीटर चौड़ा मैदान सबसे प्रसिद्ध खुला स्थान है। यहीं पर फुटबाल, क्रिकेट और हॉकी के प्रमुख मैदान हैं। मैदान से लगा हुआ है, विश्व के सबसे पुराने क्रिकेट मैदानों में से एक, ईडन गार्डन में रणजी स्टेडियम; चारदीवारी में खेले जाने वाले खेलों के लिए नेताजी स्टेडियम पास ही है। नगर के पूर्व में बने साल्ट लेक स्टेडियम में एक लाख दर्शक बैठ सकते हैं। शहर में दो घुड़दौड़ मैदान और दो गोल्फ़ मैदान हैं और नौका विहार के लिए लेक क्लब और बंगाल नौकायन संघ लोकप्रिय है। लगभग 20 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में चिड़ियाघर फैला हुआ है। गंगा नदी के पश्चिमी तट पर भारतीय वानस्पतिक उद्यान स्थित है। इसके वनस्पति संग्रहालयों में पौधों की लगभग 40 हज़ार प्रजातियाँ हैं।

कोलकाता में खेल के मैदान कोलकाता से सम्बंधित खिलाड़ी एवं खेल प्रशासक
नाम चित्र
ईडेन गार्डन Eden-Gardens-Kolkata.jpg
साल्ट लेक सिटी स्टेडियम Salt-Lake-Stadium-Kolkata.jpg
रेस कोर्स Race-Course-Kolkata.jpg
फोर्ट विलियम स्टेडियम
नेताजी सुभाषचंद्र बोस इन्‍डोर स्‍टेडियम
खिलाड़ी ओलंपिक पदक विजेता खेल प्रशासक
सौरव गांगुली (क्रिकेटर) नोर्मन प्रिचार्ड (एथलीट) 1900 पंकज गुप्ता
पंकज रॉय (क्रिकेटर) लेसिल क्लॉडियस (हॉकी) 1924, 1928, 1936 जगमोहन डालमिया
मिहिर सेन (तैराक) गुरबक्स सिंह (हॉकी) 1964, 1968
ज्योतिर्मोयी सिकदार (एथलीट) वेस पेस (हॉकी) 1980
अर्जुन अटवाल (गोल्फर) लिएंडर पेस (टेनिस) 1996
सूर्य शेखर गांगुली (शंतरंज)

कलकत्ता फ़िल्म सभा

भारत के पश्चिम बंगाल प्रांत के कोलकाता नगर में कलकत्ता फ़िल्म सभा का प्रारंभ 1947 में सत्यजित राय, चिदानंद दासगुप्ता और कुछ अन्य लोगों ने किया था।

कोलकाता से सम्बंधित प्रमुख फ़िल्में

बंगाली फ़िल्में अंग्रेज़ी फ़िल्में हिन्दी फ़िल्में
फ़िल्म निर्देशक
पाथेर पाँचाली सत्यजित राय
अपुर संसार सत्यजित राय
महानगर सत्यजित राय
आगन्तुक सत्यजित राय
कलकत्ता 71 मृणाल सेन
इंटरव्यू मृणाल सेन
इंटरव्यू मृणाल सेन
एक दिन प्रतिदिन मृणाल सेन
अंतहीन मृणाल सेन
मेघे ढाक तारा ॠत्विक घटक
जुक्ति टक्को आर गप्पो ॠत्विक घटक
परमा अपर्णा सेन
उन्शी अप्रेल अपर्णा सेन
चोखेर बाली रितुपर्णो घोष
फ़िल्म निर्देशक
Calcutta Louis Malle
36 Chowringhee Lane Aparna Sen
City of Joy Roland Joff
Citi Life Sen Mrinal Sen
10 Days in Calcutta Gerhard Hauff
Bow Barracks Forever Anjan Dutt
15 Park Avenue Aparna Sen
फ़िल्म निर्देशक
हावड़ा ब्रिज शक्ति सामंत
अमर प्रेम शक्ति सामंत
दो बीघा ज़मीन बिमल रॉय
देवदास (1936) पी. सी. बरुआ
देवदास (1955) बिमल रॉय
देवदास (2002) संजय लीला भंसाली
राम तेरी गंगा मैली राज कपूर
कलकत्ता मेल सुधीर मिश्रा
हज़ार चौरासी की मां गोविंद निहलानी
परिणीता प्रदीप सरकार
युवा मणिरत्नम
रेनकोट रितुपर्णो घोष

