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प्रसिद्ध संत गुलाल साहब का जन्म सत्रहवीं शताब्दी के अंत में ज़िला गाज़ीपुर, उ.प्र के बसहरी नामक स्थान में एक क्षत्रिय ज़मींदार के घर पर हुआ था।

  • इन्होंने बुल्ला साहब का शिष्यत्व ग्रहण किया।
  • आश्चर्य की बात यह है कि बाद में बुल्ला साहब के नाम से भरकुढा की गद्दी के प्रसिद्ध संत पहले बुलाकी राम कुर्मी के नाम से वहां हल जोता करते थे।
  • उनके आध्यात्मिक विचारों से प्रभावित होकर गुलाल साहब ने उनसे दीक्षा ले ली।
  • बुल्ला साहब की मृत्यु के बाद यही उनकी गद्दी के महंत भी हुए।
  • गुलाल साहब की वाणी के नाम से भी एक संग्रह मिलता है।
  • 1760 ई.में आपकी मृत्यु हुई।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शर्मा 'पर्वतीय', लीला धर भारतीय चरित कोश (हिंदी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, कश्मीरी गेट, दिल्ली, 237- 238।

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