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ओरोबिंदो आश्रम, पुदुचेरी

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श्री ओरोबिंदो आश्रम, पुदुचेरी

श्री ओरोबिंदो आश्रम (अंग्रेज़ी: Sri Aurobindo Ashram) भारत के पुदुचेरी में स्थित है। सन 1926 में ओरोबिंदो और मदर द्वारा स्थापित इस आश्रम में ध्यान की साधना होती है। यहां ज्ञान की बहुत ही विस्तृत पूंजी मौजूद है। श्री ओरोबिंदो ने शोध के बाद कई पुस्तकें लिखी, जिनमें भारतीय ज्ञान की पूरी सामग्री मौजूद है। आश्रम में बनें खास पिरेमिड में लोग बैठकर घंटों ध्यान साधना करते हैं। यहां ध्यान की कोई खास विधि नहीं बताई जाती है, पर समूहों में ध्यान की प्रैक्टिस हर दिन होती है।[1]

  • महर्षि अरविंद (या ओरोबिंदो) को भारत के पिछली सदी के सबसे महान दार्शनिक-चिंतकों में से एक माना जाता है।
  • महर्षि अरविंद ने पुदुचेरी (तत्कालीन पांडिचेरी) में इस आश्रम की स्थापना की थी।
  • वैसे तो महर्षि अरविंद अंग्रेजों के उत्पीड़न से बचने के लिए पांडिचेरी आए थे, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें अध्यात्म की शक्ति का आभास हुआ और वह योग की तरफ मुड़ गए। उनका दर्शन, योग व आधुनिक विज्ञान का मेल था।
  • योग में निबद्ध उनके दर्शन और उनकी लेखनी ने देश-विदेश में बहुत लोगों को प्रभावित किया। पारसी चित्रकार व संगीतकार मीरा अलफस्सा भी उनमें से थीं। इस आश्रम की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी और वे ही बाद में 'मां' कहलाईं। 1950 में महर्षि अरविंद की मृत्यु के बाद आश्रम के संचालन की जिम्मेदारी उन्हीं पर रही। 1973 में 93 साल की उम्र में मृत्यु होने तक वे यह जिम्मेदारी संभालती रहीं। 'ऑरोविले' यानी उदय का शहर भी उन्हीं की परिकल्पना रहा।
  • समूचे पुदुचेरी पर आश्रम का प्रभाव साफ नजर आता है। मुख्य आश्रम में ही महर्षि अरविंद और मां की समाधियां बनी हुई हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आध्यात्मिक साधना के लिए भारत के दस प्रमुख आश्रम (हिंदी) religionworld.in। अभिगमन तिथि: 23 अक्टूबर, 2020।

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