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'''झषाणां मकरश्चास्मि स्त्रोतसामस्मि जाह्रवी ।।31।।'''
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पवताम् = पवित्र करनेवालोंमें; पवन: =वायु(और); शस्त्रभृताम् = शस्त्रधारियोंमें;  झषाणाम् = मछलियों में; मकर: = मगरमच्छ; स्त्रोतसाम् = नदियों में; जाह्रवी = श्रीभागीरथी गगडा;
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पवताम् = पवित्र करनेवालोंमें; पवन: =वायु(और); शस्त्रभृताम् = शस्त्रधारियोंमें;  झषाणाम् = मछलियों में; मकर: = मगरमच्छ; स्तोत्रसाम् = नदियों में; जाह्रवी = श्रीभागीरथी गगडा;
 
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13:59, 12 जुलाई 2011 का अवतरण

गीता अध्याय-10 श्लोक-31 / Gita Chapter-10 Verse-31


पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्तोत्रसामस्मि जाह्रवी ।।31।।



मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्री<balloon link="राम " title="भगवान् विष्णु के 10 अवतारों में से एक हैं । ये अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">राम</balloon> हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी <balloon link="गंगा " title="भारत की सर्वाधिक पवित्र पुण्य सलिला नदी है । राजा भगीरथ तपस्या करके गंगा को पृथ्वी पर लाये थे।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">गंगा</balloon>जी हूँ ।।31।।

Among purifiers, I am the wind; among warriors, I am sri Rama. Among fishes, I am the shark; and among streams, I am the ganges. (31)


पवताम् = पवित्र करनेवालोंमें; पवन: =वायु(और); शस्त्रभृताम् = शस्त्रधारियोंमें; झषाणाम् = मछलियों में; मकर: = मगरमच्छ; स्तोत्रसाम् = नदियों में; जाह्रवी = श्रीभागीरथी गगडा;



अध्याय दस श्लोक संख्या
Verses- Chapter-10

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)