ज्ञानेन्द्रपति
ज्ञानेन्द्रपति
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पूरा नाम | ज्ञानेन्द्रपति |
जन्म | 1 जनवरी, 1950 |
जन्म भूमि | ग्राम पथरगामा, झारखण्ड |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | काव्य रचना |
मुख्य रचनाएँ | 'संशयात्मा', 'आँख हाथ बनते हुए', 'गंगातट', 'कवि ने कहा', 'एकचक्रानगरी' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य अकादमी पुरस्कार, 'पहल सम्मान', 'बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्मान' व 'शमशेर सम्मान'। |
प्रसिद्धि | कवि |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ज्ञानेन्द्रपति निराला की परम्परा के कवि हैं। उनकी कविता रचनात्मक प्रतिरोध की कविता है। |
अद्यतन | 10:35, 13 अप्रॅल 2020 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
विषय सूची
परिचय
ज्ञानेन्द्रपति का जन्म 1 जनवरी, सन 1950 को ग्राम पथरगामा, झारखंड में हुआ था।
ज्ञानेन्द्रपति का ‘गंगा तट’ काव्यों का संग्रह नहीं न्यास है। वह औपन्यासिक है। मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’ के बारे में कहा जाता है कि वह नेहरू युग का क्रिटीक है। इस युग का क्रिटीक ‘गंगा तट’ है। ज्ञानेन्द्रपति की कविता में ऑब्जर्वेशन की कोशिश है और ज़िद भी। इस वजह से उनकी कविता प्रतिबद्धता और वैचारिकता के सरलीकरण का चित्र हैं। ऑब्ज़र्वेशन में व्यवधान भी है और ताकत भी।
'निराला' की परम्परा के कवि
ज्ञानेन्द्रपति निराला की परम्परा के कवि हैं। उनकी कविता रचनात्मक प्रतिरोध की कविता है। वे जो खत्म हो रहा है, उसे दिखाने के अलावा जो अच्छा होना चाहिए, उसके संकेत देती हैं।