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13:14, 28 अक्टूबर 2011 का अवतरण
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गोविन्द
मथुरा में कंकाली टीला पर कंकाली देवी का मन्दिर स्थापित है। कंकाली को पूर्व में कंस काली के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना कृष्ण जन्म की घटना से जुड़ी बताई जाती हैं। कंस के द्वारा पूजित होने के कारण यह कंस काली या कंकाली देवी कहलाती है।
- यह वही अष्टभुजा सिंहवाहनी दुर्गा देवी है, जिसे कंस ने देवकी की कन्या समझकर उसे मारना चाहा था, किन्तु देवी उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई थी।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार यशोदा रानी के गर्भ से पैदा हुई कन्या को वसुदेव जी मथुरा लाये और इसी कन्या के बदले में नन्दबाबा के घर श्रीकृष्ण पहुंचाये गये। कहा जाता है कि क्रूर कंस ने इसी बालिका का वध करने के लिए इस स्थान पर एक पत्थर की शिला पर पटख कर मारने का प्रयास किया था, किन्तु बालिका कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली गई तभी से यह स्थल कंस काली के नाम से विख्यात है।
- मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान के पश्चात् द्वितीय महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थल यही है, जहाँ देव निर्मित स्तूप एवं नर वाहना कुबेरा देवी मन्दिर जैसे प्राचीन देव स्थानों के अतिरिक्त जैन, बौद्ध धर्म के मन्दिर, मठ और देवालय थे।
- हूणों के आक्रमण काल में इस महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल की बड़ी क्षति हुई है। इस समय यहाँ स्थापित देवी प्रतिमा को मथुरा की प्रसिद्ध चार देवियों में से एक माना गया है।
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गोविन्द राम
इंद्रकील हिमालय के उतर में एक छोटा सा पर्वत।'हिमवन्तमतिक्रम्य गंधमादनमेव च, अत्यक्रामत् स दुर्गाणि दिवारात्रमतिन्द्रत:। इंद्रकीलं समासाद्यततोऽतिष्ठद् धनंजय:'।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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