खानपान

भोजन

कोलकाता भोजन के मामले में एक प्रसिद्ध शहर है। कोलकाता में भोजन काफ़ी सस्‍ता मिलता है। कोलकाता में कालीघाट की तरफ 'कोमल विलास होटल' में केले के पत्ते पर दक्षिण भारतीय भोजन परोसा जाता है। जतिन दास रोड पर स्थित 'राय उडुपी होम' में भी अच्‍छा भोजन मिलता है।

भोजन
सामिष भोजन अगर आप सामिष भोजन खाना पसंद करते हैं तो कलकत्ता में रासबिहारी रोड पर स्थित 'बच्‍चन मॉर्डन होटल' में आपको लज़ीज़ रेशमी कबाब तथा मुर्ग़ टिक्‍का मिल जाएगा। Chicken.jpg
बंगाली भोजन अगर आप बंगाली भोजन करना पसंद करते है तो जतिन दास रोड पर आपको मछली से बने विभिन्‍न प्रकार के व्‍यंजन मिल जाएँगे। साउथ कोटला में एलिगन लेन पर स्थित 'क्‍यूपीज़' बंगाली भोजन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भोजन केले के पत्ते पर परोसा जाता है। Bengali-Food.jpg
शाकाहारी भोजन अगर आप शाकाहारी भोजन खाना पसंद करते हैं तो बंगाल में शाकाहारियों के लिए दोकर-दलना नामक व्‍यंजन मिलता है। Vegetarian-Food.jpg
चाइनीज भोजन अगर आप चाइनीज भोजन खाना पसंद करते हैं तो लैंसडाउन रोड पर आपको कई ऐसे रेस्‍टोरेंट मिल जाएँगे जहाँ आपको चाइनीज भोजन मिल जाएगा। चाइना टाउन में कुछ बेहतरीन चाइनीज रेस्‍टोरेंट है। बीजिंग, किमलिंग तथा काफ़ूक ऐसे ही रेस्‍टोरेन्‍ट है। यहाँ सभी प्रकार के चाइनीज खाना मिल जाते हैं। Chines-Food.jpg
राजस्‍थानी तथा उत्तरी भारतीय भोजन अगर आप राजस्‍थानी तथा उत्तरी भारतीय भोजन खाना पसंद करते हैं तो रसेल स्‍ट्रीट में स्थित होटल ताज में आपको राजस्‍थानी तथा उत्तर भारतीय भोजन मिल जाएगा। Rajsthani-Food.jpg

यहाँ स्थित मार्कोपोलो होटल में आपको हर तरह का व्‍यंजन मिल जाएगा। पार्क स्‍ट्रीट पर स्थित 'मोकंबो' होटल कॉन्‍टीनेन्‍टल फिश के लिए प्रसिद्ध है। यहीं पर 'सौरव्स' है जो क्रिकेटर सौरव गांगुली का रेस्टोरेंट है। यहाँ भी सभी प्रकार का भोजन मिलता है। लेकिन सबसे विशेष बात यह कि अगर आप कोलकाता जाएँ तो यहाँ का रसगुल्‍ला खाना न भूलें। कोलकाता का रसगुल्ला पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

