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[[रामायण]] में पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है, जिसमें बैठकर [[रावण]] ने [[सीता हरण]] किया था। रामायण में वर्णित है कि युद्ध के बाद [[राम|श्री राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]] तथा अन्य लोगों के साथ दक्षिण में स्थित [[लंका]] से [[अयोध्या]] पुष्पक विमान द्वारा ही आये थे। पुष्पक विमान [[रावण]] ने अपने भाई [[कुबेर]] से बलपूर्वक हासिल किया था।
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'''पुष्पक विमान''' का उल्लेख [[रामायण]] में मिलता है, जिसमें बैठकर [[रावण]] ने [[सीता हरण]] किया था। रामायण में वर्णित है कि युद्ध के बाद [[राम|श्री राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]] तथा अन्य लोगों के साथ दक्षिण में स्थित [[लंका]] से [[अयोध्या]] पुष्पक विमान द्वारा ही आये थे। पुष्पक विमान [[रावण]] ने अपने भाई [[कुबेर]] से बलपूर्वक हासिल किया था। मान्यता है कि पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि ब्रह्मर्षि [[अंगिरा]] ने बनायी और निर्माण एवं साज-सज्जा भगवान [[विश्वकर्मा]] द्वारा की गयी थी। इसी से वह 'शिल्पी' कहलाये।
 
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पुष्पक विमान की यह विशेषता थी कि वह छोटा या बडा किया जा सकता था। उसमे मन की गति से चलने की क्षमता थी। पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी और बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी। यह विमान आकाश मे स्वामी की इच्छानुसार भ्रमण करता था। मान्यता है कि पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि ब्रह्मर्षि अंगिरा ने बनायी और निर्माण साज-सज्जा भगवान [[विश्वकर्मा]] द्वारा की गयी थी, इसी से वह 'शिल्पी' कहलाये ।
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पुष्पक विमान की यह विशेषता थी कि, वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। उसमें मन की गति से चलने की क्षमता थी। यह एक आकाशचारी [[देव]] वाहन था, जो भूमि पर भी चल सकता था। पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी और बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी। यह विमान [[आकाश तत्त्व|आकाश]] मे स्वामी की इच्छानुसार भ्रमण करता था। [[कुबेर]] इसे देवों को प्रसन्न होकर यात्रा की सुगमता के लिए देते थे। [[रावण]] ने उनसे यह छीन लिया था। फिर राम ने उसे रावण के संहार के बाद वापिस लिया और कुबेर को लौटा दिया। कुबेर का कार्यक्षेत्र भी विस्तृत था। विश्वकर्मा नामक [[यक्ष]] ने इसका निर्माण किया था। राम इसी विमान से [[लंका]] से [[अयोध्या]] लौटे थे।
  
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11:21, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण

पुष्पक विमान का उल्लेख रामायण में मिलता है, जिसमें बैठकर रावण ने सीता हरण किया था। रामायण में वर्णित है कि युद्ध के बाद श्री राम, सीता, लक्ष्मण तथा अन्य लोगों के साथ दक्षिण में स्थित लंका से अयोध्या पुष्पक विमान द्वारा ही आये थे। पुष्पक विमान रावण ने अपने भाई कुबेर से बलपूर्वक हासिल किया था। मान्यता है कि पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि ब्रह्मर्षि अंगिरा ने बनायी और निर्माण एवं साज-सज्जा भगवान विश्वकर्मा द्वारा की गयी थी। इसी से वह 'शिल्पी' कहलाये।

विशेषता

पुष्पक विमान की यह विशेषता थी कि, वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। उसमें मन की गति से चलने की क्षमता थी। यह एक आकाशचारी देव वाहन था, जो भूमि पर भी चल सकता था। पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी और बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी। यह विमान आकाश मे स्वामी की इच्छानुसार भ्रमण करता था। कुबेर इसे देवों को प्रसन्न होकर यात्रा की सुगमता के लिए देते थे। रावण ने उनसे यह छीन लिया था। फिर राम ने उसे रावण के संहार के बाद वापिस लिया और कुबेर को लौटा दिया। कुबेर का कार्यक्षेत्र भी विस्तृत था। विश्वकर्मा नामक यक्ष ने इसका निर्माण किया था। राम इसी विमान से लंका से अयोध्या लौटे थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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