कजरीआरन

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कजरीआरन - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कजरी+आरन)[1]

कजली बन।

उदाहरण-

वै पिंगला गए कजरी आरन। - जायसी ग्रंथावली[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |
  2. जायसी ग्रंथावली, पृष्ठ 251, सम्पादक माताप्रसाद गुप्त, हिन्दुस्तानी ऐकेडमी, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण, 1951

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