रसगुल्ला

  • कोलकाता की प्रसिद्ध मिठाई रसगुल्ला है।
  • रसगुल्ले का नाम सुनकर सभी के मुँह में पानी भर आता है।
  • रसगुल्ले को मिठाइयों का राजा कहा जा सकता है।
  • यह तो आप जानते ही होगें कि रसगुल्ला एक बंगाली मिठाई है। बंगाली लोग रसगुल्ला को रोशोगुल्ला कहते हैं।

यातायात

ट्राम, कोलकाता

कोलकाता में जन यातायात कोलकाता उपनगरीय रेलवे, कोलकाता मेट्रो, ट्राम और बसों द्वारा उपलब्ध है। व्यापक उपनगरीय जाल सुदूर उपनगरीय क्षेत्रों तक फैला हुआ है। भारतीय रेल द्वारा संचालित कोलकाता मेट्रो भारत में सबसे पुरानी भूमिगत यातायात प्रणाली है। ये शहर में उत्तर से दक्षिण दिशा में हुगली नदी के समानांतर शहर की लंबाई को 16.45 कि.मी. में नापती है। यहाँ के अधिकांश लोगों द्वारा बसों को प्राथमिक तौर पर यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। यहाँ सरकारी एवं निजी ऑपरेटरों द्वारा बसें संचालित हैं। भारत में कोलकाता एकमात्र शहर है, जहाँ ट्राम सेवा उपलब्ध है। ट्राम सेवा कैल्कटा ट्रामवेज़ कंपनी द्वारा संचालित है। ट्राम मंद-गति चालित यातायात है, व शहर के कुछ ही क्षेत्रों में सीमित है। मानसून के समय भारी वर्षा के चलते कई बार लोक-यातायात में व्यवधान पड़ता है।

  • भाड़े पर उपलब्ध यांत्रिक यातायात में पीली मीटर-टैक्सी और ऑटो-रिक्शा हैं। कोलकाता में लगभग सभी पीली टैक्सियाँ एम्बेसैडर ही हैं। कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में अधिकतर टाटा इंडिका या फिएट ही टैक्सी के रूप में चलती हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों में साइकिल-रिक्शा और हाथ-चालित रिक्शा अभी भी स्थानीय छोटी दूरियों के लिए प्रचालन में हैं। अन्य शहरों की अपेक्षा यहाँ निजी वाहन काफ़ी कम हैं। ऐसा अनेक प्रकारों के लोक यातायात की अधिकता के कारण है। हालांकि शहर ने निजी वाहनों के पंजीकरण में अच्छी बड़ोत्तरी देखी है। वर्ष 2002 के आँकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्षों में वाहनों की संख्या में 44% की बढ़त दिखी है। शहर के जनसंख्या घनत्व की अपेक्षा सड़क भूमि मात्र 6% है, जहाँ दिल्ली में यह 23% और मुंबई में 17% है। यही यातायात जाम का मुख्य कारण है। इस दिशा में कोलकाता मेट्रो रेलवे तथा बहुत से नये फ्लाई-ओवरों तथा नयी सड़कों के निर्माण ने शहर को काफ़ी राहत दी है।
    मेट्रो स्टेशन, कोलकाता
  • शहर के विमान संपर्क हेतु नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दम दम में स्थित है। यह विमानक्षेत्र शहर के उत्तरी छोर पर है व यहाँ से दोनों, अन्तर्देशीय और अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें चलती हैं। यह नगर पूर्वी भारत का एक प्रधान बंदरगाह है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ही कोलकाता पत्तन और हल्दिया पत्तन का प्रबंधन करता है। यहाँ से अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में पोर्ट ब्लेयर के लिये यात्री जहाज़ और भारत के अन्य बंदरगाहों तथा विदेशों के लिए भारतीय शिपिंग निगम के माल-जहाज़ चलते हैं। यहीं से कोलकाता के द्वि-शहर हावड़ा के लिए फेरी-सेवा भी चलती है। कोलकाता में दो बड़े रेलवे स्टेशन हैं जिनमे एक हावड़ा और दूसरा सियालदह में है, हावड़ा तुलनात्मक रूप से ज़्यादा बड़ा स्टेशन है जबकि सियालदह से स्थानीय सेवाएँ ज़्यादा हैं। शहर में उत्तर में दमदम में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जो शहर को देश विदेश से जोड़ता है।

