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मन्दिर के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊँची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियाँ तो असंख्य हैं। पूरी समानुपातिक योजना, आकार, ख़ूबसूरत मूर्तिकला एवं भव्य वास्तुकला की वजह से यह मन्दिर मध्य भारत में अपनी तरह का शानदार मन्दिर है। [[चित्र:Kandariya Mahadeva temple.jpg|thumb|250px|left|कन्दारिया महादेव मन्दिर]] इतनी अधिक संख्या में मूर्तियों की उपस्थिति से यह मन्दिर शानदार दिखाई देता है। मूर्तियों की सजावट तथा उनकी भव्यता और उनकी कलात्मकता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
 
मन्दिर के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊँची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियाँ तो असंख्य हैं। पूरी समानुपातिक योजना, आकार, ख़ूबसूरत मूर्तिकला एवं भव्य वास्तुकला की वजह से यह मन्दिर मध्य भारत में अपनी तरह का शानदार मन्दिर है। [[चित्र:Kandariya Mahadeva temple.jpg|thumb|250px|left|कन्दारिया महादेव मन्दिर]] इतनी अधिक संख्या में मूर्तियों की उपस्थिति से यह मन्दिर शानदार दिखाई देता है। मूर्तियों की सजावट तथा उनकी भव्यता और उनकी कलात्मकता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
 
==मन्दिर का नामकरण==
 
==मन्दिर का नामकरण==
मन्दिर में सोपान द्वारा अलंकृत कीर्तिमुख, नृत्य दृश्य युक्त तोरण द्वार से प्रवेश किया जा साकता है। बाहर से देखने पर इसका मुख्य द्वार एक गुफ़ा यानी कि कंदरा जैसा नज़र आता है, शायद इसीलिए इस मन्दिर का नाम 'कन्दारिया महादेव' पड़ा है। गर्भगृह के सरदल पर [[विष्णु]], उनके दाएँ [[ब्रह्मा]] एवं बाएँ [[शिव]] दिखाए गए हैं।  
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मन्दिर में सोपान द्वारा अलंकृत कीर्तिमुख, नृत्य दृश्य युक्त तोरण द्वार से प्रवेश किया जा सकता है। बाहर से देखने पर इसका मुख्य द्वार एक गुफ़ा यानी कि कंदरा जैसा नज़र आता है, शायद इसीलिए इस मन्दिर का नाम 'कन्दारिया महादेव' पड़ा है। गर्भगृह के सरदल पर [[विष्णु]], उनके दाएँ [[ब्रह्मा]] एवं बाएँ [[शिव]] दिखाए गए हैं।  
 
==आश्चर्यजनक निर्माण कार्य==
 
==आश्चर्यजनक निर्माण कार्य==
 
कुछ अन्य मन्दिरों की तरह इस मन्दिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप सैंड स्टोन से बने मन्दिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर 'यह मन्दिर बलुआ पत्थर से बना है तो फिर मूर्तियों, दीवारों और स्तम्भों में इतनी चमक कैसे, दरअसल यह चमक आई है चमड़े से ज़बरदस्त घिसाई करने के कारण।' अपनी तरह के इस अनोखे मन्दिर की दीवारें और स्तम्भ इतने ख़ूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते हैं।
 
कुछ अन्य मन्दिरों की तरह इस मन्दिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप सैंड स्टोन से बने मन्दिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर 'यह मन्दिर बलुआ पत्थर से बना है तो फिर मूर्तियों, दीवारों और स्तम्भों में इतनी चमक कैसे, दरअसल यह चमक आई है चमड़े से ज़बरदस्त घिसाई करने के कारण।' अपनी तरह के इस अनोखे मन्दिर की दीवारें और स्तम्भ इतने ख़ूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते हैं।

13:50, 9 दिसम्बर 2012 का अवतरण

कन्दारिया महादेव मन्दिर

कन्दारिया महादेव मन्दिर खजुराहो, मध्य प्रदेश में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण चन्देल वंश के पराक्रमी राजा यशोवर्मन ने 1025-1050 ई. के आस-पास करवाया था। यशोवर्मन सम्राट हर्ष का पुत्र तथा उसका उत्तराधिकारी था। उसके द्वारा निर्मित 'कन्दारिया महादेव' का मन्दिर सबसे बड़ा, ऊँचा और कलात्मक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इस मन्दिर को 'चतुर्भुज मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है।

निर्माण शैली

यह मन्दिर 109 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा और 116 फुट ऊँचा है। इस मन्दिर के सभी भाग- अर्द्धमण्डप, मण्डप, महामण्डप, अन्तराल तथा गर्भगृह आदि, वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं। गर्भगृह चारों ओर से प्रदक्षिणापथ युक्त है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मन्दिर में शिवलिंग के अलावा तमाम देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियाँ हैं, जो अनायास ही मन को मोह लेती हैं।

मूर्तियों से सुसज्जित

मन्दिर के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊँची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियाँ तो असंख्य हैं। पूरी समानुपातिक योजना, आकार, ख़ूबसूरत मूर्तिकला एवं भव्य वास्तुकला की वजह से यह मन्दिर मध्य भारत में अपनी तरह का शानदार मन्दिर है।

कन्दारिया महादेव मन्दिर

इतनी अधिक संख्या में मूर्तियों की उपस्थिति से यह मन्दिर शानदार दिखाई देता है। मूर्तियों की सजावट तथा उनकी भव्यता और उनकी कलात्मकता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

मन्दिर का नामकरण

मन्दिर में सोपान द्वारा अलंकृत कीर्तिमुख, नृत्य दृश्य युक्त तोरण द्वार से प्रवेश किया जा सकता है। बाहर से देखने पर इसका मुख्य द्वार एक गुफ़ा यानी कि कंदरा जैसा नज़र आता है, शायद इसीलिए इस मन्दिर का नाम 'कन्दारिया महादेव' पड़ा है। गर्भगृह के सरदल पर विष्णु, उनके दाएँ ब्रह्मा एवं बाएँ शिव दिखाए गए हैं।

आश्चर्यजनक निर्माण कार्य

कुछ अन्य मन्दिरों की तरह इस मन्दिर की भी यह विशेशता है कि अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप सैंड स्टोन से बने मन्दिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य कृति देख रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर 'यह मन्दिर बलुआ पत्थर से बना है तो फिर मूर्तियों, दीवारों और स्तम्भों में इतनी चमक कैसे, दरअसल यह चमक आई है चमड़े से ज़बरदस्त घिसाई करने के कारण।' अपनी तरह के इस अनोखे मन्दिर की दीवारें और स्तम्भ इतने ख़ूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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