नक़्शबंदिया
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नक़्शबंदिया भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, मध्य एशियाई गणराज्यों एवं मलेशिया में पाई जाने वाली मुस्लिम सूफ़ियों की रूढ़िवादी बिरादरी है। नक़्शबंदिया बिरादरी अपनी वंशावली को पहले ख़लीफ़ा अबु बक्र से जोड़ती है। बुख़ारा, तुर्किस्तान में इस संप्रदाय के संस्थापक बहाउद्दिन (मृ-1384) को अन-नक़्शबंद[1] कहा जाता था, क्योंकि मान्यता के अनुसार, उनके द्वारा निर्धारित अनुष्ठान[2] से दिल पर ख़ुदा की छाप पड़ती थी और इसलिए उनके अनुयायी नक़्शबंदिया कहलाने लगे। इस संप्रदाय को जनसमर्थन नहीं मिला क्योंकि इसकी स्तुतियाँ बहुत शांत है और मन ही मन ज़िक्र के जाप पर ज़ोर देती हैं अहमद सरहिंदी (1564-1624) के सुधारवादी उत्साह के कारण 17वीं सदी में भारत में नक़्शबंदियों को पुनर्जीवन मिला और उन्होंने 18वीं एवं 19वीं सदी में पूरे इस्लामी जगत के मुस्लिम जीवन के सुधार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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