कोलकाता मेट्रो रेल
कोलकाता में दो मुख्य लंबी दूरियों की गाड़ियों वाले रेलवे स्टेशन हैं- हावड़ा जंक्शन और सियालदह जंक्शन। कोलकाता नाम से एक नया स्टेशन 2006 में ही बनाया गया है। कोलकाता शहर भारतीय रेलवे के दो मंडलों का मुख्यालय है:-

  • पूर्वी रेलवे और
  • दक्षिण-पूर्व रेलवे।

परिवहन

कोलकाता शहर में सड़कों की हालत दयनीय है, हालाँकि यातायात का दबाव बहुत अधिक है। जन यातायात व्यवस्था मुख्य रूप में बसों और महानगरीय रेलवे (मेट्रो) पर निर्भर है। बसें सरकार और निजी कम्पनियों के द्वारा चलाई जाती हैं। देश की पहली भूमिगत रेलवे प्रणाली, मेट्रो की शुरुआत 1986 में हुई थी, और अब यह नगर में यातायात का प्रमुख साधन है, जिससे लगभग 20 लाख यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं।

सिटी बस, कोलकाता

अपने पश्चिमी पृष्ठ भाग से सम्बन्ध के लिए कोलकाता केवल हुगली नदी पर बने कुछ पुलों पर निर्भर है। हावड़ा पुल और सुदूर उत्तर में बाली और नैहाटी में बने पुल। कोलकाता को पृष्ठ भाग से जोड़ने वाली मुख्य कड़ी हावड़ा पुल पर वाहन यातायात की आठ पंक्तियाँ हैं और यह विश्व में अधिक उपयोग किए जाने वाले पुलों में से एक है। हावड़ा और कोलकाता के बीच एक दूसरे पुल, विद्यासागर सेतु का प्रयोग भी किया जाता है। ग्रैंड ट्रंक रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2) भारत के सबसे पुराने मार्गों में से एक है। यह हावड़ा से कश्मीर तक जाता है और शहर को उत्तर भारत से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग कोलकाता को भारत के पश्चिमी तट, उत्तरी बंगाल और बांग्लादेश की सीमाओं से जोड़ते हैं। दो रेलवे टर्मिनल, पश्चिमी तट पर हावड़ा और पूर्व में सियालदह, उत्तर और दक्षिण के साथ-साथ पूर्व और पश्चिम में फैले रेलवे संजाल को संचालित करते हैं। कोलकाता का प्रमुख हवाई अड्डा दमदम में स्थित है, जहाँ से अंतराष्ट्रीय व घरेलू उड़ानों का आवागमन होता है। आकार के सन्दर्भ में कोलकाता बंदरगाह भारत के आयातित जहाज़ी माल के 1/10 भाग और उसके निर्यातित जहाज़ी माल के लगभग 1/12 भाग को नियंत्रित करता है। हालाँकि, कुछ अंशों में नदी से गाद निकालने की समस्या और अंशतः श्रमिक समस्याओं का सामना करने के कारण यातायात में कुछ कमी आई है। परिवहन, भण्डारण, थोक विक्रम और खेरची विक्रय, निर्यात और आयात सम्बन्धी आवश्यकताओं का संकेंद्रण कोलकाता और हावड़ा में है। कोलकाता बंदरगाह भारत के सबसे प्रमुख जहाज़ी माल नियंत्रक की 1960 के दशक की अपनी स्थिति अब खो चुका है, किन्तु आज भी यह और हल्दिया बंदरगाह (लगभग 64 किलोमीटर नीचे की ओर) देश की विदेशी विनिमय मुद्रा का एक बड़ा भाग अर्जित करते हैं।

