"कंत" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
उदाहरण-  
 
उदाहरण-  
  
तू मेरा हौं तेरा गुरु सिष कीया मंत। दूनो भूल्या जात है दादू बिसरधा कंत। - दादूदयाल
+
तू मेरा हौं तेरा गुरु सिष कीया मंत। दूनो भूल्या जात है दादू बिसरधा कंत। - [[दादूदयाल]]
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

10:54, 20 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

कंत - विशेषण (संस्कृत कन्त)[1]

प्रसन्न। आनंदित[2]


कंत - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कान्त)

1. पति। स्वामी।

उदाहरण-

मदन लाजवश तिय नयन देखत बनत एकंत। इंचे खिंचे इत उत फिरत ज्यों दुनारि को कंत। - पद्माकर भट्ट


2. मालिक। ईश्वर।

उदाहरण-

तू मेरा हौं तेरा गुरु सिष कीया मंत। दूनो भूल्या जात है दादू बिसरधा कंत। - दादूदयाल


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 724 |
  2. अन्य कोश

संबंधित लेख