कचरना - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग) क्रिया सकर्मक (संस्कृत कच्चरण = बुरी तरह चलना या अनुकरण शब्द 'कच')[1]
- पैर से कुचलना।
- रौंदना।
- दबाना।
उदाहरण - चलो चलु बिचलू न बीच ही तें कीच बीच नीच तो कुटुंब को कचरिहौं। ऐरे दगाबाज मेरे पातक अपार तोहि गंगा के कछार में पछारि छार करिहों। - पद्माकर भट्ट
- सानना।
उदाहरण - लोग समझते हैं कि साला मूँगफली के तेल में आटा कचर कर ठगने लगा है। - वो दुनिया[2]
- खूब खाना।
- चबाना।
मुहावरा - कचर कचरकर खाना। खूब पेट भर खाना।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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