मेट्रो कोलकाता

कैसे पहुँचे

हवाई मार्ग

कोलकाता में दमदम हवाई अड्डा है। यहाँ देश के लगभग हर राज्‍य तथा हर महत्‍वपूर्ण शहर से सीधी उड़ानें उपलब्‍ध है। साथ ही यह हवाई अड्डा विदेशों से भी नियमित उड़ान द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

हावड़ा तथा सियालदह यहाँ के दो महत्‍वपूर्ण रेलवे स्‍टेशन है। यहाँ से देश के लगभग हर शहर के लिए रेल सेवा उपलब्‍ध है।

सड़क मार्ग

कोलकाता शहर राष्‍ट्रीय राजमार्ग तथा राज्‍य राजमार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है। यह राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 2 से दिल्ली तथा राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 6 से मुंबई और चेन्नई से जुड़ा हुआ है। यहाँ से ढाका, नेपाल तथा भूटान सीमा के निकटवर्ती स्‍थानों के लिए भी बसें जाती है।

पर्यटन

दुर्गा पूजा साइंस सिटी में डायनासोर रसगुल्ला जैन मंदिर, कोलकाता दक्षिणेश्वर काली मंदिर ईडेन गार्डन स्टेडियम कलकत्ता विश्वविद्यालय कोलकाता के बाज़ार में चूड़ियाँ हावड़ा ब्रिज कोलकाता के बाज़ार में तौलियाँ साल्ट लेक सिटी स्टेडियम ट्राम, कोलकाता

कोलकाता एक धार्मिक शहर है। यहाँ आपको हर ग‍ली में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, यहूदी सभागार आदि मिल जाएँगे। इन मंदिरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक़ बहुत कुछ है। यहाँ संग्रहालय, ऐतिहासिक भवन, आर्ट गैलरियाँ भी हैं जिन्‍हें आप देख सकते हैं।[10]

