राग पीलू राम मिलण[1] के काज सखी, मेरे आरति [2] उर में जागी [3] री॥ तड़फत तड़फत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूं पिव को, पलक न पल भरि [4] लागी री॥ पीव पीव मैं रटूं रात दिन, दूजी सुध बुध भागी री। बिरह भुजंग [5] मेरो डस्यो है कलेजो, लहर [6] हलाहल जागी री॥ मेरी आरति मैटि गोसाईं, आय मिलौ मोहि सागी री। मीरा व्याकुल अति उकलाणी [7], पिया की उमंग [8] अति लागी री॥