ज्ञानदास
ज्ञानदास 'ब्रजबुलि' एवं 'बंगला' दोनों भाषाओं के श्रेष्ठ कवि थे। इन्होंने राधा-कृष्ण की लीला संबंधी अनेकों पदों की रचना की थी। ज्ञानदास रचित 'बाल्य लीला' ग्रंथ सुकुमार भट्टाचार्य ने संपादित करके वाणीमंडप, कोलकाता द्वारा प्रकाशित किया था। ज्ञानदास ने भगवान श्रीकृष्ण तथा राधाजी की लीला वर्णन में चंडीदास का अनुगमन किया है।
जीवन परिचय
ज्ञानदास की जन्मभूमि बर्दवान ज़िले के उत्तर में स्थित काँदड़ाग्राम में है। इनकी जन्म तिथि सन 1530 ई. निर्धारित की गई है। 'भक्तिरत्नाकर' ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि राढ़ देश के काँदड़ ग्राम में इनका घर था। ज्ञानदास जाति के ब्राह्मण थे। इन्होंने नित्यानंद प्रभु की पत्नी जाल्वा देवी से गुरु दीक्षा ली थी। कृष्णदास कविराज ने 'चैतन्यचरितामृत' में इसीलिये इनका उल्लेख नित्यानंद प्रभु की शिष्य शाखा में किया है। 'नरोत्तमविलास' ग्रंथ में उल्लेख है कि ज्ञानदास करवा एवं खेदुरी के वैष्णव सम्मेलन में उपस्थित थे। ज्ञानदास ने राधा-कृष्ण-लीला-वर्णन में चंडीदास का अनुगमन किया है।[1]