वर्ष तिथि क्रम
15वीं शताब्दी कोलकाता का ज़िक्र बिप्रदास के 15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध उपन्यास 'मानस मंगल' में पाया जाता है। उपन्यास के चरित्र 'चाँद सौदागर सप्तग्राम' के मार्ग में पड़ने वाले कालीघाट के काली देवी के मन्दिर में पूजा करने जाते हैं।
1530 जब पुर्तग़ाली पहली बार बंगाल आये तब चित्तगोंग और सप्तग्राम व्यापार के बड़े केन्द्र के रूप में उभरे।
1596 बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक, अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखे 'आइने-अकबरी' में सतगाँव (सप्तग्राम) राज्य में कलकत्ता का ज़िक्र आता है।
1690 ईस्ट इंडिया कम्पनी (स्थापित 1600) के प्रतिनिधि जॉब चर्नोक सूतानीति गाँव में आकर बसे।
1693 जॉब चर्नोक का निधन।
1696 कलकत्ता के कारखाने को क़िला बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया।
1698 ईस्ट इंडिया कम्पनी ने स्थानीय ज़मींदार सबर्ण चौधरी से तीन गाँव (सूतानीति, कोलिकाता, गोबिन्दपुर) ख़रीदे।
1699 ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कलकत्ता का राजधानी के रूप में विकास शुरू किया।
1707 मुग़ल शासक औरंग़ज़ेब का निधन।
1715 अग्रेज़ों ने पुराने क़िले का निर्माण पूरा किया।
1717 मुग़ल शासक फ़र्रुख़स्यार ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को सालाना 3000 रुपए के भुगतान पर व्यापार की अनुमति दी।
1727 किंग जॉर्ज प्रथम के निर्देशानुसार दिवानी अदालत के साथ नगर निगम की स्थापना हुई और हॉलवैल नगर के प्रथम महापालिकाध्यक्ष बने।
1740 अलीवर्दी ख़ाँ बंगाल के नवाब बने।
1756 अलीवर्दी ख़ाँ का निधन हुआ और शिराज-उद-दौला बंगाल के नवाब बने। शिराज-उद-दौला ने कलकत्ता पर क़ब्ज़ा किया और शहर का नाम अलीनगर रखा।
1757 प्लासी (ज़िला नादिया) की लड़ाई में अग्रेज़ों ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में शिराज-उद-दौला को हराया।
1757 अग्रेज़ी मुद्रा सबसे पहले कलकत्ता के टकसाल में ढाली गई।
1765 क्लाइव ने बादशाह आलम द्वितीय (दिल्ली) से बंगाल, बिहार और उड़ीसा के चुँगी अधिकार प्राप्त किये।
1770 बंगाल में अकाल पड़ा।
1772 गवर्नर जनरल वॉरन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश भारत की राजधानी मुर्शिदाबाद से कलकत्ता बदली।
1775 वॉरन हेस्टिंग्स पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर एक स्थानीय ज़मींदार नन्द कुमार को झूठे आरोपों पर फाँसी दी गई।
1780 'द बंगाल गज़ेट'(The Bengal Gazzette) अख़बार का छपाई कारखाना जेम्स हिकी द्वारा स्थापित किया गया।
1784 पहला आधिकारिक अख़बार "द कलकत्ता गज़ेट" (The Calcutta Gazzette) का प्रकाशन।
1784 सर विलियम जॉन्स की पहल से "ऐशियाटिक समाज" (Asiatic Society) स्थापित हुआ।
1795 पहला बंगाली नाट्य "काल्पनिक गीत बदोल" जेरसिम स. लेबेदेफ़ द्वारा रंगमंच पर लाया गया
1801 फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना
1804 गवर्नर का घर (वर्तमान समय में राज भवन) का निर्माण हुआ
1813 टाउन हॉल का निर्माण हुआ
1818 पहली बंगाली पत्रिका "दिगदर्शन" का प्रकाशन श्रीरामपुर में डेविड हरे की मदद से हुआ

कोलकाता पर लिखी किताबें

किताब का नाम लेखक का नाम
सिटी ऑफ़ डेडफ़ुल नाइट्स एण्ड अमेरिकन टेल्स रुडयार्ड किपलिंग
सिटी ऑफ़ जॉय डोमनिक़ लेपियर
कलकत्ता:द लिविंग सिटी भाग-1 & 2 सुकांत चौधरी
कलकत्ता 1981 जीन रेसिन
कलकत्ता:सिटी ऑफ़ पैलेसेज़- ए सर्वे ऑफ़ द सिटी इन द डेज ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी 1690-1858 जेरेमियहा पी. लोस्टी

कोलकाता पर एक कविता

कोलकाता शहर का एक दृश्य

Thus the midday halt of Charnock – more’s the pity! -
Grew a City
As the fungus sprouts chaotic from its bed
So it spread
Chance-directed, chance-erected, laid and built
On the silt
Palace, byre, hovel – poverty and pride
Side by side
And above the packed and pestilential town
Death looked down. ---Rudyard Kipling [11]

