"मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां" के अवतरणों में अंतर
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ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥2॥ | ब्रिंदाजी बनके कुंजगलिनमों। मैं जप धर तुलसी मालछे॥2॥ | ||
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥3॥ | मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गला मोतनके माल छे॥3॥ | ||
− | मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल | + | मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुट गई जंजाल छे॥4॥ |
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10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा। |