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ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥2॥
 
ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥2॥
 
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥3॥
 
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥3॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥४॥
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मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥4॥
  
 
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मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा।
मेरे चित्त नंद लालछे॥ध्रु०॥1॥
ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥2॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥3॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥4॥

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