कोलकाता के प्रसिद्ध व्यक्ति

लेखक / कवि उपन्यासकार आलोचक और दार्शनिक समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी सूची वैज्ञानिक
रबीन्द्रनाथ टैगोर विलियम मैकपीस ठाकरे ए. सी. बी. स्वामी प्रभुपाद राजा राम मोहन राय रास बिहारी बोस जगदीश चंद्र बोस
बुद्धदेव बोस तस्लीमा नसरीन राजेन्द्र प्रसाद मदर टेरेसा सुभाष चंद्र बोस प्रफुल्ल चंद्र राय
सुभाष मुखोपाध्याय सत्यजित राय गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक केशव चंद्र सेन बादल गुप्ता सी. वी. रमन
जिबाननन्द दास समरेश मजूमदार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय हेनरी चंद्र सेन बिनॉय बासु के. एस. कृष्णन
विष्णु डे शिरशेन्दु मुखोपाध्याय क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम डेविड हरे विपिन चन्द्र पाल
जोसेफ इमिन दिव्येन्दु पलित बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय अलेक्ज़ेण्डर डफ़ चित्तरंजन दास मेघनाद साहा
शक्ति चट्टोपाध्याय मणि शंकर मुखोपाध्याय बिभुति भूषण बंदोपाध्याय ईश्वर चंद्र विद्यासागर जतीन्द्र नाथ दास सत्येन्द्र नाथ बोस
सुनील गंगोपाध्याय ताराशंकर बंद्योपाध्याय शिशिर कुमार मित्र विलियम केरे दिनेश गुप्ता शिशिर कुमार मित्र
मलय राय चौधरी प्रमेन्द्र मित्र दीनबन्धु मित्र मोती लाल सील जोगेश चंद्र चट्टोपाध्याय प्रशान्त चंद्र महानोबिस
लिली चक्रवर्ती सैयद मुस्तफ़ा सिराज़ माइकल मधुसूदन दत्त बिधान चंद्र राय अमल कुमार राय चौधरी
आशापूर्णा देवी धन गोपाल मुखर्जी श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुभाष मुखोपाध्याय
लीला मजूमदार सैयद मुज़तबा अली अशोक कुमार सेन जे. बी. एस. हाल्देन
अनीता देसाई शरादिन्दु बंद्योपाध्याय
संजीव चट्टोपाध्याय प्रमथ चौधरी
विक्रम सेठ नीरद सी. चौधरी
सुनील गंगोपाध्याय स्वामी विवेकानन्द
उपमन्यु चटर्जी
राज कमल झा
अमिता घोष
भारती मुखर्जी
विमल कर
सुकेतु मेहता
अमित चौधरी
गुंथर ग्रास

कोलकाता से सम्बंधित उद्योगपति, रमन मैगसेसे एवं नोबेल पुरस्कार विजेता

उद्योगपति नोबेल पुरस्कार विजेता रमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता
आदित्य विक्रम बिरला सर रोनाल्ड रॉस (1902, मेडीसन) सत्यजित राय
राम प्रसाद गोयनका (RPG Group) रविन्द्र नाथ टैगोर (1913, साहित्य) मदर टेरेसा
लक्ष्मी निवास मित्तल मदर टेरेसा (1979, शांति) समरेश मजूमदार
पुरनेन्दु चटर्जी अमर्त्य सेन (1998, अर्थशास्त्र) महाश्वेता देवी

जनसंख्या

2001 की गणना के अनुसार कोलकाता की जनसंख्या 45,80,544 है।


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कोलकाता चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कोलकाता का इतिहास (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 8 जुलाई, 2010।
  2. कोलकाता शहरी संकेद्रण
  3. राय द्विवेदी, दिनेश। भारत में विधि का इतिहास-7 कोलकाता (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2010।
  4. सिंह, मांधाता। कोलकाता और जॉब चार्नोक (हि्न्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2010।
  5. शिशोदिया, संदीप। एक शहर रूमानियत से भरा : कोलकाता (हि्न्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2010।
  6. जिसमे साठ हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गये
  7. सिंह, मांधाता। हमारावतन-हमारासमाज, कोलकाता (हि्न्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2010।
  8. Kolkata Quotes (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2010।
  9. एक बगीचा, जिसमें फ़ोर्ट विलियम और शहर की कई सांस्कृतिक व मनोरंजक सुविधाएँ विद्यमान हैं
  10. मुकेश। कोलकाता-विभिन्‍न धर्मालंबियों का ऐतिहासिक शहर (हिन्दी) (ए ऐस पी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 8 जुलाई, 2010।
  11. Rudyard Kipling quoted by Geoffrey Moorhouse (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2010।

बाहरी कड़ियाँ

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